ऐ ईमान वालो अपने क़ौल (वचन) पूरे करो तुम्हारे लिये हलाल हुए बे ज़ुबान मवेशी मगर वो जो आगे सुनाया जाएगा तुमको लेकिन शिकार हलाल न समझो जब तुम एहराम में हो बेशक अल्लाह हुक्म फ़रमाता है जो चाहे
ऐ ईमान वालो हलाल न ठहरा लो अल्लाह के निशान और न अदब वाले महीने और न हरम को भेजी हुई क़ुर्बानियां और न जिनके गले में अलामतें (चिन्ह) लटकी हुई और न उनका माल और आबरू जो इज़्ज़त वाले घर का इरादा करके आएं अपने रब का फ़ज़्ल और उसकी ख़ुशी चाहते और जब एहराम से निकलो तो शिकार कर सकते हो और तुम्हें किसी क़ौम की दुश्मनी, कि उन्होंने तुम को मस्जिदे हराम से रोका था, ज़ियादती करने पर न उभारे और नेकी और परहेज़गारी पर एक दूसरे की मदद करो और गुनाह और ज़ियादती पर आपस में मदद न दो और अल्लाह से डरते रहो, बेशक अल्लाह का अज़ाब सख़्त है
तुमपर हराम है मुर्दार और ख़ून और सुअर का गोश्त और वह जिसके ज़िब्ह में ग़ैर ख़ुदा का नाम पुकारा गया और वो जो गला घोंटनें से मरे और बेधार की चीज़ से मारा हुआ और जो गिर कर मरा और जिसे किसी जानवर ने सींग मारा और जिसे कोई दरिन्दा खा गया, मगर जिन्हें तुम ज़िब्ह कर लो और जो किसी थान पर ज़िब्ह किया गया और पाँसे डाल कर बाँटा करना यह गुनाह का काम है आज तुम्हारे दीन की तरफ़ काफ़िरों की आस टूट गई तो उनसे न डरो और मुझसे डरो आज मैंने तुम्हारे लिये तुम्हारा दीन कामिल (पूर्ण) कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और तुम्हारे लिये इस्लाम को दीन पसन्द किया तो जो भूख प्यास की शिद्दत (तेज़ी) में नाचार हो यूं कि गुनाह की तरफ़ न झुकें तो बेशक अल्लाह बख़्श्ने वाला मेहरबान है
ऐ मेहबूब, तुम से पूछते हैं कि उनके लिये क्या हलाल हुआ तुम फ़रमादो कि हलाल की गईं तुम्हारे लिये पाक चीजे़ं और जो शिकारी जानवर तुम ने सधा लिये उन्हें शिकार पर दौड़ाते जो इल्म तुम्हें ख़ुदा ने दिया उसमें से उन्हें सिखाते तो खाओ उस में से जो वो मारकर तुम्हारे लिये रहने दें और उसपर अल्लाह का नाम लो और अल्लाह से डरते रहो बेशक अल्लाह को हिसाब करते देर नहीं लगती
आज तुम्हारे लिये पाक चीज़ें हलाल हुईं और किताबियों का खाना तुम्हारे लिये हलाल है और तुम्हारा खाना उनके लिये हलाल है और पारसा औरतें मुसलमान और पारसा औरतें उनमें से जिनको तुम से पहले किताब मिली जब तुम उन्हें उनके मेहर दो क़ैद में लाते हुए न मस्ती निकालते और न आशना बनाते और जो मुसलमान से काफी़र हो उस का क्या धरा सब ऐकारत गया और वोह आख़िरत मे ज़ीयांकार है
ऐ ईमान वालो जब नमाज़ को खड़े होना चाहो तो अपना मुंह धोओ और कोहनियों तक हाथ और सरों का मसह करो और गट्टों तक पाँव धोओ और अगर तुम्हें नहाने की हाजत हो तो ख़ूब सुथरे हो लो और अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुम में से कोई पेशाब पाख़ाने से आया या तुमने औरतों से सोहबत की और उन सूरतों में पानी न पाया तो पाक मिट्टी से तयम्मुम करो तो अपने मुंह और हाथों का उससे मसह करो अल्लाह नहीं चाहता कि तुम पर कुछ तंगी रखे, हाँ यह चाहता है कि तुम्हें ख़ूब सुथरा कर दे और अपनी नेमत तुम पर पूरी कर दे कि कहीं तुम एहसान मानो
और याद करो अल्लाह का एहसान अपने ऊपर और वह अहद (वादा) जो उसने तुम से लिया जब कि तुमने कहा हमने सुना और माना और अल्लाह से डरो बेशक अल्लाह दिलों की बात जानता है
ऐ ईमान वालो अल्लाह के हुक्म पर ख़ूब क़ायम हो जाओ इन्साफ़ के साथ गवाही देते और तुम को किसी क़ौम की दुश्मनी इसपर न उभारे कि इन्साफ़ न करो, इन्साफ़ करो वह परहेज़गारी से ज़्यादा क़रीब है और अल्लाह से डरो बेशक अल्लाह को तुम्हारे कामों की ख़बर है
ऐ ईमान वालो, अल्लाह का एहसान अपने ऊपर याद करो जब एक क़ौम ने चाहा कि तुम पर दस्तदराज़ी(अत्याचार) करें तो उसने हाथ तुमपर से रोक दिये और अल्लाह से डरो और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा चाहिये
और बेशक अल्लाह ने बनी इस्राईल से अहद लिया और हमने उनमें बारह सरदार क़ायम किये और अल्लाह ने फ़रमाया बेशक मैं तुम्हारे साथ हूँ ज़रूर अगर तुम नमाज़ क़ायम रखो और ज़कात दो और मेरे रसूलों पर ईमान लाओ और उनकी ताज़ीम (आदर) करो और अल्लाह को क़र्ज़े हसन दो बेशक मैं तुम्हारे गुनाह उतार दूंगा और ज़रूर तुम्हें बागो़ं में ले जाऊंगा जिनके नीचे नेहरें बहें फिर उसके बाद जो तुम में से कुफ़्र करे वह ज़रूर सीधी राह से बहका
तो उनकी कैसी बद-एहदीयों (वचन भंग) पर हमने उन्हें लअनत की और उनके दिल सख़्त करदिये अल्लाह की बातों को उनके ठिकानों से बदलते हैं और भुला बैठे बङा हिस्सा उन नसीहतों का जो उन्हें दी गईं और तुम हमेशा उनकी एक न एक दग़ा पर मुत्तला (सूचित) होते रहोगे सिवा थोङों के तो उन्हें माफ़ करदो और उनसे दरगुज़रो (क्षमा करो) बेशक एहसान वाले अल्लाह को मेहबूब हैं
और वो जिन्हों ने दावा किया कि हम नसारा (ईसाई) हैं हमने उनसे एहद लिया तो वो भुला बैठे बङा हिस्सा उन नसीहतों का जो उन्हें दी गईं तो हमने उनके आपस में क़यामत के दिन तक बैर और बुग़्ज़ (द्वेष) डाला दिया और बहुत जल्द अल्लाह उन्हें बता देगा जो कुछ करते थे
ऐ कीताब वालो बेशक तुम्हारे पास हमारे यह रसूल तशरीफ़ लाए कि तुमपर ज़ाहिर फ़रमाते हैं बहुत सी वो चीज़ें जो तुमने किताब में छुपा डाली थीं और बहुत सी माफ़ फ़रमाते हैं बेशक तुम्हारे पास अल्लाह की तरफ़ से एक नूर आया और रौशन किताब
अल्लाह उससे हिदायत देता है उसे जो अल्लाह की मर्ज़ी पर चला सलामती के रास्ते और उन्हें अंधेरियों से रौशनी की तरफ़ ले जाता है अपने हुक्म से और उन्हें सीधी राह दिखाता है
बेशक काफ़िर हुए वो जिन्होंने कहा कि अल्लाह मसीह बिन मरयम ही है तुम फ़रमा दो फिर अल्लाह का कोई क्या कर सकता है अगर वह चाहे कि हलाक करदे मसीह बिन मरयम और उसकी माँ और तमाम ज़मीन वालों को और अल्लाह ही के लिये है सल्तनत आसमानों और ज़मीन और उनके दरमियान की जो चाहे पैदा करता है और अल्लाह सब कुछ कर सकता है
और यहुदी और ईसाई बोले कि हम अल्लाह के बेटे और उनके प्यारे हैं तुम फ़रमादो फिर तुम्हें क्यों तुम्हारे गुनाहों पर अज़ाब फ़रमाता है बल्कि तुम आदमी हो उसकी मख़लूक़ात (सृष्टि) से जिसे चाहे बख़्श्ता है और जिसे चाहे सज़ा देता है और अल्लाह ही के लिये है सल्तनत आसमानों और ज़मीन और इन के दरमियान की और उसीकी तरफ़ फिरना है
ऐ किताब वालो बेशक तुम्हारे पास हमारे यह रसूल तशरीफ़ लाए कि तुमपर हमारे अहकाम ज़ाहिर फ़रमाते हैं बाद इसके कि रसूलों का आना मुद्दतों (लम्बे समय तक) बन्द रहा था कि तुम कहो हमारे पास कोई ख़ुशी और डर सुनाने वाला न आया तो ये ख़ुशी और डर सुनाने वाले तुम्हारे पास तशरीफ़ लाए हैं और अल्लाह को सब क़ुदरत है
और जब मूसा ने कहा कि अपनी क़ौम से ऐ मेरी क़ौम, अल्लाह का एहसान अपने ऊपर याद करो कि तुम में से पैग़म्बर किये और तुम्हें बादशाह किया और तुम्हें वह दिया जो आज सारे जहान में किसी को न दिया
दो मर्द कि अल्लाह से डरने वालों में थे अल्लाह ने उन्हें नवाज़ा (प्रदान किया) बोले कि ज़बरदस्ती दर्वाज़े में उनपर दाख़िल हो अगर तुम दर्वाज़े में दाख़िल हो गए तो तुम्हारा ही ग़ल्बा है और अल्लाह ही पर भरोसा करो अगर तुम्हें ईमान है
और उन्हें पढ़कर सुनाओ आदम के दो बेटों की सच्ची ख़बर जब दोनों ने एक एक नियाज़ (भेंट) पेश की तो एक की क़ुबूल हुई और दूसरे की क़ुबूल न हुई बोला क़सम है मैं तुझे क़त्ल कर दूंगा कहा अल्लाह उसी से क़ुबूल करता है जिसे डर है
बेशक अगर तू अपना हाथ मुझपर बढ़ाएगा कि मुझे क़त्ल करे तो मैं अपना हाथ तुझपर न बढ़ाऊंगा कि तुझे क़त्ल करूं मैं अल्लाह से डरता हूँ जो मालिक है सारे जहान का
तो अल्लाह ने एक कौवा भेजा ज़मीन कुरेदता कि उसे दिखाए क्योंकर अपने भाई की लाश छुपाए बोला हाय ख़राबी, मैं इस कौवे जैसा भी न होसका कि मैं अपने भाई की लाश छुपाता तो पछताता रह गया
इस सबब से हमने बनी इस्राईल पर लिख दिया कि जिसने कोई जान क़त्ल की बग़ैर जान के बदले या ज़मीन में फ़साद के तो गोया उसने सब लोगों को क़त्ल किया और जिसने एक जान को जिला लिया उसने गोया सब लोगों को जिला लिया और बेशक उनके पास हमारे रसूल रौशन दलिलों के साथ आए फिर बेशक उनमें बहुत उसके बाद ज़मीन में ज़ियादती करने वाले हैं
वो कि अल्लाह और उसके रसूल से लङते और मुल्क में फ़साद करते फिरते हैं उनका बदला यही है कि गिन गिन कर क़त्ल किये जाएं या सूली दिये जाएं या उनके एक तरफ़ के हाथ और दूसरी तरफ़ के पाँव काटे जाएं या ज़मीन से दूर कर दिये जाएं, यह दुनिया में उनकी रूस्वाई है और आख़िरत में उनके लिये बङा अज़ाब
बेशक वा जो काफ़िर हुए जो कुछ ज़मीन में सब और उसकी बराबर और अगर उनकी मिल्क हो कि उसे देकर क़यामत के अज़ाब से अपनी जान छुङाएं तो उनसे न लिया जाएगा और उनके लिये दुख का अज़ाब है
ऐ रसूल तुम्हें ग़मगीन (दुखी) न करें वो जो कुफ्र पर दोड़ते हैं कुछ वो जो अपने मुंह से कहते हैं हम ईमान लाए और उनके दिल मुसलमान नहीं और कुछ यहूदी झूठ ख़ूब सुनते हैं और लोगों की ख़ूब सुनते हैं जो तुम्हारे पास हाज़िर न हुए अल्लाह की बातों को उनके ठिकानो के बाद बदल देते हैं कहते हैं यह हुक्म तुम्हें मिले तो मानो और यह न मिले तो बचो और जिसे अल्लाह गुमराह करना चाहे तो हरगिज़ तू अल्लाह से उसका कुछ बना न सकेगा वो हैं कि अल्लाह ने उनका दिल पाक करना न चाहा उन्हें दुनिया में रूस्वाई है और उन्हें आख़िरत में बड़ा अज़ाब
बड़े झूठ सुनने वाले, बड़े हरामख़ोर तो अगर तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों तो उनमें फैसला फ़रमाओ या उनसे मुंह फेर लो और अगर तुम उनसे मुंह फेर लोगे तो वो तुम्हारा कुछ न बिगाड़ेंगे और अगर उनमें फैसला फ़रमाओ तो इन्साफ़ से फ़ैसला करो बेशक इन्साफ़ वाले अल्लाह को पसन्द हैं
बेशक हमने तौरात उतारी उसमें हिदायत और नूर है उसके मुताबिक़ यहूद को हुक्म देते थे हमारे फ़रमाँबरदार नबी और आलिम और फ़कीह (धर्मशास्त्री) कि उनसे किताब अल्ल्लाह की हिफ़ाज़त चाही गई थी और वो उसपर गवाह थे तो लोगों से खौफ न करो और मुझसे डरो और मेरी आयतों के बदले ज़लील क़ीमत न लो और जो अल्लाह के उतारे पर हुक्म न करे वही लोग काफ़िर हैं
और हमने तौरात में उनपर वाजिब किया कि जान के बदले जान और आँख के बदले आँख और नाक के बदले नाक और कान के बदले कान और दांत के बदले दांत और ज़ख़्मों में बदला है फिर जो दिल की ख़ुशी से बदला करा दे तो वह उसका गुनाह उतार देगा और जो अल्लाह के उतारे पर हुक्म न करे तो वही लोग ज़ालिम हैं
और हम उन नबियों के पीछे उनके निशाने क़दम (पदचिन्ह) पर ईसा बिन मरयम को लाए, तस्दीक़ (पुष्टि) करता हुआ तौरात की जो उससे पहले थी और हमने उसे इंजील अता की जिसमें हिदायत और नूर है और तस्दीक़ फ़रमाती है तौरात की कि उससे पहले थे और हिदायत और नसीहत परहेज़गारों को
और ऐ मेहबूब हमने तुम्हारी तरफ़ सच्ची किताब उतारी अगली किताबों की तस्दीक़ फ़रमाती और उनपर मुहाफिज़ व गवाह तो उनमें फ़ैसला करो अल्लाह के उतारे से और ऐ सुनने वाले उनकी ख़्वाहिशों की पैरवी न करना अपने पास आया हुआ हक़ (सत्य) छोड़कर, हमने तुम सबके लिये एक एक शरीअत और रास्ता रखा और अल्लाह चाहता तो तुम सबको एक ही उम्मत कर देता मगर मंजूर यह है कि जो कुछ तुम्हें दिया उसमें तुम्हें आज़माए तो भलाईयों की तरफ़ सबक़त (पहल करो) चाहो तुम सबका फिरना अल्लाह ही की तरफ़ है तो वह तुम्हें बता देगा जिस बात में तुम झगड़ते थे
और यह कि ऐ मुसलमान अल्लाह के उतारे पर हुक्म कर और उनकी ख़्वाहिशों पर न चल और उनसे बचता रह कि कहीं तुझे लग़ज़िश (डगमगा) न दे दें किसी हुक्म में जो तेरी तरफ़ उतरा फिर अगर वो मुंह फेरें तो जान लो कि अल्लाह उनके कुछ गुनाहों की सज़ा उनको पहुंचाता है और बेशक बहुत आदमी बेहुक्म हैं
ऐ ईमान वालो यहूदियों और ईसाइयों को दोस्त न बनाओ वो आपस में एक दूसरे के दोस्त हैं और तुम में जो कोई उनसे दोस्ती रखेगा तो वह उन्हीं में से है बेशक अल्लाह बे इन्साफ़ों को राह नहीं देता
अब तुम उन्हें देखोगे जिनके दिलों में आज़ारहै कि यहूद और नसारा (ईसाई) की तरफ़ दौड़ते हैं और कहते हैं हम डरते हैं कि हम पर कोई गर्दिश (मुसीबत) आजाए तो नज़दीक है कि अल्लाह फ़त्ह (विजय) लाए या अपनी तरफ़ से कोई हुक्म फिर उस पर जो अपने दिलों में छुपाया था पछताते रह जाएं
ईमान वाले कहते है क्या यही हैं जिन्होंने अल्लाह की क़सम खाई थी अपने हलफ़ मे पुरी कोशिश से कि वो तुम्हारे साथ हैं, उनका किया धरा सब अकारत गया तो रह गए नुक़सान में
ऐ ईमान वालो तुम में जो कोई अपने दीन से फिरेगा तो अन्क़रीब अल्लाह ऐसे लोग लाएगा कि वो अल्लाह के प्यारे और अल्लाह उनका प्यारा, मुसलमानों पर नर्म और काफ़िरों पर सख़्त अल्लाह की राह में लड़ेंगे और किसी मलामत (भतर्सना) करने वाले की मलामत का अन्देशा (भय) न करेंगे यह अल्लाह का फ़ज़्ल है जिसे चाहे दे, और अल्लाह वुसअत वाला इल्म वाला है
ऐ ईमान वालो जिन्होंने तुम्हारे दीन को हंसी खेल बना लिया है वो जो तुमसे पहले किताब दिये गए और काफ़िर उनमें किसी को अपना दोस्त न बनाओ और अल्लाह से डरते रहो अगर ईमान रखते हो
तुम फ़रमाओ ऐ किताबियों तुम्हें हमारा क्या बुरा लगा यही न कि हम ईमान लाए अल्लाह पर और उसपर जो हमारी तरफ़ उतरा और उसपर जो पहले उतरा और यह कि तुम में अक्सर बेहुक्म हैं
तुम फ़रमाओ क्या मैं बतादूं जो अल्लाह के यहाँ इससे बदतर दर्जे में हैं वो जिनपर अल्लाह ने लअनत की और उन पर ग़ज़ब फ़रमाया और उनमें से कर दिया बन्दर और सुअर और शैतान के पुजारी उनका ठिकाना ज़्यादा बुरा है और ये सीधी राह से ज़्यादा बहके
और यहूदी बोले अल्लाह का हाथ बंधा हुआ है उन्ही के हाथ बांधे जाएं और उनपर इस कहने से लअनत है बल्कि उसके हाथ कुशादा हैं अता फ़रमाता है जैसे चाहे और ऐ मेहबूब ये जो तुम्हारी तरफ़ तुम्हारे रब के पास से उतरा उससे उनमें बहुतों को शरारत और कुफ्र में तरक़्क़ी होगी और उन में हम ने क़्यामत तक आपस में दुश्मनी बैर डाल दिया जब कभी लड़ाई की आग भड़काते हैं अल्लाह उसे बुझा देता है और ज़मीन में फ़साद के लिये दौड़ते फिरते हैं और अल्लाह फ़सादियों को नहीं चाहता
और अगर क़ायम रखते तौरात और इंजील और जो कुछ उनकी तरफ़ उनके रब की तरफ़ से उतरा तो उन्हें रिज़्क मिलता ऊपर से और उनके पांव के नीचे से उनमें कोई गिरोह (दल) एतिदाल (संतुलन) पर है और उनमें अक्सर बहुत ही बुरे काम कर रहे हैं
ऐ रसूल पहुंचा दो जो कुछ उतरा तुम्हें तुम्हारे रब की तरफ़ से और ऐसा न हो तो तुम ने उसका कोइ पयाम (संदेश) न पहुंचाया और अल्लाह तुम्हारी निगहबानी करेगा लोगों से बेशक अल्लाह काफ़िरों को राह नहीं देता
तुम फ़रमादो ऐ किताबियों तुम कुछ भी नहीं हो जब तक न क़ायम करो तौरात और इंजिल और जो कुछ तुम्हारी तरफ़ तुम्हारे रब के पास से उतरा और बेशक ऐ मेहबूब वह जो तुम्हारी तरफ़ तुम्हारे रब के पास से उतरा उस से उनमें बहुतों को शरारत और कुफ़्र की और तरक़्की होगी तो तुम काफिरों का कुछ ग़म न खाओ
बेशक वो जो अपने आपको मुसलमान कहते हैं और इसी तरह यहूदी और सितारा परस्त और नस्रानी, इनमें जो कोई सच्चे दिल से अल्लाह व क़यामत पर ईमान लाए और अच्छे काम करे तो उनपर न कुछ अन्देशा है और न कुछ ग़म
बेशक हमने बनी इस्राईल से एहद लिया और उनकी तरफ़ रसूल भेजे जब कभी उनके पास कोई रसूल वह बात लेकर आया जो उनके नफ़्स की ख़्वाहिश न थी एक गिरोह को झुटलाया और एक गिरोह को शहीद करते हैं
और इस ग़ुमान में रहे कि कोई सज़ा न होगी तो अंधे और बेहरे हो गए फिर अल्लाह ने उनकी तौबह क़ुबूल की फिर उनमें बहुतेरे अंधे और बेहरे हो गए और अल्लाह उनके काम देख रहा है
बेशक काफ़िर हैं वो जो कहते हैं कि अल्लाह वही मसीह मरयम का बेटा है और मसीह ने तो यह कहा था ऐ बनी इस्राईल अल्लाह की बन्दगी करो जो मेरा रब है और तुम्हारा रब. बेशक जो अल्लाह का शरीक ठहराए तो अल्लाह ने उसपर जन्नत हराम करदी और उसका ठिकाना दोज़ख़ है.और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं
बेशक काफ़िर हैं वो जो कहते हैं अल्लाह तीन ख़ुदाओ में का तीसरा हैं और ख़ुदा तो नहीं मगर एक ख़ुदा और अगर अपनी बात से बाज़ न आए तो जो उनमें काफ़िर मरेंगे उनको ज़रूर दर्दनाक अज़ाब पहुंचेगा
मसीह इब्ने मरयम नहीं मगर एक रसूल उससे पहले बहुत रसूल हो गुज़रे और उसकी माँ सिद्दीक़ा ( सच्ची) है दोनो खाना खाते थे देखो तो हम कैसी साफ़ निशानियां इनके लिये बयान करते हैं फिर देखो वो कैसे औंधे जाते है
तुम फ़रमाओ ऐ किताब वालो अपने दीन में नाहक़ ज़ियादती न करो और ऐसे लोगों की ख़्वाहिश पर न चलो जो पहले गुमराह हो चुके और बहुतो को गुमराह किया और सीधी राह बहक गए
उनमें तुम बहुतों को देखोगे कि काफ़िरों से दोस्ती करते हैं क्या ही बुरी चीज़ अपने लिये ख़ुद आगे भेजी यह कि अल्लाह का उन पर ग़ज़ब (प्रकोप) हुआ और वो अज़ाब में हमेशा रहेंगे
ज़रूर तुम मुसलमानों का सबसे बढ़कर दुश्मन यहूदियों और मुश्रिकों को पाओगे और ज़रूर तुम मुसलमानों की दोस्ती में सबसे ज़्यादा क़रीब उनको पाओगे जो कहते थे हम नसारा (ईसाई)हैं यह इसलिये कि उनमें आलिम और दर्वेश (महात्मा)हैं और ये गुरुर नहीं करते
और जब सुनते हैं वह जो रसूल की तरफ़ उतरा तो उनकी आँखें देखो कि आँसुओं से उबल रही हैं इसलिये कि वो हक़ को पहचान गए कहते हैं ऐ रब हमारे हम ईमान लाए तो हमें हक़ के गवाहों मे लिख ले
अल्लाह तुम्हें नहीं पकडता तुम्हारी ग़लतफ़हमी की क़समों पर हाँ उन क़समों पर गिरफ्त फ़रमाता है जिन्हें तुमने मज़बूत किया तो ऐसी क़सम का बदला दस मिस्कीनों (ग़रीवों) को खाना देना अपने घर वालों को जो खिलाते हो उसके औसत में से या उन्हें कपङे देना या एक बुरदा आज़ाद करना तो जो इन में से कुछ न पाए तो तीन दिन के रोज़े यह बदला है तुम्हारी क़समों का जब क़सम खाओ और अपनी क़समों की हिफ़ाज़त करो इसी तरह अल्लाह तुम से अपनी आयतें बयान फ़रमाता है कि कहीं तुम एहसान मानो
और हुक्म मानो अल्लाह का और हुक्म मानो रसूल का और होशियार रहो फिर अगर तुम फिर जाओ तो जान लो कि हमारे रसूल का ज़िम्मा सिर्फ़ वाज़ेह तौर पर हुक्म पहुंचा देना है
जो ईमान लाए और नेक काम किये उनपर कुछ गुनाह नहीं है जो कुछ उन्होंने चखा जब कि डरें और ईमान रखें और नेकियां करें फिर डरें और ईमान रखें फिर डरें और नेक रहें और अल्लाह नेकों को दोस्त रखता है
ऐ ईमान वालो ज़रूर अल्लाह तुम्हें आज़माएगा ऐसे बा़ज़ शिकार से जिस तक तुम्हारे हाथ और नेज़े (भाले) पहुंचें कि अल्लाह पहचान करा दे उनकी जो उससे बिन देखे डरते हैं फिर इसके बाद जो हद से बढ़े उसके लिये दर्दनाक सजा़ है
ऐ िईमान वालो शकार न मारो जब तुम एहराम में हो और तुम में से जो उसे जान बूझकर क़त्ल करे तो उसका बदला यह है कि वैसा ही जानवर मवेशी से दे तुम में के दो सिक़ह (विश्वस्त) आदमी उसका हुक्म करें यह क़ुरबानी हो काबा को पहुंचती या कफ़्फ़ारा (प्रायश्चित) दे कुछ मिस्कीनों का खाना या उसके बराबर रोज़े कि अपने काम का वबाल चखो अल्लाह ने माफ़ किया जो हो गुज़रा और जो अब करेगा अल्लाह उससे बदला लेगा और अल्लाह ग़ालिब है बदला लेने वाला
हलाल है तुम्हारे लिये दरिया का शिकार और उसका खाना तुम्हारे और मुसाफ़िरों के फ़ायदे को और तुम पर हराम है ख़ुश्की का शिकार जब तक तुम एहराम में हो और अल्लाह से डरो जिसकी तरफ़ तुम्हें उठना है
अल्लाह ने अदब वाले घर का़बे को लोगों के क़याम का बाइस (कारण) किया और हुरमत (इज़्ज़त) वाले महीने और हरम की क़ुरबानी और गले में अलामत (निशानी) आविज़ां जानवरों को यह इसलिये कि तुम यक़ीन करो कि अल्लाह जानता है जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में और यह कि अल्लाह सब कुछ जानता है
ऐ ईमान वालो ऐसी बातें न पूछो जो तुमपर ज़ाहिर की जाएं तो तुम्हें बुरी लगें और अगर उन्हें उस वक़्त पूछोगे कि क़ुरआन उतर रहा है तो तुमपर ज़ाहिर करदी जाएंगी अल्लाह उन्हें माफ़ फरमा चुका है और अल्लाह बख़्शने वाला हिल्म (सहिष्णुता) वाला है
अल्लाह ने मुक़र्रर नहीं किया है कान चरा हुआ और न बिजार और न वसीला और न हामी हाँ, काफ़िर लोग अल्लाह पर झूठा इफ़तिरा (मिथ्यारोप) बांधते हैं और उनमें से अकसर निरे बेअक़्ल हैं
और जब उनसे कहा जाए आओ उस तरफ़ जो अल्लाह ने उतारा और रसूल की तरफ़ कहें हमें वह बहुत है जिसपर हमने अपने बाप दादा को पाया, क्या अगरचे उनके बाप दादा न कुछ जानें न राह पर हों
ऐ ईमान वालो तुम अपनी फ़िक्र रखो तुम्हारा कुछ न बिगाड़ेगा जो गुमराह हुआ जब कि तुम राह पर हो तुम सबकी रूजू (पलटना) अल्लाह ही की तरफ़ है फिर वह तुम्हें बता देगा जो तुम करते थे
ऐ ईमान वालो तुम्हारी आपस की गवाही जब तुममे किसी को मौत आए वसीयत करते वक़्त तुम में के दो मोअ़त्तबर शख़्स हैं या ग़ैरों में के दो जब तुम मुल्क में सफ़र को जाओ फिर तुम्हें मौत का हादसा पहुंचे उन दोनों को नमाज़ के बाद रोको वो अल्लाह की क़सम खाएं अगर तुम्हें कुछ शक पड़े हम हलफ़ के बदले कुछ माल न खरीदेंगे अगरचे क़रीब का रिश्तेदार हो और अल्लाह की गवाही ने छुपाएंगे ऐसा करें तो हम ज़रूर गुनाहगारों में हैं
फिर अगर पता चले कि वो किसी गुनाह के सज़ावार (हक़दार) हुए तो उनकी जगह दो और खड़े हों उनमें से कि उस गुनाह यानी झूठी गवाही ने उनका हक़ लेकर उनको नुक़सान पहुंचाया जो मैयत से ज़्यादा क़रीब हों अल्लाह की क़सम खाएं कि हमारी गवाही ज्यादा ठीक है उन दोकी गवाही से और हम हद से न बढ़े ऐसा हो तो हम ज़ालिमों में हों
यह क़रीबतर है उससे कि गवाही जैसी चाहिये अदा करें या डरें कि कुछ क़समें रद करदी जाएं उनकी क़समों के बाद और अल्लाह से डरो और हुक्म सुनो और अल्लाह बेहुक्मों को राह नहीं देता
जिस दिन अल्लाह जमा फ़रमाएगा रसूलों को फिर फ़रमाएगा तुम्हें क्या जवाब मिला अर्ज़ करेंगे हमें कुछ इल्म नहीं बेशक तू ही है सब ग़ैबों (अज्ञात) का जानने वाला
जब अल्लाह फ़रमाएगा ऐ मरयम क बेटे ईसा याद कर मेरा एहसान अपने ऊपर और अपनी माँ पर जब मैंने पाक रूह से तेरी मदद की तू लोगों से बातें करता पालने में और पक्की उम्र का होकर और जब मैं ने तुझे सिखाई किताब और हिकमत (बोध) और तौरात और इंजील और जब तू मिट्टी से परिन्द की सी मूरत मेरे हुक्म से बनाता फिर उसमें फूंक मारता तो वह मेरे हुक्म से उड़ने लगती और तू मादरज़ाद (जन्मजात) अन्धे और सफ़ेद दाग़ वाले को मेरे हुक्म से शिफ़ा देता और जब तू मुर्दों को मेरे हुक्म से ज़िन्दा निकालता और जब मैं ने बनी इस्राईल को तुझ से रोका जब तू उन के पास रौशन निशानियां लेकर आया तो उनमें के काफ़िर बोले कि यह तो नहीं मगर खुला जादू
ईसा इब्ने मरयम ने अर्ज़ की ऐ अल्लाह ऐ रब हमारे हम पर आसमान से एक ख़्वान उतार कि वह हमारे लिये ईद हो हमारे अगले पिछलों की और तेरी तरफ़ से निशानी और हमें रिज़्क दे और तू सब से बेहतर रोज़ी देने वाला है
और जब अल्लाह फ़रमाएगा ऐ मरयम के बेटे ईसा क्या तूने लोगों से कह दिया था कि मुझे और मेरी माँ को दो ख़ुदा बना लो अल्लाह के सिवा अर्ज़ करेगा पाकी है तुझे मुझे रवा नहीं कि वह बात कहूँ जो मुझे नहीं पहुंचती अगर मैं ने ऐसा कहा हो तो ज़रूर तुझे मालूम होगा तू जानता है जो मेरे जी में है और मैं नहीं जानता जो तेरे इल्म में है बेशक तू ही है सब ग़ैबों (अज्ञात) का खुब जानने वाला
मैंने तो उनसे न कहा मगर वही जो मुझे तूने हुक्म दिया था कि अल्लाह को पूजो जो मेरा भी रब और तुम्हारा भी रब और मैं उनपर मुत्तला (बाख़बर) था जब तक मैं उनमें रहा फिर जब तूने मुझे उठा लिया तो तू ही उनपर निगाह रखता था और हर चीज़ तेरे सामने हाज़िर है
अल्लाह ने फ़रमाया कि यह है वह दिन जिसमें सच्चों को उनका सच काम आएगा उनके लिये बाग़ हैं जिनके नीचे नेहरें रवां हमेशा हमेशा उनमें रहेंगे अल्लाह उनसे राज़ी और वो अल्लाह से राज़ी यह है बड़ी कामयाबी