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Al-Maaida
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    play 1 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَوْفُوا بِالْعُقُودِ أُحِلَّتْ لَكُمْ بَهِيمَةُ الْأَنْعَامِ إِلَّا مَا يُتْلَى عَلَيْكُمْ غَيْرَ مُحِلِّي الصَّيْدِ وَأَنْتُمْ حُرُمٌ إِنَّ اللَّهَ يَحْكُمُ مَا يُرِيدُ
    ऐ ईमान वालो अपने क़ौल (वचन) पूरे करो तुम्हारे लिये हलाल हुए बे ज़ुबान मवेशी मगर वो जो आगे सुनाया जाएगा तुमको लेकिन शिकार हलाल न समझो जब तुम एहराम में हो बेशक अल्लाह हुक्म फ़रमाता है जो चाहे
    play 2 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تُحِلُّوا شَعَائِرَ اللَّهِ وَلَا الشَّهْرَ الْحَرَامَ وَلَا الْهَدْيَ وَلَا الْقَلَائِدَ وَلَا آمِّينَ الْبَيْتَ الْحَرَامَ يَبْتَغُونَ فَضْلًا مِنْ رَبِّهِمْ وَرِضْوَانًا وَإِذَا حَلَلْتُمْ فَاصْطَادُوا وَلَا يَجْرِمَنَّكُمْ شَنَآنُ قَوْمٍ أَنْ صَدُّوكُمْ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ أَنْ تَعْتَدُوا وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلَا تَعَاوَنُوا عَلَى الْإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ
    ऐ ईमान वालो हलाल न ठहरा लो अल्लाह के निशान और न अदब वाले महीने और न हरम को भेजी हुई क़ुर्बानियां और न जिनके गले में अलामतें (चिन्ह) लटकी हुई और न उनका माल और आबरू जो इज़्ज़त वाले घर का इरादा करके आएं अपने रब का फ़ज़्ल और उसकी ख़ुशी चाहते और जब एहराम से निकलो तो शिकार कर सकते हो और तुम्हें किसी क़ौम की दुश्मनी, कि उन्होंने तुम को मस्जिदे हराम से रोका था, ज़ियादती करने पर न उभारे और नेकी और परहेज़गारी पर एक दूसरे की मदद करो और गुनाह और ज़ियादती पर आपस में मदद न दो और अल्लाह से डरते रहो, बेशक अल्लाह का अज़ाब सख़्त है
    play 3 حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ وَالدَّمُ وَلَحْمُ الْخِنْزِيرِ وَمَا أُهِلَّ لِغَيْرِ اللَّهِ بِهِ وَالْمُنْخَنِقَةُ وَالْمَوْقُوذَةُ وَالْمُتَرَدِّيَةُ وَالنَّطِيحَةُ وَمَا أَكَلَ السَّبُعُ إِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْ وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ وَأَنْ تَسْتَقْسِمُوا بِالْأَزْلَامِ ذَلِكُمْ فِسْقٌ الْيَوْمَ يَئِسَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ دِينِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِ الْيَوْمَ أَكْمَلْتُ لَكُمْ دِينَكُمْ وَأَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِي وَرَضِيتُ لَكُمُ الْإِسْلَامَ دِينًا فَمَنِ اضْطُرَّ فِي مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِإِثْمٍ فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
    तुमपर हराम है मुर्दार और ख़ून और सुअर का गोश्त और वह जिसके ज़िब्ह में ग़ैर ख़ुदा का नाम पुकारा गया और वो जो गला घोंटनें से मरे और बेधार की चीज़ से मारा हुआ और जो गिर कर मरा और जिसे किसी जानवर ने सींग मारा और जिसे कोई दरिन्दा खा गया, मगर जिन्हें तुम ज़िब्ह कर लो और जो किसी थान पर ज़िब्ह किया गया और पाँसे डाल कर बाँटा करना यह गुनाह का काम है आज तुम्हारे दीन की तरफ़ काफ़िरों की आस टूट गई तो उनसे न डरो और मुझसे डरो आज मैंने तुम्हारे लिये तुम्हारा दीन कामिल (पूर्ण) कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और तुम्हारे लिये इस्लाम को दीन पसन्द किया तो जो भूख प्यास की शिद्दत (तेज़ी) में नाचार हो यूं कि गुनाह की तरफ़ न झुकें तो बेशक अल्लाह बख़्श्ने वाला मेहरबान है
    play 4 يَسْأَلُونَكَ مَاذَا أُحِلَّ لَهُمْ قُلْ أُحِلَّ لَكُمُ الطَّيِّبَاتُ وَمَا عَلَّمْتُمْ مِنَ الْجَوَارِحِ مُكَلِّبِينَ تُعَلِّمُونَهُنَّ مِمَّا عَلَّمَكُمُ اللَّهُ فَكُلُوا مِمَّا أَمْسَكْنَ عَلَيْكُمْ وَاذْكُرُوا اسْمَ اللَّهِ عَلَيْهِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ
    ऐ मेहबूब, तुम से पूछते हैं कि उनके लिये क्या हलाल हुआ तुम फ़रमादो कि हलाल की गईं तुम्हारे लिये पाक चीजे़ं और जो शिकारी जानवर तुम ने सधा लिये उन्हें शिकार पर दौड़ाते जो इल्म तुम्हें ख़ुदा ने दिया उसमें से उन्हें सिखाते तो खाओ उस में से जो वो मारकर तुम्हारे लिये रहने दें और उसपर अल्लाह का नाम लो और अल्लाह से डरते रहो बेशक अल्लाह को हिसाब करते देर नहीं लगती
    play 5 الْيَوْمَ أُحِلَّ لَكُمُ الطَّيِّبَاتُ وَطَعَامُ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ حِلٌّ لَكُمْ وَطَعَامُكُمْ حِلٌّ لَهُمْ وَالْمُحْصَنَاتُ مِنَ الْمُؤْمِنَاتِ وَالْمُحْصَنَاتُ مِنَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ مِنْ قَبْلِكُمْ إِذَا آتَيْتُمُوهُنَّ أُجُورَهُنَّ مُحْصِنِينَ غَيْرَ مُسَافِحِينَ وَلَا مُتَّخِذِي أَخْدَانٍ وَمَنْ يَكْفُرْ بِالْإِيمَانِ فَقَدْ حَبِطَ عَمَلُهُ وَهُوَ فِي الْآخِرَةِ مِنَ الْخَاسِرِينَ
    आज तुम्हारे लिये पाक चीज़ें हलाल हुईं और किताबियों का खाना तुम्हारे लिये हलाल है और तुम्हारा खाना उनके लिये हलाल है और पारसा औरतें मुसलमान और पारसा औरतें उनमें से जिनको तुम से पहले किताब मिली जब तुम उन्हें उनके मेहर दो क़ैद में लाते हुए न मस्ती निकालते और न आशना बनाते और जो मुसलमान से काफी़र हो उस का क्या धरा सब ऐकारत गया और वोह आख़िरत मे ज़ीयांकार है
    play 6 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا قُمْتُمْ إِلَى الصَّلَاةِ فَاغْسِلُوا وُجُوهَكُمْ وَأَيْدِيَكُمْ إِلَى الْمَرَافِقِ وَامْسَحُوا بِرُءُوسِكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ إِلَى الْكَعْبَيْنِ وَإِنْ كُنْتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُوا وَإِنْ كُنْتُمْ مَرْضَى أَوْ عَلَى سَفَرٍ أَوْ جَاءَ أَحَدٌ مِنْكُمْ مِنَ الْغَائِطِ أَوْ لَامَسْتُمُ النِّسَاءَ فَلَمْ تَجِدُوا مَاءً فَتَيَمَّمُوا صَعِيدًا طَيِّبًا فَامْسَحُوا بِوُجُوهِكُمْ وَأَيْدِيكُمْ مِنْهُ مَا يُرِيدُ اللَّهُ لِيَجْعَلَ عَلَيْكُمْ مِنْ حَرَجٍ وَلَكِنْ يُرِيدُ لِيُطَهِّرَكُمْ وَلِيُتِمَّ نِعْمَتَهُ عَلَيْكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ
    ऐ ईमान वालो जब नमाज़ को खड़े होना चाहो तो अपना मुंह धोओ और कोहनियों तक हाथ और सरों का मसह करो और गट्टों तक पाँव धोओ और अगर तुम्हें नहाने की हाजत हो तो ख़ूब सुथरे हो लो और अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुम में से कोई पेशाब पाख़ाने से आया या तुमने औरतों से सोहबत की और उन सूरतों में पानी न पाया तो पाक मिट्टी से तयम्मुम करो तो अपने मुंह और हाथों का उससे मसह करो अल्लाह नहीं चाहता कि तुम पर कुछ तंगी रखे, हाँ यह चाहता है कि तुम्हें ख़ूब सुथरा कर दे और अपनी नेमत तुम पर पूरी कर दे कि कहीं तुम एहसान मानो
    play 7 وَاذْكُرُوا نِعْمَةَ اللَّهِ عَلَيْكُمْ وَمِيثَاقَهُ الَّذِي وَاثَقَكُمْ بِهِ إِذْ قُلْتُمْ سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ
    और याद करो अल्लाह का एहसान अपने ऊपर और वह अहद (वादा) जो उसने तुम से लिया जब कि तुमने कहा हमने सुना और माना और अल्लाह से डरो बेशक अल्लाह दिलों की बात जानता है
    play 8 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُونُوا قَوَّامِينَ لِلَّهِ شُهَدَاءَ بِالْقِسْطِ وَلَا يَجْرِمَنَّكُمْ شَنَآنُ قَوْمٍ عَلَى أَلَّا تَعْدِلُوا اعْدِلُوا هُوَ أَقْرَبُ لِلتَّقْوَى وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ خَبِيرٌ بِمَا تَعْمَلُونَ
    ऐ ईमान वालो अल्लाह के हुक्म पर ख़ूब क़ायम हो जाओ इन्साफ़ के साथ गवाही देते और तुम को किसी क़ौम की दुश्मनी इसपर न उभारे कि इन्साफ़ न करो, इन्साफ़ करो वह परहेज़गारी से ज़्यादा क़रीब है और अल्लाह से डरो बेशक अल्लाह को तुम्हारे कामों की ख़बर है
    play 9 وَعَدَ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُمْ مَغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ عَظِيمٌ
    ईमान वाले नेकी करने वालों से अल्लाह का वादा है कि उनके लिये बख़्शिश और बड़ा सवाब है
    play 10 وَالَّذِينَ كَفَرُوا وَكَذَّبُوا بِآيَاتِنَا أُولَئِكَ أَصْحَابُ الْجَحِيمِ
    और जिन्होंने कुफ़्र किया और हमारी आयतें झुटलाई, वही दोज़ख़ वाले हैं
    play 11 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اذْكُرُوا نِعْمَتَ اللَّهِ عَلَيْكُمْ إِذْ هَمَّ قَوْمٌ أَنْ يَبْسُطُوا إِلَيْكُمْ أَيْدِيَهُمْ فَكَفَّ أَيْدِيَهُمْ عَنْكُمْ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَعَلَى اللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُونَ
    ऐ ईमान वालो, अल्लाह का एहसान अपने ऊपर याद करो जब एक क़ौम ने चाहा कि तुम पर दस्तदराज़ी(अत्याचार) करें तो उसने हाथ तुमपर से रोक दिये और अल्लाह से डरो और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा चाहिये
    play 12 وَلَقَدْ أَخَذَ اللَّهُ مِيثَاقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَبَعَثْنَا مِنْهُمُ اثْنَيْ عَشَرَ نَقِيبًا وَقَالَ اللَّهُ إِنِّي مَعَكُمْ لَئِنْ أَقَمْتُمُ الصَّلَاةَ وَآتَيْتُمُ الزَّكَاةَ وَآمَنْتُمْ بِرُسُلِي وَعَزَّرْتُمُوهُمْ وَأَقْرَضْتُمُ اللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا لَأُكَفِّرَنَّ عَنْكُمْ سَيِّئَاتِكُمْ وَلَأُدْخِلَنَّكُمْ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ فَمَنْ كَفَرَ بَعْدَ ذَلِكَ مِنْكُمْ فَقَدْ ضَلَّ سَوَاءَ السَّبِيلِ
    और बेशक अल्लाह ने बनी इस्राईल से अहद लिया और हमने उनमें बारह सरदार क़ायम किये और अल्लाह ने फ़रमाया बेशक मैं तुम्हारे साथ हूँ ज़रूर अगर तुम नमाज़ क़ायम रखो और ज़कात दो और मेरे रसूलों पर ईमान लाओ और उनकी ताज़ीम (आदर) करो और अल्लाह को क़र्ज़े हसन दो बेशक मैं तुम्हारे गुनाह उतार दूंगा और ज़रूर तुम्हें बागो़ं में ले जाऊंगा जिनके नीचे नेहरें बहें फिर उसके बाद जो तुम में से कुफ़्र करे वह ज़रूर सीधी राह से बहका
    play 13 فَبِمَا نَقْضِهِمْ مِيثَاقَهُمْ لَعَنَّاهُمْ وَجَعَلْنَا قُلُوبَهُمْ قَاسِيَةً يُحَرِّفُونَ الْكَلِمَ عَنْ مَوَاضِعِهِ وَنَسُوا حَظًّا مِمَّا ذُكِّرُوا بِهِ وَلَا تَزَالُ تَطَّلِعُ عَلَى خَائِنَةٍ مِنْهُمْ إِلَّا قَلِيلًا مِنْهُمْ فَاعْفُ عَنْهُمْ وَاصْفَحْ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ
    तो उनकी कैसी बद-एहदीयों (वचन भंग) पर हमने उन्हें लअनत की और उनके दिल सख़्त करदिये अल्लाह की बातों को उनके ठिकानों से बदलते हैं और भुला बैठे बङा हिस्सा उन नसीहतों का जो उन्हें दी गईं और तुम हमेशा उनकी एक न एक दग़ा पर मुत्तला (सूचित) होते रहोगे सिवा थोङों के तो उन्हें माफ़ करदो और उनसे दरगुज़रो (क्षमा करो) बेशक एहसान वाले अल्लाह को मेहबूब हैं
    play 14 وَمِنَ الَّذِينَ قَالُوا إِنَّا نَصَارَى أَخَذْنَا مِيثَاقَهُمْ فَنَسُوا حَظًّا مِمَّا ذُكِّرُوا بِهِ فَأَغْرَيْنَا بَيْنَهُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاءَ إِلَى يَوْمِ الْقِيَامَةِ وَسَوْفَ يُنَبِّئُهُمُ اللَّهُ بِمَا كَانُوا يَصْنَعُونَ
    और वो जिन्हों ने दावा किया कि हम नसारा (ईसाई) हैं हमने उनसे एहद लिया तो वो भुला बैठे बङा हिस्सा उन नसीहतों का जो उन्हें दी गईं तो हमने उनके आपस में क़यामत के दिन तक बैर और बुग़्ज़ (द्वेष) डाला दिया और बहुत जल्द अल्लाह उन्हें बता देगा जो कुछ करते थे
    play 15 يَا أَهْلَ الْكِتَابِ قَدْ جَاءَكُمْ رَسُولُنَا يُبَيِّنُ لَكُمْ كَثِيرًا مِمَّا كُنْتُمْ تُخْفُونَ مِنَ الْكِتَابِ وَيَعْفُو عَنْ كَثِيرٍ قَدْ جَاءَكُمْ مِنَ اللَّهِ نُورٌ وَكِتَابٌ مُبِينٌ
    ऐ कीताब वालो बेशक तुम्हारे पास हमारे यह रसूल तशरीफ़ लाए कि तुमपर ज़ाहिर फ़रमाते हैं बहुत सी वो चीज़ें जो तुमने किताब में छुपा डाली थीं और बहुत सी माफ़ फ़रमाते हैं बेशक तुम्हारे पास अल्लाह की तरफ़ से एक नूर आया और रौशन किताब
    play 16 يَهْدِي بِهِ اللَّهُ مَنِ اتَّبَعَ رِضْوَانَهُ سُبُلَ السَّلَامِ وَيُخْرِجُهُمْ مِنَ الظُّلُمَاتِ إِلَى النُّورِ بِإِذْنِهِ وَيَهْدِيهِمْ إِلَى صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ
    अल्लाह उससे हिदायत देता है उसे जो अल्लाह की मर्ज़ी पर चला सलामती के रास्ते और उन्हें अंधेरियों से रौशनी की तरफ़ ले जाता है अपने हुक्म से और उन्हें सीधी राह दिखाता है
    play 17 لَقَدْ كَفَرَ الَّذِينَ قَالُوا إِنَّ اللَّهَ هُوَ الْمَسِيحُ ابْنُ مَرْيَمَ قُلْ فَمَنْ يَمْلِكُ مِنَ اللَّهِ شَيْئًا إِنْ أَرَادَ أَنْ يُهْلِكَ الْمَسِيحَ ابْنَ مَرْيَمَ وَأُمَّهُ وَمَنْ فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا وَلِلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا يَخْلُقُ مَا يَشَاءُ وَاللَّهُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
    बेशक काफ़िर हुए वो जिन्होंने कहा कि अल्लाह मसीह बिन मरयम ही है तुम फ़रमा दो फिर अल्लाह का कोई क्या कर सकता है अगर वह चाहे कि हलाक करदे मसीह बिन मरयम और उसकी माँ और तमाम ज़मीन वालों को और अल्लाह ही के लिये है सल्तनत आसमानों और ज़मीन और उनके दरमियान की जो चाहे पैदा करता है और अल्लाह सब कुछ कर सकता है
    play 18 وَقَالَتِ الْيَهُودُ وَالنَّصَارَى نَحْنُ أَبْنَاءُ اللَّهِ وَأَحِبَّاؤُهُ قُلْ فَلِمَ يُعَذِّبُكُمْ بِذُنُوبِكُمْ بَلْ أَنْتُمْ بَشَرٌ مِمَّنْ خَلَقَ يَغْفِرُ لِمَنْ يَشَاءُ وَيُعَذِّبُ مَنْ يَشَاءُ وَلِلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَإِلَيْهِ الْمَصِيرُ
    और यहुदी और ईसाई बोले कि हम अल्लाह के बेटे और उनके प्यारे हैं तुम फ़रमादो फिर तुम्हें क्यों तुम्हारे गुनाहों पर अज़ाब फ़रमाता है बल्कि तुम आदमी हो उसकी मख़लूक़ात (सृष्टि) से जिसे चाहे बख़्श्ता है और जिसे चाहे सज़ा देता है और अल्लाह ही के लिये है सल्तनत आसमानों और ज़मीन और इन के दरमियान की और उसीकी तरफ़ फिरना है
    play 19 يَا أَهْلَ الْكِتَابِ قَدْ جَاءَكُمْ رَسُولُنَا يُبَيِّنُ لَكُمْ عَلَى فَتْرَةٍ مِنَ الرُّسُلِ أَنْ تَقُولُوا مَا جَاءَنَا مِنْ بَشِيرٍ وَلَا نَذِيرٍ فَقَدْ جَاءَكُمْ بَشِيرٌ وَنَذِيرٌ وَاللَّهُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
    ऐ किताब वालो बेशक तुम्हारे पास हमारे यह रसूल तशरीफ़ लाए कि तुमपर हमारे अहकाम ज़ाहिर फ़रमाते हैं बाद इसके कि रसूलों का आना मुद्दतों (लम्बे समय तक) बन्द रहा था कि तुम कहो हमारे पास कोई ख़ुशी और डर सुनाने वाला न आया तो ये ख़ुशी और डर सुनाने वाले तुम्हारे पास तशरीफ़ लाए हैं और अल्लाह को सब क़ुदरत है
    play 20 وَإِذْ قَالَ مُوسَى لِقَوْمِهِ يَا قَوْمِ اذْكُرُوا نِعْمَةَ اللَّهِ عَلَيْكُمْ إِذْ جَعَلَ فِيكُمْ أَنْبِيَاءَ وَجَعَلَكُمْ مُلُوكًا وَآتَاكُمْ مَا لَمْ يُؤْتِ أَحَدًا مِنَ الْعَالَمِينَ
    और जब मूसा ने कहा कि अपनी क़ौम से ऐ मेरी क़ौम, अल्लाह का एहसान अपने ऊपर याद करो कि तुम में से पैग़म्बर किये और तुम्हें बादशाह किया और तुम्हें वह दिया जो आज सारे जहान में किसी को न दिया
    play 21 يَا قَوْمِ ادْخُلُوا الْأَرْضَ الْمُقَدَّسَةَ الَّتِي كَتَبَ اللَّهُ لَكُمْ وَلَا تَرْتَدُّوا عَلَى أَدْبَارِكُمْ فَتَنْقَلِبُوا خَاسِرِينَ
    ऐ क़ौम उस पाक ज़मीन में दाख़िल हो जो अल्लाह ने तुम्हारे लिये लिखी है और पीछे न पलटो कि नुक़सान पर पलटोगे
    play 22 قَالُوا يَا مُوسَى إِنَّ فِيهَا قَوْمًا جَبَّارِينَ وَإِنَّا لَنْ نَدْخُلَهَا حَتَّى يَخْرُجُوا مِنْهَا فَإِنْ يَخْرُجُوا مِنْهَا فَإِنَّا دَاخِلُونَ
    बोले ऐ मूसा उसमेंतो बङे ज़बरदस्त लोग हैं और हम उसमें हरगिज़ दाख़िल न होंगे जबतक वो वहाँ से निकल न जाएं, हाँ वो वहां से निकल जाएं तो हम वहां जाएंगे
    play 23 قَالَ رَجُلَانِ مِنَ الَّذِينَ يَخَافُونَ أَنْعَمَ اللَّهُ عَلَيْهِمَا ادْخُلُوا عَلَيْهِمُ الْبَابَ فَإِذَا دَخَلْتُمُوهُ فَإِنَّكُمْ غَالِبُونَ وَعَلَى اللَّهِ فَتَوَكَّلُوا إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ
    दो मर्द कि अल्लाह से डरने वालों में थे अल्लाह ने उन्हें नवाज़ा (प्रदान किया) बोले कि ज़बरदस्ती दर्वाज़े में उनपर दाख़िल हो अगर तुम दर्वाज़े में दाख़िल हो गए तो तुम्हारा ही ग़ल्बा है और अल्लाह ही पर भरोसा करो अगर तुम्हें ईमान है
    play 24 قَالُوا يَا مُوسَى إِنَّا لَنْ نَدْخُلَهَا أَبَدًا مَا دَامُوا فِيهَا فَاذْهَبْ أَنْتَ وَرَبُّكَ فَقَاتِلَا إِنَّا هَاهُنَا قَاعِدُونَ
    बोले ऐ मूसा हम तो वहां कभी न जाएंगे जबतक वो वहां हैं तो आप जाइये और आपका रब, तुम दोनों लङो हम यहां बैठे हैं
    play 25 قَالَ رَبِّ إِنِّي لَا أَمْلِكُ إِلَّا نَفْسِي وَأَخِي فَافْرُقْ بَيْنَنَا وَبَيْنَ الْقَوْمِ الْفَاسِقِينَ
    मूसा ने अर्ज़ की कि ऐ रब मेरे मुझे इख़्तियार नहीं मगर अपना और अपने भाई का तो तू हमको उन बेहु्कमों से जुदा रख
    play 26 قَالَ فَإِنَّهَا مُحَرَّمَةٌ عَلَيْهِمْ أَرْبَعِينَ سَنَةً يَتِيهُونَ فِي الْأَرْضِ فَلَا تَأْسَ عَلَى الْقَوْمِ الْفَاسِقِينَ
    फ़रमाया तो वह ज़मीन उनपर हराम है चालीस बरस तक भटकते फिरें ज़मीन में तो तुम उन बेहुकमों का अफ़सोस न खाओ
    play 27 وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ ابْنَيْ آدَمَ بِالْحَقِّ إِذْ قَرَّبَا قُرْبَانًا فَتُقُبِّلَ مِنْ أَحَدِهِمَا وَلَمْ يُتَقَبَّلْ مِنَ الْآخَرِ قَالَ لَأَقْتُلَنَّكَ قَالَ إِنَّمَا يَتَقَبَّلُ اللَّهُ مِنَ الْمُتَّقِينَ
    और उन्हें पढ़कर सुनाओ आदम के दो बेटों की सच्ची ख़बर जब दोनों ने एक एक नियाज़ (भेंट) पेश की तो एक की क़ुबूल हुई और दूसरे की क़ुबूल न हुई बोला क़सम है मैं तुझे क़त्ल कर दूंगा कहा अल्लाह उसी से क़ुबूल करता है जिसे डर है
    play 28 لَئِنْ بَسَطْتَ إِلَيَّ يَدَكَ لِتَقْتُلَنِي مَا أَنَا بِبَاسِطٍ يَدِيَ إِلَيْكَ لِأَقْتُلَكَ إِنِّي أَخَافُ اللَّهَ رَبَّ الْعَالَمِينَ
    बेशक अगर तू अपना हाथ मुझपर बढ़ाएगा कि मुझे क़त्ल करे तो मैं अपना हाथ तुझपर न बढ़ाऊंगा कि तुझे क़त्ल करूं मैं अल्लाह से डरता हूँ जो मालिक है सारे जहान का
    play 29 إِنِّي أُرِيدُ أَنْ تَبُوءَ بِإِثْمِي وَإِثْمِكَ فَتَكُونَ مِنْ أَصْحَابِ النَّارِ وَذَلِكَ جَزَاءُ الظَّالِمِينَ
    मैं तो यह चाहता हूँ कि मेरा और तेरा गुनाह दोनों तेरे ही पल्ले पङे तो तू दोज़ख़ी हो जाए और बेइन्साफ़ों की यही सज़ा है
    play 30 فَطَوَّعَتْ لَهُ نَفْسُهُ قَتْلَ أَخِيهِ فَقَتَلَهُ فَأَصْبَحَ مِنَ الْخَاسِرِينَ
    तो उसके नफ़्स ने उसे भाई के क़त्ल का चाव दिलाया तो उसे क़त्ल करदिया तो रह गया नुक़सान में
    play 31 فَبَعَثَ اللَّهُ غُرَابًا يَبْحَثُ فِي الْأَرْضِ لِيُرِيَهُ كَيْفَ يُوَارِي سَوْءَةَ أَخِيهِ قَالَ يَا وَيْلَتَا أَعَجَزْتُ أَنْ أَكُونَ مِثْلَ هَذَا الْغُرَابِ فَأُوَارِيَ سَوْءَةَ أَخِي فَأَصْبَحَ مِنَ النَّادِمِينَ
    तो अल्लाह ने एक कौवा भेजा ज़मीन कुरेदता कि उसे दिखाए क्योंकर अपने भाई की लाश छुपाए बोला हाय ख़राबी, मैं इस कौवे जैसा भी न होसका कि मैं अपने भाई की लाश छुपाता तो पछताता रह गया
    play 32 مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ كَتَبْنَا عَلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ أَنَّهُ مَنْ قَتَلَ نَفْسًا بِغَيْرِ نَفْسٍ أَوْ فَسَادٍ فِي الْأَرْضِ فَكَأَنَّمَا قَتَلَ النَّاسَ جَمِيعًا وَمَنْ أَحْيَاهَا فَكَأَنَّمَا أَحْيَا النَّاسَ جَمِيعًا وَلَقَدْ جَاءَتْهُمْ رُسُلُنَا بِالْبَيِّنَاتِ ثُمَّ إِنَّ كَثِيرًا مِنْهُمْ بَعْدَ ذَلِكَ فِي الْأَرْضِ لَمُسْرِفُونَ
    इस सबब से हमने बनी इस्राईल पर लिख दिया कि जिसने कोई जान क़त्ल की बग़ैर जान के बदले या ज़मीन में फ़साद के तो गोया उसने सब लोगों को क़त्ल किया और जिसने एक जान को जिला लिया उसने गोया सब लोगों को जिला लिया और बेशक उनके पास हमारे रसूल रौशन दलिलों के साथ आए फिर बेशक उनमें बहुत उसके बाद ज़मीन में ज़ियादती करने वाले हैं
    play 33 إِنَّمَا جَزَاءُ الَّذِينَ يُحَارِبُونَ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَيَسْعَوْنَ فِي الْأَرْضِ فَسَادًا أَنْ يُقَتَّلُوا أَوْ يُصَلَّبُوا أَوْ تُقَطَّعَ أَيْدِيهِمْ وَأَرْجُلُهُمْ مِنْ خِلَافٍ أَوْ يُنْفَوْا مِنَ الْأَرْضِ ذَلِكَ لَهُمْ خِزْيٌ فِي الدُّنْيَا وَلَهُمْ فِي الْآخِرَةِ عَذَابٌ عَظِيمٌ
    वो कि अल्लाह और उसके रसूल से लङते और मुल्क में फ़साद करते फिरते हैं उनका बदला यही है कि गिन गिन कर क़त्ल किये जाएं या सूली दिये जाएं या उनके एक तरफ़ के हाथ और दूसरी तरफ़ के पाँव काटे जाएं या ज़मीन से दूर कर दिये जाएं, यह दुनिया में उनकी रूस्वाई है और आख़िरत में उनके लिये बङा अज़ाब
    play 34 إِلَّا الَّذِينَ تَابُوا مِنْ قَبْلِ أَنْ تَقْدِرُوا عَلَيْهِمْ فَاعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
    मगर वो जिन्होंने तौबह करली इससे पहले कि तुम उनपर क़ाबू पाओ तो जान लो कि अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है
    play 35 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَابْتَغُوا إِلَيْهِ الْوَسِيلَةَ وَجَاهِدُوا فِي سَبِيلِهِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
    ऐ ईमान वालो अल्लाह से डरो और उसकी तरफ़ वसीला ढूंडो और उसकी राह में जिहाद करो इस उम्मीद पर कि फ़लाह (भलाई) पाओ
    play 36 إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا لَوْ أَنَّ لَهُمْ مَا فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا وَمِثْلَهُ مَعَهُ لِيَفْتَدُوا بِهِ مِنْ عَذَابِ يَوْمِ الْقِيَامَةِ مَا تُقُبِّلَ مِنْهُمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
    बेशक वा जो काफ़िर हुए जो कुछ ज़मीन में सब और उसकी बराबर और अगर उनकी मिल्क हो कि उसे देकर क़यामत के अज़ाब से अपनी जान छुङाएं तो उनसे न लिया जाएगा और उनके लिये दुख का अज़ाब है
    play 37 يُرِيدُونَ أَنْ يَخْرُجُوا مِنَ النَّارِ وَمَا هُمْ بِخَارِجِينَ مِنْهَا وَلَهُمْ عَذَابٌ مُقِيمٌ
    दोज़ख़ से निकलना चाहेंगे और वो उससे न निकलेंगे और उनको दवामी (स्थाई) सज़ा है
    play 38 وَالسَّارِقُ وَالسَّارِقَةُ فَاقْطَعُوا أَيْدِيَهُمَا جَزَاءً بِمَا كَسَبَا نَكَالًا مِنَ اللَّهِ وَاللَّهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
    और जो मर्द या औरत चोर हो तो उनके हाथ काटो उनके किये का बदला अल्लाह की तरफ़ से सज़ा और अल्लाह ग़ालिब हिकमत वाला है
    play 39 فَمَنْ تَابَ مِنْ بَعْدِ ظُلْمِهِ وَأَصْلَحَ فَإِنَّ اللَّهَ يَتُوبُ عَلَيْهِ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
    तो जो अपने ज़ुल्म के बाद तौबह करे और संवर जाए तो अल्लाह अपनी मेहर (अनुकम्पा) से उसपर रूजू फ़रमाएगा बेशक अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है
    play 40 أَلَمْ تَعْلَمْ أَنَّ اللَّهَ لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ يُعَذِّبُ مَنْ يَشَاءُ وَيَغْفِرُ لِمَنْ يَشَاءُ وَاللَّهُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
    क्या तुझे मालूम नहीं कि अल्लाह के लिये है आसमानों और ज़मीन की बादशाही, सज़ा देता है जिसे चाहे और बख़्श्ता है जिसे चाहे और अल्लाह सब कुछ कर सकता है
    play 41 يَا أَيُّهَا الرَّسُولُ لَا يَحْزُنْكَ الَّذِينَ يُسَارِعُونَ فِي الْكُفْرِ مِنَ الَّذِينَ قَالُوا آمَنَّا بِأَفْوَاهِهِمْ وَلَمْ تُؤْمِنْ قُلُوبُهُمْ وَمِنَ الَّذِينَ هَادُوا سَمَّاعُونَ لِلْكَذِبِ سَمَّاعُونَ لِقَوْمٍ آخَرِينَ لَمْ يَأْتُوكَ يُحَرِّفُونَ الْكَلِمَ مِنْ بَعْدِ مَوَاضِعِهِ يَقُولُونَ إِنْ أُوتِيتُمْ هَذَا فَخُذُوهُ وَإِنْ لَمْ تُؤْتَوْهُ فَاحْذَرُوا وَمَنْ يُرِدِ اللَّهُ فِتْنَتَهُ فَلَنْ تَمْلِكَ لَهُ مِنَ اللَّهِ شَيْئًا أُولَئِكَ الَّذِينَ لَمْ يُرِدِ اللَّهُ أَنْ يُطَهِّرَ قُلُوبَهُمْ لَهُمْ فِي الدُّنْيَا خِزْيٌ وَلَهُمْ فِي الْآخِرَةِ عَذَابٌ عَظِيمٌ
    ऐ रसूल तुम्हें ग़मगीन (दुखी) न करें वो जो कुफ्र पर दोड़ते हैं कुछ वो जो अपने मुंह से कहते हैं हम ईमान लाए और उनके दिल मुसलमान नहीं और कुछ यहूदी झूठ ख़ूब सुनते हैं और लोगों की ख़ूब सुनते हैं जो तुम्हारे पास हाज़िर न हुए अल्लाह की बातों को उनके ठिकानो के बाद बदल देते हैं कहते हैं यह हुक्म तुम्हें मिले तो मानो और यह न मिले तो बचो और जिसे अल्लाह गुमराह करना चाहे तो हरगिज़ तू अल्लाह से उसका कुछ बना न सकेगा वो हैं कि अल्लाह ने उनका दिल पाक करना न चाहा उन्हें दुनिया में रूस्वाई है और उन्हें आख़िरत में बड़ा अज़ाब
    play 42 سَمَّاعُونَ لِلْكَذِبِ أَكَّالُونَ لِلسُّحْتِ فَإِنْ جَاءُوكَ فَاحْكُمْ بَيْنَهُمْ أَوْ أَعْرِضْ عَنْهُمْ وَإِنْ تُعْرِضْ عَنْهُمْ فَلَنْ يَضُرُّوكَ شَيْئًا وَإِنْ حَكَمْتَ فَاحْكُمْ بَيْنَهُمْ بِالْقِسْطِ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُقْسِطِينَ
    बड़े झूठ सुनने वाले, बड़े हरामख़ोर तो अगर तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों तो उनमें फैसला फ़रमाओ या उनसे मुंह फेर लो और अगर तुम उनसे मुंह फेर लोगे तो वो तुम्हारा कुछ न बिगाड़ेंगे और अगर उनमें फैसला फ़रमाओ तो इन्साफ़ से फ़ैसला करो बेशक इन्साफ़ वाले अल्लाह को पसन्द हैं
    play 43 وَكَيْفَ يُحَكِّمُونَكَ وَعِنْدَهُمُ التَّوْرَاةُ فِيهَا حُكْمُ اللَّهِ ثُمَّ يَتَوَلَّوْنَ مِنْ بَعْدِ ذَلِكَ وَمَا أُولَئِكَ بِالْمُؤْمِنِينَ
    और वो तुमसे क्योंकर फै़सला चाहेंगे हालांकि उनके पास तौरात है जिसमें अल्लाह का हुक्म मौजूद है बाईं हमा उसी से मुंह फेरते हैं और वो ईमान लाने वाले नहीं
    play 44 إِنَّا أَنْزَلْنَا التَّوْرَاةَ فِيهَا هُدًى وَنُورٌ يَحْكُمُ بِهَا النَّبِيُّونَ الَّذِينَ أَسْلَمُوا لِلَّذِينَ هَادُوا وَالرَّبَّانِيُّونَ وَالْأَحْبَارُ بِمَا اسْتُحْفِظُوا مِنْ كِتَابِ اللَّهِ وَكَانُوا عَلَيْهِ شُهَدَاءَ فَلَا تَخْشَوُا النَّاسَ وَاخْشَوْنِ وَلَا تَشْتَرُوا بِآيَاتِي ثَمَنًا قَلِيلًا وَمَنْ لَمْ يَحْكُمْ بِمَا أَنْزَلَ اللَّهُ فَأُولَئِكَ هُمُ الْكَافِرُونَ
    बेशक हमने तौरात उतारी उसमें हिदायत और नूर है उसके मुताबिक़ यहूद को हुक्म देते थे हमारे फ़रमाँबरदार नबी और आलिम और फ़कीह (धर्मशास्त्री) कि उनसे किताब अल्ल्लाह की हिफ़ाज़त चाही गई थी और वो उसपर गवाह थे तो लोगों से खौफ न करो और मुझसे डरो और मेरी आयतों के बदले ज़लील क़ीमत न लो और जो अल्लाह के उतारे पर हुक्म न करे वही लोग काफ़िर हैं
    play 45 وَكَتَبْنَا عَلَيْهِمْ فِيهَا أَنَّ النَّفْسَ بِالنَّفْسِ وَالْعَيْنَ بِالْعَيْنِ وَالْأَنْفَ بِالْأَنْفِ وَالْأُذُنَ بِالْأُذُنِ وَالسِّنَّ بِالسِّنِّ وَالْجُرُوحَ قِصَاصٌ فَمَنْ تَصَدَّقَ بِهِ فَهُوَ كَفَّارَةٌ لَهُ وَمَنْ لَمْ يَحْكُمْ بِمَا أَنْزَلَ اللَّهُ فَأُولَئِكَ هُمُ الظَّالِمُونَ
    और हमने तौरात में उनपर वाजिब किया कि जान के बदले जान और आँख के बदले आँख और नाक के बदले नाक और कान के बदले कान और दांत के बदले दांत और ज़ख़्मों में बदला है फिर जो दिल की ख़ुशी से बदला करा दे तो वह उसका गुनाह उतार देगा और जो अल्लाह के उतारे पर हुक्म न करे तो वही लोग ज़ालिम हैं
    play 46 وَقَفَّيْنَا عَلَى آثَارِهِمْ بِعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ مُصَدِّقًا لِمَا بَيْنَ يَدَيْهِ مِنَ التَّوْرَاةِ وَآتَيْنَاهُ الْإِنْجِيلَ فِيهِ هُدًى وَنُورٌ وَمُصَدِّقًا لِمَا بَيْنَ يَدَيْهِ مِنَ التَّوْرَاةِ وَهُدًى وَمَوْعِظَةً لِلْمُتَّقِينَ
    और हम उन नबियों के पीछे उनके निशाने क़दम (पदचिन्ह) पर ईसा बिन मरयम को लाए, तस्दीक़ (पुष्टि) करता हुआ तौरात की जो उससे पहले थी और हमने उसे इंजील अता की जिसमें हिदायत और नूर है और तस्दीक़ फ़रमाती है तौरात की कि उससे पहले थे और हिदायत और नसीहत परहेज़गारों को
    play 47 وَلْيَحْكُمْ أَهْلُ الْإِنْجِيلِ بِمَا أَنْزَلَ اللَّهُ فِيهِ وَمَنْ لَمْ يَحْكُمْ بِمَا أَنْزَلَ اللَّهُ فَأُولَئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ
    और चाहिये की इंजिल वाले हुक्म करें उसपर जो अल्लाह ने उसमें उतारा और जो अल्लाह के उतारे पर हुक्म न करें तो वही लोग फ़ासिक़ (दुराचारी) हैं
    play 48 وَأَنْزَلْنَا إِلَيْكَ الْكِتَابَ بِالْحَقِّ مُصَدِّقًا لِمَا بَيْنَ يَدَيْهِ مِنَ الْكِتَابِ وَمُهَيْمِنًا عَلَيْهِ فَاحْكُمْ بَيْنَهُمْ بِمَا أَنْزَلَ اللَّهُ وَلَا تَتَّبِعْ أَهْوَاءَهُمْ عَمَّا جَاءَكَ مِنَ الْحَقِّ لِكُلٍّ جَعَلْنَا مِنْكُمْ شِرْعَةً وَمِنْهَاجًا وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ لَجَعَلَكُمْ أُمَّةً وَاحِدَةً وَلَكِنْ لِيَبْلُوَكُمْ فِي مَا آتَاكُمْ فَاسْتَبِقُوا الْخَيْرَاتِ إِلَى اللَّهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِيعًا فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ فِيهِ تَخْتَلِفُونَ
    और ऐ मेहबूब हमने तुम्हारी तरफ़ सच्ची किताब उतारी अगली किताबों की तस्दीक़ फ़रमाती और उनपर मुहाफिज़ व गवाह तो उनमें फ़ैसला करो अल्लाह के उतारे से और ऐ सुनने वाले उनकी ख़्वाहिशों की पैरवी न करना अपने पास आया हुआ हक़ (सत्य) छोड़कर, हमने तुम सबके लिये एक एक शरीअत और रास्ता रखा और अल्लाह चाहता तो तुम सबको एक ही उम्मत कर देता मगर मंजूर यह है कि जो कुछ तुम्हें दिया उसमें तुम्हें आज़माए तो भलाईयों की तरफ़ सबक़त (पहल करो) चाहो तुम सबका फिरना अल्लाह ही की तरफ़ है तो वह तुम्हें बता देगा जिस बात में तुम झगड़ते थे
    play 49 وَأَنِ احْكُمْ بَيْنَهُمْ بِمَا أَنْزَلَ اللَّهُ وَلَا تَتَّبِعْ أَهْوَاءَهُمْ وَاحْذَرْهُمْ أَنْ يَفْتِنُوكَ عَنْ بَعْضِ مَا أَنْزَلَ اللَّهُ إِلَيْكَ فَإِنْ تَوَلَّوْا فَاعْلَمْ أَنَّمَا يُرِيدُ اللَّهُ أَنْ يُصِيبَهُمْ بِبَعْضِ ذُنُوبِهِمْ وَإِنَّ كَثِيرًا مِنَ النَّاسِ لَفَاسِقُونَ
    और यह कि ऐ मुसलमान अल्लाह के उतारे पर हुक्म कर और उनकी ख़्वाहिशों पर न चल और उनसे बचता रह कि कहीं तुझे लग़ज़िश (डगमगा) न दे दें किसी हुक्म में जो तेरी तरफ़ उतरा फिर अगर वो मुंह फेरें तो जान लो कि अल्लाह उनके कुछ गुनाहों की सज़ा उनको पहुंचाता है और बेशक बहुत आदमी बेहुक्म हैं
    play 50 أَفَحُكْمَ الْجَاهِلِيَّةِ يَبْغُونَ وَمَنْ أَحْسَنُ مِنَ اللَّهِ حُكْمًا لِقَوْمٍ يُوقِنُونَ
    तो क्या जाहिलियत (अज्ञानता) का हुक्म चाहते हैं और अल्लाह से बेहतर किसका हुक्म यक़ीन वालोंके लिये
    play 51 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَتَّخِذُوا الْيَهُودَ وَالنَّصَارَى أَوْلِيَاءَ بَعْضُهُمْ أَوْلِيَاءُ بَعْضٍ وَمَنْ يَتَوَلَّهُمْ مِنْكُمْ فَإِنَّهُ مِنْهُمْ إِنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ
    ऐ ईमान वालो यहूदियों और ईसाइयों को दोस्त न बनाओ वो आपस में एक दूसरे के दोस्त हैं और तुम में जो कोई उनसे दोस्ती रखेगा तो वह उन्हीं में से है बेशक अल्लाह बे इन्साफ़ों को राह नहीं देता
    play 52 فَتَرَى الَّذِينَ فِي قُلُوبِهِمْ مَرَضٌ يُسَارِعُونَ فِيهِمْ يَقُولُونَ نَخْشَى أَنْ تُصِيبَنَا دَائِرَةٌ فَعَسَى اللَّهُ أَنْ يَأْتِيَ بِالْفَتْحِ أَوْ أَمْرٍ مِنْ عِنْدِهِ فَيُصْبِحُوا عَلَى مَا أَسَرُّوا فِي أَنْفُسِهِمْ نَادِمِينَ
    अब तुम उन्हें देखोगे जिनके दिलों में आज़ारहै कि यहूद और नसारा (ईसाई) की तरफ़ दौड़ते हैं और कहते हैं हम डरते हैं कि हम पर कोई गर्दिश (मुसीबत) आजाए तो नज़दीक है कि अल्लाह फ़त्ह (विजय) लाए या अपनी तरफ़ से कोई हुक्म फिर उस पर जो अपने दिलों में छुपाया था पछताते रह जाएं
    play 53 وَيَقُولُ الَّذِينَ آمَنُوا أَهَؤُلَاءِ الَّذِينَ أَقْسَمُوا بِاللَّهِ جَهْدَ أَيْمَانِهِمْ إِنَّهُمْ لَمَعَكُمْ حَبِطَتْ أَعْمَالُهُمْ فَأَصْبَحُوا خَاسِرِينَ
    ईमान वाले कहते है क्या यही हैं जिन्होंने अल्लाह की क़सम खाई थी अपने हलफ़ मे पुरी कोशिश से कि वो तुम्हारे साथ हैं, उनका किया धरा सब अकारत गया तो रह गए नुक़सान में
    play 54 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا مَنْ يَرْتَدَّ مِنْكُمْ عَنْ دِينِهِ فَسَوْفَ يَأْتِي اللَّهُ بِقَوْمٍ يُحِبُّهُمْ وَيُحِبُّونَهُ أَذِلَّةٍ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ أَعِزَّةٍ عَلَى الْكَافِرِينَ يُجَاهِدُونَ فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَلَا يَخَافُونَ لَوْمَةَ لَائِمٍ ذَلِكَ فَضْلُ اللَّهِ يُؤْتِيهِ مَنْ يَشَاءُ وَاللَّهُ وَاسِعٌ عَلِيمٌ
    ऐ ईमान वालो तुम में जो कोई अपने दीन से फिरेगा तो अन्क़रीब अल्लाह ऐसे लोग लाएगा कि वो अल्लाह के प्यारे और अल्लाह उनका प्यारा, मुसलमानों पर नर्म और काफ़िरों पर सख़्त अल्लाह की राह में लड़ेंगे और किसी मलामत (भतर्सना) करने वाले की मलामत का अन्देशा (भय) न करेंगे यह अल्लाह का फ़ज़्ल है जिसे चाहे दे, और अल्लाह वुसअत वाला इल्म वाला है
    play 55 إِنَّمَا وَلِيُّكُمُ اللَّهُ وَرَسُولُهُ وَالَّذِينَ آمَنُوا الَّذِينَ يُقِيمُونَ الصَّلَاةَ وَيُؤْتُونَ الزَّكَاةَ وَهُمْ رَاكِعُونَ
    तुम्हारे दोस्त नहीं मगर अल्लाह और उसका रसूल और ईमान वाले कि नमाज़ क़ायम रखते हैं और ज़कात देते हैं और अल्लाह के हुज़ूर झुके हुए हैं
    play 56 وَمَنْ يَتَوَلَّ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَالَّذِينَ آمَنُوا فَإِنَّ حِزْبَ اللَّهِ هُمُ الْغَالِبُونَ
    और जो अल्लाह और उसके रसूल और मुसलमानों को अपना दोस्त बनाए तो बेशक अल्लाह ही का गिरोह ग़ालिब है
    play 57 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَتَّخِذُوا الَّذِينَ اتَّخَذُوا دِينَكُمْ هُزُوًا وَلَعِبًا مِنَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَالْكُفَّارَ أَوْلِيَاءَ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ
    ऐ ईमान वालो जिन्होंने तुम्हारे दीन को हंसी खेल बना लिया है वो जो तुमसे पहले किताब दिये गए और काफ़िर उनमें किसी को अपना दोस्त न बनाओ और अल्लाह से डरते रहो अगर ईमान रखते हो
    play 58 وَإِذَا نَادَيْتُمْ إِلَى الصَّلَاةِ اتَّخَذُوهَا هُزُوًا وَلَعِبًا ذَلِكَ بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَا يَعْقِلُونَ
    और जब तुम नमाज़ के लिये अज़ान दो तो उसे हंसी खेल बनाते हैं यह इसलिये कि वो निरे बे अक़्ल लोग हैं
    play 59 قُلْ يَا أَهْلَ الْكِتَابِ هَلْ تَنْقِمُونَ مِنَّا إِلَّا أَنْ آمَنَّا بِاللَّهِ وَمَا أُنْزِلَ إِلَيْنَا وَمَا أُنْزِلَ مِنْ قَبْلُ وَأَنَّ أَكْثَرَكُمْ فَاسِقُونَ
    तुम फ़रमाओ ऐ किताबियों तुम्हें हमारा क्या बुरा लगा यही न कि हम ईमान लाए अल्लाह पर और उसपर जो हमारी तरफ़ उतरा और उसपर जो पहले उतरा और यह कि तुम में अक्सर बेहुक्म हैं
    play 60 قُلْ هَلْ أُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِنْ ذَلِكَ مَثُوبَةً عِنْدَ اللَّهِ مَنْ لَعَنَهُ اللَّهُ وَغَضِبَ عَلَيْهِ وَجَعَلَ مِنْهُمُ الْقِرَدَةَ وَالْخَنَازِيرَ وَعَبَدَ الطَّاغُوتَ أُولَئِكَ شَرٌّ مَكَانًا وَأَضَلُّ عَنْ سَوَاءِ السَّبِيلِ
    तुम फ़रमाओ क्या मैं बतादूं जो अल्लाह के यहाँ इससे बदतर दर्जे में हैं वो जिनपर अल्लाह ने लअनत की और उन पर ग़ज़ब फ़रमाया और उनमें से कर दिया बन्दर और सुअर और शैतान के पुजारी उनका ठिकाना ज़्यादा बुरा है और ये सीधी राह से ज़्यादा बहके
    play 61 وَإِذَا جَاءُوكُمْ قَالُوا آمَنَّا وَقَدْ دَخَلُوا بِالْكُفْرِ وَهُمْ قَدْ خَرَجُوا بِهِ وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا كَانُوا يَكْتُمُونَ
    और जब तुम्हारे पास आए तो कहते हैं हम मुसलमान हैं और वो आते वक़्त भी काफ़िर थे और जाते वक़्त भी काफ़िर और अल्लाह ख़ूब जानता है जो छुपा रहे हैं
    play 62 وَتَرَى كَثِيرًا مِنْهُمْ يُسَارِعُونَ فِي الْإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَأَكْلِهِمُ السُّحْتَ لَبِئْسَ مَا كَانُوا يَعْمَلُونَ
    और उन में तुम बहुतों को देखोगे कि गुनाह और ज़ियादती और हरामख़ोरी पर दौड़ते हैं बेशक बहुत ही बुरे काम करते हैं
    play 63 لَوْلَا يَنْهَاهُمُ الرَّبَّانِيُّونَ وَالْأَحْبَارُ عَنْ قَوْلِهِمُ الْإِثْمَ وَأَكْلِهِمُ السُّحْتَ لَبِئْسَ مَا كَانُوا يَصْنَعُونَ
    इन्हें क्यों नहीं मना करते उनके पादरी, और दर्वेश गुनाह की बात कहने और हराम खाने से बेशक बहुत ही बुरे काम कर रहे हैं
    play 64 وَقَالَتِ الْيَهُودُ يَدُ اللَّهِ مَغْلُولَةٌ غُلَّتْ أَيْدِيهِمْ وَلُعِنُوا بِمَا قَالُوا بَلْ يَدَاهُ مَبْسُوطَتَانِ يُنْفِقُ كَيْفَ يَشَاءُ وَلَيَزِيدَنَّ كَثِيرًا مِنْهُمْ مَا أُنْزِلَ إِلَيْكَ مِنْ رَبِّكَ طُغْيَانًا وَكُفْرًا وَأَلْقَيْنَا بَيْنَهُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاءَ إِلَى يَوْمِ الْقِيَامَةِ كُلَّمَا أَوْقَدُوا نَارًا لِلْحَرْبِ أَطْفَأَهَا اللَّهُ وَيَسْعَوْنَ فِي الْأَرْضِ فَسَادًا وَاللَّهُ لَا يُحِبُّ الْمُفْسِدِينَ
    और यहूदी बोले अल्लाह का हाथ बंधा हुआ है उन्ही के हाथ बांधे जाएं और उनपर इस कहने से लअनत है बल्कि उसके हाथ कुशादा हैं अता फ़रमाता है जैसे चाहे और ऐ मेहबूब ये जो तुम्हारी तरफ़ तुम्हारे रब के पास से उतरा उससे उनमें बहुतों को शरारत और कुफ्र में तरक़्क़ी होगी और उन में हम ने क़्यामत तक आपस में दुश्मनी बैर डाल दिया जब कभी लड़ाई की आग भड़काते हैं अल्लाह उसे बुझा देता है और ज़मीन में फ़साद के लिये दौड़ते फिरते हैं और अल्लाह फ़सादियों को नहीं चाहता
    play 65 وَلَوْ أَنَّ أَهْلَ الْكِتَابِ آمَنُوا وَاتَّقَوْا لَكَفَّرْنَا عَنْهُمْ سَيِّئَاتِهِمْ وَلَأَدْخَلْنَاهُمْ جَنَّاتِ النَّعِيمِ
    और अगर किताब वाले ईमान लाते और परहेज़गारी करते तो ज़रूर हम उनके गुनाह उतार देते और ज़रूर उन्हें चैन के बाग़ों में ले जाते
    play 66 وَلَوْ أَنَّهُمْ أَقَامُوا التَّوْرَاةَ وَالْإِنْجِيلَ وَمَا أُنْزِلَ إِلَيْهِمْ مِنْ رَبِّهِمْ لَأَكَلُوا مِنْ فَوْقِهِمْ وَمِنْ تَحْتِ أَرْجُلِهِمْ مِنْهُمْ أُمَّةٌ مُقْتَصِدَةٌ وَكَثِيرٌ مِنْهُمْ سَاءَ مَا يَعْمَلُونَ
    और अगर क़ायम रखते तौरात और इंजील और जो कुछ उनकी तरफ़ उनके रब की तरफ़ से उतरा तो उन्हें रिज़्क मिलता ऊपर से और उनके पांव के नीचे से उनमें कोई गिरोह (दल) एतिदाल (संतुलन) पर है और उनमें अक्सर बहुत ही बुरे काम कर रहे हैं
    play 67 يَا أَيُّهَا الرَّسُولُ بَلِّغْ مَا أُنْزِلَ إِلَيْكَ مِنْ رَبِّكَ وَإِنْ لَمْ تَفْعَلْ فَمَا بَلَّغْتَ رِسَالَتَهُ وَاللَّهُ يَعْصِمُكَ مِنَ النَّاسِ إِنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الْكَافِرِينَ
    ऐ रसूल पहुंचा दो जो कुछ उतरा तुम्हें तुम्हारे रब की तरफ़ से और ऐसा न हो तो तुम ने उसका कोइ पयाम (संदेश) न पहुंचाया और अल्लाह तुम्हारी निगहबानी करेगा लोगों से बेशक अल्लाह काफ़िरों को राह नहीं देता
    play 68 قُلْ يَا أَهْلَ الْكِتَابِ لَسْتُمْ عَلَى شَيْءٍ حَتَّى تُقِيمُوا التَّوْرَاةَ وَالْإِنْجِيلَ وَمَا أُنْزِلَ إِلَيْكُمْ مِنْ رَبِّكُمْ وَلَيَزِيدَنَّ كَثِيرًا مِنْهُمْ مَا أُنْزِلَ إِلَيْكَ مِنْ رَبِّكَ طُغْيَانًا وَكُفْرًا فَلَا تَأْسَ عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
    तुम फ़रमादो ऐ किताबियों तुम कुछ भी नहीं हो जब तक न क़ायम करो तौरात और इंजिल और जो कुछ तुम्हारी तरफ़ तुम्हारे रब के पास से उतरा और बेशक ऐ मेहबूब वह जो तुम्हारी तरफ़ तुम्हारे रब के पास से उतरा उस से उनमें बहुतों को शरारत और कुफ़्र की और तरक़्की होगी तो तुम काफिरों का कुछ ग़म न खाओ
    play 69 إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَالَّذِينَ هَادُوا وَالصَّابِئُونَ وَالنَّصَارَى مَنْ آمَنَ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ وَعَمِلَ صَالِحًا فَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ
    बेशक वो जो अपने आपको मुसलमान कहते हैं और इसी तरह यहूदी और सितारा परस्त और नस्रानी, इनमें जो कोई सच्चे दिल से अल्लाह व क़यामत पर ईमान लाए और अच्छे काम करे तो उनपर न कुछ अन्देशा है और न कुछ ग़म
    play 70 لَقَدْ أَخَذْنَا مِيثَاقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَأَرْسَلْنَا إِلَيْهِمْ رُسُلًا كُلَّمَا جَاءَهُمْ رَسُولٌ بِمَا لَا تَهْوَى أَنْفُسُهُمْ فَرِيقًا كَذَّبُوا وَفَرِيقًا يَقْتُلُونَ
    बेशक हमने बनी इस्राईल से एहद लिया और उनकी तरफ़ रसूल भेजे जब कभी उनके पास कोई रसूल वह बात लेकर आया जो उनके नफ़्स की ख़्वाहिश न थी एक गिरोह को झुटलाया और एक गिरोह को शहीद करते हैं
    play 71 وَحَسِبُوا أَلَّا تَكُونَ فِتْنَةٌ فَعَمُوا وَصَمُّوا ثُمَّ تَابَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ ثُمَّ عَمُوا وَصَمُّوا كَثِيرٌ مِنْهُمْ وَاللَّهُ بَصِيرٌ بِمَا يَعْمَلُونَ
    और इस ग़ुमान में रहे कि कोई सज़ा न होगी तो अंधे और बेहरे हो गए फिर अल्लाह ने उनकी तौबह क़ुबूल की फिर उनमें बहुतेरे अंधे और बेहरे हो गए और अल्लाह उनके काम देख रहा है
    play 72 لَقَدْ كَفَرَ الَّذِينَ قَالُوا إِنَّ اللَّهَ هُوَ الْمَسِيحُ ابْنُ مَرْيَمَ وَقَالَ الْمَسِيحُ يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ اعْبُدُوا اللَّهَ رَبِّي وَرَبَّكُمْ إِنَّهُ مَنْ يُشْرِكْ بِاللَّهِ فَقَدْ حَرَّمَ اللَّهُ عَلَيْهِ الْجَنَّةَ وَمَأْوَاهُ النَّارُ وَمَا لِلظَّالِمِينَ مِنْ أَنْصَارٍ
    बेशक काफ़िर हैं वो जो कहते हैं कि अल्लाह वही मसीह मरयम का बेटा है और मसीह ने तो यह कहा था ऐ बनी इस्राईल अल्लाह की बन्दगी करो जो मेरा रब है और तुम्हारा रब. बेशक जो अल्लाह का शरीक ठहराए तो अल्लाह ने उसपर जन्नत हराम करदी और उसका ठिकाना दोज़ख़ है.और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं
    play 73 لَقَدْ كَفَرَ الَّذِينَ قَالُوا إِنَّ اللَّهَ ثَالِثُ ثَلَاثَةٍ وَمَا مِنْ إِلَهٍ إِلَّا إِلَهٌ وَاحِدٌ وَإِنْ لَمْ يَنْتَهُوا عَمَّا يَقُولُونَ لَيَمَسَّنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
    बेशक काफ़िर हैं वो जो कहते हैं अल्लाह तीन ख़ुदाओ में का तीसरा हैं और ख़ुदा तो नहीं मगर एक ख़ुदा और अगर अपनी बात से बाज़ न आए तो जो उनमें काफ़िर मरेंगे उनको ज़रूर दर्दनाक अज़ाब पहुंचेगा
    play 74 أَفَلَا يَتُوبُونَ إِلَى اللَّهِ وَيَسْتَغْفِرُونَهُ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ
    तो क्यों नहीं रूजू करते अल्लाह की तरफ़ और उससे बख़्शिश मांगते और अल्लाह बख़्श्ने वाला मेहरबान
    play 75 مَا الْمَسِيحُ ابْنُ مَرْيَمَ إِلَّا رَسُولٌ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِ الرُّسُلُ وَأُمُّهُ صِدِّيقَةٌ كَانَا يَأْكُلَانِ الطَّعَامَ انْظُرْ كَيْفَ نُبَيِّنُ لَهُمُ الْآيَاتِ ثُمَّ انْظُرْ أَنَّى يُؤْفَكُونَ
    मसीह इब्ने मरयम नहीं मगर एक रसूल उससे पहले बहुत रसूल हो गुज़रे और उसकी माँ सिद्दीक़ा ( सच्ची) है दोनो खाना खाते थे देखो तो हम कैसी साफ़ निशानियां इनके लिये बयान करते हैं फिर देखो वो कैसे औंधे जाते है
    play 76 قُلْ أَتَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ مَا لَا يَمْلِكُ لَكُمْ ضَرًّا وَلَا نَفْعًا وَاللَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
    तुम फ़रमाओ क्या अल्लाह के सिवा ऐसे को पूजते हो जो तुम्हारे नुक़सान का मालिक न नफ़ा का और अल्लाह ही सुनता जानता है
    play 77 قُلْ يَا أَهْلَ الْكِتَابِ لَا تَغْلُوا فِي دِينِكُمْ غَيْرَ الْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعُوا أَهْوَاءَ قَوْمٍ قَدْ ضَلُّوا مِنْ قَبْلُ وَأَضَلُّوا كَثِيرًا وَضَلُّوا عَنْ سَوَاءِ السَّبِيلِ
    तुम फ़रमाओ ऐ किताब वालो अपने दीन में नाहक़ ज़ियादती न करो और ऐसे लोगों की ख़्वाहिश पर न चलो जो पहले गुमराह हो चुके और बहुतो को गुमराह किया और सीधी राह बहक गए
    play 78 لُعِنَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَلَى لِسَانِ دَاوُودَ وَعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ ذَلِكَ بِمَا عَصَوْا وَكَانُوا يَعْتَدُونَ
    लअनत किये गए वो जिन्होंने कुफ़्र किया बनी इस्राईल में दाऊद और ईसा बिन मरयम की ज़बान पर ये बदला उनकी नाफ़रमानी और सरकशी का
    play 79 كَانُوا لَا يَتَنَاهَوْنَ عَنْ مُنْكَرٍ فَعَلُوهُ لَبِئْسَ مَا كَانُوا يَفْعَلُونَ
    जो बुरी बात करते आपस में एक दूसरे को न रोकते ज़रूर बहुत ही बुरे काम करते थे
    play 80 تَرَى كَثِيرًا مِنْهُمْ يَتَوَلَّوْنَ الَّذِينَ كَفَرُوا لَبِئْسَ مَا قَدَّمَتْ لَهُمْ أَنْفُسُهُمْ أَنْ سَخِطَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ وَفِي الْعَذَابِ هُمْ خَالِدُونَ
    उनमें तुम बहुतों को देखोगे कि काफ़िरों से दोस्ती करते हैं क्या ही बुरी चीज़ अपने लिये ख़ुद आगे भेजी यह कि अल्लाह का उन पर ग़ज़ब (प्रकोप) हुआ और वो अज़ाब में हमेशा रहेंगे
    play 81 وَلَوْ كَانُوا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَالنَّبِيِّ وَمَا أُنْزِلَ إِلَيْهِ مَا اتَّخَذُوهُمْ أَوْلِيَاءَ وَلَكِنَّ كَثِيرًا مِنْهُمْ فَاسِقُونَ
    और अगर वो ईमान लाते अल्लाह और उन नबी पर और उसपर जो उनकी तरफ़ उतरा तो काफ़िरों से दोस्ती न करते मगर उनमें तो बहुतेरे फ़ासिक़ (दुराचारी) हैं
    play 82 لَتَجِدَنَّ أَشَدَّ النَّاسِ عَدَاوَةً لِلَّذِينَ آمَنُوا الْيَهُودَ وَالَّذِينَ أَشْرَكُوا وَلَتَجِدَنَّ أَقْرَبَهُمْ مَوَدَّةً لِلَّذِينَ آمَنُوا الَّذِينَ قَالُوا إِنَّا نَصَارَى ذَلِكَ بِأَنَّ مِنْهُمْ قِسِّيسِينَ وَرُهْبَانًا وَأَنَّهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُونَ
    ज़रूर तुम मुसलमानों का सबसे बढ़कर दुश्मन यहूदियों और मुश्रिकों को पाओगे और ज़रूर तुम मुसलमानों की दोस्ती में सबसे ज़्यादा क़रीब उनको पाओगे जो कहते थे हम नसारा (ईसाई)हैं यह इसलिये कि उनमें आलिम और दर्वेश (महात्मा)हैं और ये गुरुर नहीं करते
    play 83 وَإِذَا سَمِعُوا مَا أُنْزِلَ إِلَى الرَّسُولِ تَرَى أَعْيُنَهُمْ تَفِيضُ مِنَ الدَّمْعِ مِمَّا عَرَفُوا مِنَ الْحَقِّ يَقُولُونَ رَبَّنَا آمَنَّا فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ
    और जब सुनते हैं वह जो रसूल की तरफ़ उतरा तो उनकी आँखें देखो कि आँसुओं से उबल रही हैं इसलिये कि वो हक़ को पहचान गए कहते हैं ऐ रब हमारे हम ईमान लाए तो हमें हक़ के गवाहों मे लिख ले
    play 84 وَمَا لَنَا لَا نُؤْمِنُ بِاللَّهِ وَمَا جَاءَنَا مِنَ الْحَقِّ وَنَطْمَعُ أَنْ يُدْخِلَنَا رَبُّنَا مَعَ الْقَوْمِ الصَّالِحِينَ
    और हमें क्या हुआ कि हम ईमान न लाएं अल्लाह पर और उस हक़ पर कि हमारे पास आया और हम तमा (लालच) करते हैं कि हमें हमारा रब नेक लोगों के साथ दाख़िल करे
    play 85 فَأَثَابَهُمُ اللَّهُ بِمَا قَالُوا جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا وَذَلِكَ جَزَاءُ الْمُحْسِنِينَ
    तो अल्लाह ने उनके उस कहने के बदले उन्हें बाग़ दिये जिनके नीचे नहरें रवां हमेशा उनमें रहेंगे यह बदला है नेकों का
    play 86 وَالَّذِينَ كَفَرُوا وَكَذَّبُوا بِآيَاتِنَا أُولَئِكَ أَصْحَابُ الْجَحِيمِ
    और वो जिन्होंने कुफ़्र किया और हमारी आयतें झुटलाई वो हैं दोज़ख़ वाले
    play 87 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تُحَرِّمُوا طَيِّبَاتِ مَا أَحَلَّ اللَّهُ لَكُمْ وَلَا تَعْتَدُوا إِنَّ اللَّهَ لَا يُحِبُّ الْمُعْتَدِينَ
    ऐ ईमान वालो हराम न ठहराओ वो सुथरी चीज़ें कि अल्लाह ने तुम्हारे लिये हलाल कीं और हद से न बढ़ो बेशक हद से बढ़ने वाले अल्लाह को नापसन्द हैं
    play 88 وَكُلُوا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللَّهُ حَلَالًا طَيِّبًا وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذِي أَنْتُمْ بِهِ مُؤْمِنُونَ
    और खाओ जो कुछ तुम्हें अल्लाह ने रोज़ी दी हलाल पाकीज़ा और डरो अल्लाह से जिसपर तुम्हें ईमान है
    play 89 لَا يُؤَاخِذُكُمُ اللَّهُ بِاللَّغْوِ فِي أَيْمَانِكُمْ وَلَكِنْ يُؤَاخِذُكُمْ بِمَا عَقَّدْتُمُ الْأَيْمَانَ فَكَفَّارَتُهُ إِطْعَامُ عَشَرَةِ مَسَاكِينَ مِنْ أَوْسَطِ مَا تُطْعِمُونَ أَهْلِيكُمْ أَوْ كِسْوَتُهُمْ أَوْ تَحْرِيرُ رَقَبَةٍ فَمَنْ لَمْ يَجِدْ فَصِيَامُ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ ذَلِكَ كَفَّارَةُ أَيْمَانِكُمْ إِذَا حَلَفْتُمْ وَاحْفَظُوا أَيْمَانَكُمْ كَذَلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُمْ آيَاتِهِ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ
    अल्लाह तुम्हें नहीं पकडता तुम्हारी ग़लतफ़हमी की क़समों पर हाँ उन क़समों पर गिरफ्त फ़रमाता है जिन्हें तुमने मज़बूत किया तो ऐसी क़सम का बदला दस मिस्कीनों (ग़रीवों) को खाना देना अपने घर वालों को जो खिलाते हो उसके औसत में से या उन्हें कपङे देना या एक बुरदा आज़ाद करना तो जो इन में से कुछ न पाए तो तीन दिन के रोज़े यह बदला है तुम्हारी क़समों का जब क़सम खाओ और अपनी क़समों की हिफ़ाज़त करो इसी तरह अल्लाह तुम से अपनी आयतें बयान फ़रमाता है कि कहीं तुम एहसान मानो
    play 90 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّمَا الْخَمْرُ وَالْمَيْسِرُ وَالْأَنْصَابُ وَالْأَزْلَامُ رِجْسٌ مِنْ عَمَلِ الشَّيْطَانِ فَاجْتَنِبُوهُ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
    ऐ ईमान वालो शराब और जुआ और बुत और पांसे नापाक ही हैं शैतानी काम तो इन से बचते रहना कि तुम फलाह पाओ
    play 91 إِنَّمَا يُرِيدُ الشَّيْطَانُ أَنْ يُوقِعَ بَيْنَكُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاءَ فِي الْخَمْرِ وَالْمَيْسِرِ وَيَصُدَّكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللَّهِ وَعَنِ الصَّلَاةِ فَهَلْ أَنْتُمْ مُنْتَهُونَ
    शैतान यही चाहता है कि तुम में बैर और दुश्मनी डलवा वे. शराब और जुए में और तुम्हें अल्लाह की याद और नमाज़ से रोके तो क्या तुम बाज़ आए.
    play 92 وَأَطِيعُوا اللَّهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ وَاحْذَرُوا فَإِنْ تَوَلَّيْتُمْ فَاعْلَمُوا أَنَّمَا عَلَى رَسُولِنَا الْبَلَاغُ الْمُبِينُ
    और हुक्म मानो अल्लाह का और हुक्म मानो रसूल का और होशियार रहो फिर अगर तुम फिर जाओ तो जान लो कि हमारे रसूल का ज़िम्मा सिर्फ़ वाज़ेह तौर पर हुक्म पहुंचा देना है
    play 93 لَيْسَ عَلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ جُنَاحٌ فِيمَا طَعِمُوا إِذَا مَا اتَّقَوْا وَآمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ ثُمَّ اتَّقَوْا وَآمَنُوا ثُمَّ اتَّقَوْا وَأَحْسَنُوا وَاللَّهُ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ
    जो ईमान लाए और नेक काम किये उनपर कुछ गुनाह नहीं है जो कुछ उन्होंने चखा जब कि डरें और ईमान रखें और नेकियां करें फिर डरें और ईमान रखें फिर डरें और नेक रहें और अल्लाह नेकों को दोस्त रखता है
    play 94 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَيَبْلُوَنَّكُمُ اللَّهُ بِشَيْءٍ مِنَ الصَّيْدِ تَنَالُهُ أَيْدِيكُمْ وَرِمَاحُكُمْ لِيَعْلَمَ اللَّهُ مَنْ يَخَافُهُ بِالْغَيْبِ فَمَنِ اعْتَدَى بَعْدَ ذَلِكَ فَلَهُ عَذَابٌ أَلِيمٌ
    ऐ ईमान वालो ज़रूर अल्लाह तुम्हें आज़माएगा ऐसे बा़ज़ शिकार से जिस तक तुम्हारे हाथ और नेज़े (भाले) पहुंचें कि अल्लाह पहचान करा दे उनकी जो उससे बिन देखे डरते हैं फिर इसके बाद जो हद से बढ़े उसके लिये दर्दनाक सजा़ है
    play 95 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَقْتُلُوا الصَّيْدَ وَأَنْتُمْ حُرُمٌ وَمَنْ قَتَلَهُ مِنْكُمْ مُتَعَمِّدًا فَجَزَاءٌ مِثْلُ مَا قَتَلَ مِنَ النَّعَمِ يَحْكُمُ بِهِ ذَوَا عَدْلٍ مِنْكُمْ هَدْيًا بَالِغَ الْكَعْبَةِ أَوْ كَفَّارَةٌ طَعَامُ مَسَاكِينَ أَوْ عَدْلُ ذَلِكَ صِيَامًا لِيَذُوقَ وَبَالَ أَمْرِهِ عَفَا اللَّهُ عَمَّا سَلَفَ وَمَنْ عَادَ فَيَنْتَقِمُ اللَّهُ مِنْهُ وَاللَّهُ عَزِيزٌ ذُو انْتِقَامٍ
    ऐ िईमान वालो शकार न मारो जब तुम एहराम में हो और तुम में से जो उसे जान बूझकर क़त्ल करे तो उसका बदला यह है कि वैसा ही जानवर मवेशी से दे तुम में के दो सिक़ह (विश्वस्त) आदमी उसका हुक्म करें यह क़ुरबानी हो काबा को पहुंचती या कफ़्फ़ारा (प्रायश्चित) दे कुछ मिस्कीनों का खाना या उसके बराबर रोज़े कि अपने काम का वबाल चखो अल्लाह ने माफ़ किया जो हो गुज़रा और जो अब करेगा अल्लाह उससे बदला लेगा और अल्लाह ग़ालिब है बदला लेने वाला
    play 96 أُحِلَّ لَكُمْ صَيْدُ الْبَحْرِ وَطَعَامُهُ مَتَاعًا لَكُمْ وَلِلسَّيَّارَةِ وَحُرِّمَ عَلَيْكُمْ صَيْدُ الْبَرِّ مَا دُمْتُمْ حُرُمًا وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذِي إِلَيْهِ تُحْشَرُونَ
    हलाल है तुम्हारे लिये दरिया का शिकार और उसका खाना तुम्हारे और मुसाफ़िरों के फ़ायदे को और तुम पर हराम है ख़ुश्की का शिकार जब तक तुम एहराम में हो और अल्लाह से डरो जिसकी तरफ़ तुम्हें उठना है
    play 97 جَعَلَ اللَّهُ الْكَعْبَةَ الْبَيْتَ الْحَرَامَ قِيَامًا لِلنَّاسِ وَالشَّهْرَ الْحَرَامَ وَالْهَدْيَ وَالْقَلَائِدَ ذَلِكَ لِتَعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ يَعْلَمُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ وَأَنَّ اللَّهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ
    अल्लाह ने अदब वाले घर का़बे को लोगों के क़याम का बाइस (कारण) किया और हुरमत (इज़्ज़त) वाले महीने और हरम की क़ुरबानी और गले में अलामत (निशानी) आविज़ां जानवरों को यह इसलिये कि तुम यक़ीन करो कि अल्लाह जानता है जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में और यह कि अल्लाह सब कुछ जानता है
    play 98 اعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ وَأَنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
    जानरखो कि अल्लाह का अज़ाब सख़्त है और अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान
    play 99 مَا عَلَى الرَّسُولِ إِلَّا الْبَلَاغُ وَاللَّهُ يَعْلَمُ مَا تُبْدُونَ وَمَا تَكْتُمُونَ
    रसूल पर नहीं मगर हुक्म पहुंचाना और अल्लाह जानता है जो तुम ज़ाहिर करते और जो तुम छुपाते हो .
    play 100 قُلْ لَا يَسْتَوِي الْخَبِيثُ وَالطَّيِّبُ وَلَوْ أَعْجَبَكَ كَثْرَةُ الْخَبِيثِ فَاتَّقُوا اللَّهَ يَا أُولِي الْأَلْبَابِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
    तुम फ़रमादो कि सुथरा और गन्दा बराबर नहीं अगरचे तुझे गन्दे की कसरत (बहुतात) भाए तो अल्लाह से डरते रहो ऐ अक़्ल वालो कि तुम फ़लाह (भलाई) पाओ
    play 101 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَسْأَلُوا عَنْ أَشْيَاءَ إِنْ تُبْدَ لَكُمْ تَسُؤْكُمْ وَإِنْ تَسْأَلُوا عَنْهَا حِينَ يُنَزَّلُ الْقُرْآنُ تُبْدَ لَكُمْ عَفَا اللَّهُ عَنْهَا وَاللَّهُ غَفُورٌ حَلِيمٌ
    ऐ ईमान वालो ऐसी बातें न पूछो जो तुमपर ज़ाहिर की जाएं तो तुम्हें बुरी लगें और अगर उन्हें उस वक़्त पूछोगे कि क़ुरआन उतर रहा है तो तुमपर ज़ाहिर करदी जाएंगी अल्लाह उन्हें माफ़ फरमा चुका है और अल्लाह बख़्शने वाला हिल्म (सहिष्णुता) वाला है
    play 102 قَدْ سَأَلَهَا قَوْمٌ مِنْ قَبْلِكُمْ ثُمَّ أَصْبَحُوا بِهَا كَافِرِينَ
    तुमसे अगली एक क़ौम ने उन्हें पूछा फिर उनसे मुन्कीर हो बैठे
    play 103 مَا جَعَلَ اللَّهُ مِنْ بَحِيرَةٍ وَلَا سَائِبَةٍ وَلَا وَصِيلَةٍ وَلَا حَامٍ وَلَكِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا يَفْتَرُونَ عَلَى اللَّهِ الْكَذِبَ وَأَكْثَرُهُمْ لَا يَعْقِلُونَ
    अल्लाह ने मुक़र्रर नहीं किया है कान चरा हुआ और न बिजार और न वसीला और न हामी हाँ, काफ़िर लोग अल्लाह पर झूठा इफ़तिरा (मिथ्यारोप) बांधते हैं और उनमें से अकसर निरे बेअक़्ल हैं
    play 104 وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ تَعَالَوْا إِلَى مَا أَنْزَلَ اللَّهُ وَإِلَى الرَّسُولِ قَالُوا حَسْبُنَا مَا وَجَدْنَا عَلَيْهِ آبَاءَنَا أَوَلَوْ كَانَ آبَاؤُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ شَيْئًا وَلَا يَهْتَدُونَ
    और जब उनसे कहा जाए आओ उस तरफ़ जो अल्लाह ने उतारा और रसूल की तरफ़ कहें हमें वह बहुत है जिसपर हमने अपने बाप दादा को पाया, क्या अगरचे उनके बाप दादा न कुछ जानें न राह पर हों
    play 105 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا عَلَيْكُمْ أَنْفُسَكُمْ لَا يَضُرُّكُمْ مَنْ ضَلَّ إِذَا اهْتَدَيْتُمْ إِلَى اللَّهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِيعًا فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ
    ऐ ईमान वालो तुम अपनी फ़िक्र रखो तुम्हारा कुछ न बिगाड़ेगा जो गुमराह हुआ जब कि तुम राह पर हो तुम सबकी रूजू (पलटना) अल्लाह ही की तरफ़ है फिर वह तुम्हें बता देगा जो तुम करते थे
    play 106 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا شَهَادَةُ بَيْنِكُمْ إِذَا حَضَرَ أَحَدَكُمُ الْمَوْتُ حِينَ الْوَصِيَّةِ اثْنَانِ ذَوَا عَدْلٍ مِنْكُمْ أَوْ آخَرَانِ مِنْ غَيْرِكُمْ إِنْ أَنْتُمْ ضَرَبْتُمْ فِي الْأَرْضِ فَأَصَابَتْكُمْ مُصِيبَةُ الْمَوْتِ تَحْبِسُونَهُمَا مِنْ بَعْدِ الصَّلَاةِ فَيُقْسِمَانِ بِاللَّهِ إِنِ ارْتَبْتُمْ لَا نَشْتَرِي بِهِ ثَمَنًا وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبَى وَلَا نَكْتُمُ شَهَادَةَ اللَّهِ إِنَّا إِذًا لَمِنَ الْآثِمِينَ
    ऐ ईमान वालो तुम्हारी आपस की गवाही जब तुममे किसी को मौत आए वसीयत करते वक़्त तुम में के दो मोअ़त्तबर शख़्स हैं या ग़ैरों में के दो जब तुम मुल्क में सफ़र को जाओ फिर तुम्हें मौत का हादसा पहुंचे उन दोनों को नमाज़ के बाद रोको वो अल्लाह की क़सम खाएं अगर तुम्हें कुछ शक पड़े हम हलफ़ के बदले कुछ माल न खरीदेंगे अगरचे क़रीब का रिश्तेदार हो और अल्लाह की गवाही ने छुपाएंगे ऐसा करें तो हम ज़रूर गुनाहगारों में हैं
    play 107 فَإِنْ عُثِرَ عَلَى أَنَّهُمَا اسْتَحَقَّا إِثْمًا فَآخَرَانِ يَقُومَانِ مَقَامَهُمَا مِنَ الَّذِينَ اسْتَحَقَّ عَلَيْهِمُ الْأَوْلَيَانِ فَيُقْسِمَانِ بِاللَّهِ لَشَهَادَتُنَا أَحَقُّ مِنْ شَهَادَتِهِمَا وَمَا اعْتَدَيْنَا إِنَّا إِذًا لَمِنَ الظَّالِمِينَ
    फिर अगर पता चले कि वो किसी गुनाह के सज़ावार (हक़दार) हुए तो उनकी जगह दो और खड़े हों उनमें से कि उस गुनाह यानी झूठी गवाही ने उनका हक़ लेकर उनको नुक़सान पहुंचाया जो मैयत से ज़्यादा क़रीब हों अल्लाह की क़सम खाएं कि हमारी गवाही ज्यादा ठीक है उन दोकी गवाही से और हम हद से न बढ़े ऐसा हो तो हम ज़ालिमों में हों
    play 108 ذَلِكَ أَدْنَى أَنْ يَأْتُوا بِالشَّهَادَةِ عَلَى وَجْهِهَا أَوْ يَخَافُوا أَنْ تُرَدَّ أَيْمَانٌ بَعْدَ أَيْمَانِهِمْ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاسْمَعُوا وَاللَّهُ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الْفَاسِقِينَ
    यह क़रीबतर है उससे कि गवाही जैसी चाहिये अदा करें या डरें कि कुछ क़समें रद करदी जाएं उनकी क़समों के बाद और अल्लाह से डरो और हुक्म सुनो और अल्लाह बेहुक्मों को राह नहीं देता
    play 109 يَوْمَ يَجْمَعُ اللَّهُ الرُّسُلَ فَيَقُولُ مَاذَا أُجِبْتُمْ قَالُوا لَا عِلْمَ لَنَا إِنَّكَ أَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ
    जिस दिन अल्लाह जमा फ़रमाएगा रसूलों को फिर फ़रमाएगा तुम्हें क्या जवाब मिला अर्ज़ करेंगे हमें कुछ इल्म नहीं बेशक तू ही है सब ग़ैबों (अज्ञात) का जानने वाला
    play 110 إِذْ قَالَ اللَّهُ يَا عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ اذْكُرْ نِعْمَتِي عَلَيْكَ وَعَلَى وَالِدَتِكَ إِذْ أَيَّدْتُكَ بِرُوحِ الْقُدُسِ تُكَلِّمُ النَّاسَ فِي الْمَهْدِ وَكَهْلًا وَإِذْ عَلَّمْتُكَ الْكِتَابَ وَالْحِكْمَةَ وَالتَّوْرَاةَ وَالْإِنْجِيلَ وَإِذْ تَخْلُقُ مِنَ الطِّينِ كَهَيْئَةِ الطَّيْرِ بِإِذْنِي فَتَنْفُخُ فِيهَا فَتَكُونُ طَيْرًا بِإِذْنِي وَتُبْرِئُ الْأَكْمَهَ وَالْأَبْرَصَ بِإِذْنِي وَإِذْ تُخْرِجُ الْمَوْتَى بِإِذْنِي وَإِذْ كَفَفْتُ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَنْكَ إِذْ جِئْتَهُمْ بِالْبَيِّنَاتِ فَقَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْهُمْ إِنْ هَذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ
    जब अल्लाह फ़रमाएगा ऐ मरयम क बेटे ईसा याद कर मेरा एहसान अपने ऊपर और अपनी माँ पर जब मैंने पाक रूह से तेरी मदद की तू लोगों से बातें करता पालने में और पक्की उम्र का होकर और जब मैं ने तुझे सिखाई किताब और हिकमत (बोध) और तौरात और इंजील और जब तू मिट्टी से परिन्द की सी मूरत मेरे हुक्म से बनाता फिर उसमें फूंक मारता तो वह मेरे हुक्म से उड़ने लगती और तू मादरज़ाद (जन्मजात) अन्धे और सफ़ेद दाग़ वाले को मेरे हुक्म से शिफ़ा देता और जब तू मुर्दों को मेरे हुक्म से ज़िन्दा निकालता और जब मैं ने बनी इस्राईल को तुझ से रोका जब तू उन के पास रौशन निशानियां लेकर आया तो उनमें के काफ़िर बोले कि यह तो नहीं मगर खुला जादू
    play 111 وَإِذْ أَوْحَيْتُ إِلَى الْحَوَارِيِّينَ أَنْ آمِنُوا بِي وَبِرَسُولِي قَالُوا آمَنَّا وَاشْهَدْ بِأَنَّنَا مُسْلِمُونَ
    और जब मैं न हवारियों (अनुयाइयों) के दिल में डाला कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ बोले हम ईमान लाऐ और गवाह रह कि हम मुसलमान हैं
    play 112 إِذْ قَالَ الْحَوَارِيُّونَ يَا عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ هَلْ يَسْتَطِيعُ رَبُّكَ أَنْ يُنَزِّلَ عَلَيْنَا مَائِدَةً مِنَ السَّمَاءِ قَالَ اتَّقُوا اللَّهَ إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ
    जब हवारियों ने कहा ऐ ईसा बिन मरयम क्या आपका रब ऐसा करेगा कि हम पर आसमान से एक ख़्वान उतारे कहा अल्लाह से डरो अगर ईमान रखते हो
    play 113 قَالُوا نُرِيدُ أَنْ نَأْكُلَ مِنْهَا وَتَطْمَئِنَّ قُلُوبُنَا وَنَعْلَمَ أَنْ قَدْ صَدَقْتَنَا وَنَكُونَ عَلَيْهَا مِنَ الشَّاهِدِينَ
    बोले हम चाहते हैं कि उसमें से खाएं और हमारे दिल ठहरें और हम आँखों देख लें कि आपने हम से सच फ़रमाया और हम उसपर गवाह हो जाएं
    play 114 قَالَ عِيسَى ابْنُ مَرْيَمَ اللَّهُمَّ رَبَّنَا أَنْزِلْ عَلَيْنَا مَائِدَةً مِنَ السَّمَاءِ تَكُونُ لَنَا عِيدًا لِأَوَّلِنَا وَآخِرِنَا وَآيَةً مِنْكَ وَارْزُقْنَا وَأَنْتَ خَيْرُ الرَّازِقِينَ
    ईसा इब्ने मरयम ने अर्ज़ की ऐ अल्लाह ऐ रब हमारे हम पर आसमान से एक ख़्वान उतार कि वह हमारे लिये ईद हो हमारे अगले पिछलों की और तेरी तरफ़ से निशानी और हमें रिज़्क दे और तू सब से बेहतर रोज़ी देने वाला है
    play 115 قَالَ اللَّهُ إِنِّي مُنَزِّلُهَا عَلَيْكُمْ فَمَنْ يَكْفُرْ بَعْدُ مِنْكُمْ فَإِنِّي أُعَذِّبُهُ عَذَابًا لَا أُعَذِّبُهُ أَحَدًا مِنَ الْعَالَمِينَ
    अल्लाह ने फ़रमाया कि मैं इसे तुम पर उतारता हूँ फिर अब जो तुम में कुफ़्र करेगा तो बेशक मैं उसे वह अज़ाब दूंगा कि सारे जहानमें किसी पर न करूंगा
    play 116 وَإِذْ قَالَ اللَّهُ يَا عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ أَأَنْتَ قُلْتَ لِلنَّاسِ اتَّخِذُونِي وَأُمِّيَ إِلَهَيْنِ مِنْ دُونِ اللَّهِ قَالَ سُبْحَانَكَ مَا يَكُونُ لِي أَنْ أَقُولَ مَا لَيْسَ لِي بِحَقٍّ إِنْ كُنْتُ قُلْتُهُ فَقَدْ عَلِمْتَهُ تَعْلَمُ مَا فِي نَفْسِي وَلَا أَعْلَمُ مَا فِي نَفْسِكَ إِنَّكَ أَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ
    और जब अल्लाह फ़रमाएगा ऐ मरयम के बेटे ईसा क्या तूने लोगों से कह दिया था कि मुझे और मेरी माँ को दो ख़ुदा बना लो अल्लाह के सिवा अर्ज़ करेगा पाकी है तुझे मुझे रवा नहीं कि वह बात कहूँ जो मुझे नहीं पहुंचती अगर मैं ने ऐसा कहा हो तो ज़रूर तुझे मालूम होगा तू जानता है जो मेरे जी में है और मैं नहीं जानता जो तेरे इल्म में है बेशक तू ही है सब ग़ैबों (अज्ञात) का खुब जानने वाला
    play 117 مَا قُلْتُ لَهُمْ إِلَّا مَا أَمَرْتَنِي بِهِ أَنِ اعْبُدُوا اللَّهَ رَبِّي وَرَبَّكُمْ وَكُنْتُ عَلَيْهِمْ شَهِيدًا مَا دُمْتُ فِيهِمْ فَلَمَّا تَوَفَّيْتَنِي كُنْتَ أَنْتَ الرَّقِيبَ عَلَيْهِمْ وَأَنْتَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيدٌ
    मैंने तो उनसे न कहा मगर वही जो मुझे तूने हुक्म दिया था कि अल्लाह को पूजो जो मेरा भी रब और तुम्हारा भी रब और मैं उनपर मुत्तला (बाख़बर) था जब तक मैं उनमें रहा फिर जब तूने मुझे उठा लिया तो तू ही उनपर निगाह रखता था और हर चीज़ तेरे सामने हाज़िर है
    play 118 إِنْ تُعَذِّبْهُمْ فَإِنَّهُمْ عِبَادُكَ وَإِنْ تَغْفِرْ لَهُمْ فَإِنَّكَ أَنْتَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ
    अगर तू उन्हें अज़ाब करे तो वो तेरे बन्दे हैं और अगर तू उन्हें बख़्श दे तो बेशक तू ही है ग़ालिब हिकमत वाला
    play 119 قَالَ اللَّهُ هَذَا يَوْمُ يَنْفَعُ الصَّادِقِينَ صِدْقُهُمْ لَهُمْ جَنَّاتٌ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا أَبَدًا رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمْ وَرَضُوا عَنْهُ ذَلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ
    अल्लाह ने फ़रमाया कि यह है वह दिन जिसमें सच्चों को उनका सच काम आएगा उनके लिये बाग़ हैं जिनके नीचे नेहरें रवां हमेशा हमेशा उनमें रहेंगे अल्लाह उनसे राज़ी और वो अल्लाह से राज़ी यह है बड़ी कामयाबी
    play 120 لِلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا فِيهِنَّ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
    अल्लाह ही के लिये है आसमानों और ज़मीन और जो कुछ उनमें है सब की सल्तनत और वह हर चीज़ पर क़ादिर है