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Yusuf
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    1. الر تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ
    ये रौशन किताब की आयतें हैं
    2. إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ
    बेशक हमने इसे अरबी क़ुरआन उतारा कि तुम समझो
    3. نَحْنُ نَقُصُّ عَلَيْكَ أَحْسَنَ الْقَصَصِ بِمَا أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ هَذَا الْقُرْآنَ وَإِنْ كُنْتَ مِنْ قَبْلِهِ لَمِنَ الْغَافِلِينَ
    हम तुम्हें सबसे अच्छा बयान सुनाते हैं इसलिये कि हमने तुम्हारी तरफ़ इस क़ुरआन की वही (देववाणी) भेजी, अगरचे बेशक इससे पहले तुम्हें ख़बर न थी
    4. إِذْ قَالَ يُوسُفُ لِأَبِيهِ يَا أَبَتِ إِنِّي رَأَيْتُ أَحَدَ عَشَرَ كَوْكَبًا وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ رَأَيْتُهُمْ لِي سَاجِدِينَ
    याद करो जब यूसुफ़ ने अपने बाप से कहा ऐ मेरे बाप मैंने ग्यारह तारे और सूरज और चांद देखे उन्हें अपने लिये सिजदा करते देखा
    5. قَالَ يَا بُنَيَّ لَا تَقْصُصْ رُؤْيَاكَ عَلَى إِخْوَتِكَ فَيَكِيدُوا لَكَ كَيْدًا إِنَّ الشَّيْطَانَ لِلْإِنْسَانِ عَدُوٌّ مُبِينٌ
    कहा ऐ मेरे बच्चे अपना ख़्वाब अपने भाइयों से न कहना कि वो तेरे साथ कोई चाल चलेंगे बेशक शैतान आदमी का खुला दुश्मन है
    6. وَكَذَلِكَ يَجْتَبِيكَ رَبُّكَ وَيُعَلِّمُكَ مِنْ تَأْوِيلِ الْأَحَادِيثِ وَيُتِمُّ نِعْمَتَهُ عَلَيْكَ وَعَلَى آلِ يَعْقُوبَ كَمَا أَتَمَّهَا عَلَى أَبَوَيْكَ مِنْ قَبْلُ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ إِنَّ رَبَّكَ عَلِيمٌ حَكِيمٌ
    और इसी तरह तुझे तेरा रब चुन लेगा और तुझे बातों का अंजाम निकालना सिखाएगा और तुझ पर अपनी नेमत पूरी करेगा और याक़ूब के घर वालों पर जिस तरह तेरे पहले दोनों बाप दादा इब्राहीम और इसहाक़ पर पूरी की बेशक तेरा रब इल्म व हिकमत वाला है
    7. لَقَدْ كَانَ فِي يُوسُفَ وَإِخْوَتِهِ آيَاتٌ لِلسَّائِلِينَ
    बेशक यूसुफ़ और उसके भाईयों में पूछने वालों के लिये निशानियां हैं
    8. إِذْ قَالُوا لَيُوسُفُ وَأَخُوهُ أَحَبُّ إِلَى أَبِينَا مِنَّا وَنَحْنُ عُصْبَةٌ إِنَّ أَبَانَا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
    जब बोले कि ज़रूर यूसुफ़ और उसका भाई हमारे बाप को हम से ज़्यादा प्यारे हैं और हम एक जमाअत (समूह) हैं बेशक हमारे बाप खुल्लम खुल्ला उनकी महब्बत में डूबे हुए हैं
    9. اقْتُلُوا يُوسُفَ أَوِ اطْرَحُوهُ أَرْضًا يَخْلُ لَكُمْ وَجْهُ أَبِيكُمْ وَتَكُونُوا مِنْ بَعْدِهِ قَوْمًا صَالِحِينَ
    यूसुफ़ को मार डालो या कहीं ज़मीन में फैंक आओ कि तुम्हारे बाप का मुंह सिर्फ़ तुम्हारी ही तरफ़ रहे और उसके बाद फिर नेक हो जाना
    10. قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ لَا تَقْتُلُوا يُوسُفَ وَأَلْقُوهُ فِي غَيَابَتِ الْجُبِّ يَلْتَقِطْهُ بَعْضُ السَّيَّارَةِ إِنْ كُنْتُمْ فَاعِلِينَ
    उनमें एक कहने वाला बोला कि यूसुफ़ को मारो नहीं और उसे अंधे कुंऐ में डाल दो कि कोई चलता उसे आकर ले जाए अगर तुम्हें करना है
    11. قَالُوا يَا أَبَانَا مَا لَكَ لَا تَأْمَنَّا عَلَى يُوسُفَ وَإِنَّا لَهُ لَنَاصِحُونَ
    बोले ऐ हमारे बाप आप को क्या हुआ कि यूसुफ़ के मामले में हमारा एतबार नही करते और हम तो इसके खैर ख्वाह हे
    12. أَرْسِلْهُ مَعَنَا غَدًا يَرْتَعْ وَيَلْعَبْ وَإِنَّا لَهُ لَحَافِظُونَ
    कल इसे हमारे साथ भेज दीजिये कि मेवे खाए और खेले और बेशक हम इसके निगहबान हैं
    13. قَالَ إِنِّي لَيَحْزُنُنِي أَنْ تَذْهَبُوا بِهِ وَأَخَافُ أَنْ يَأْكُلَهُ الذِّئْبُ وَأَنْتُمْ عَنْهُ غَافِلُونَ
    बोला बेशक मुझे रंज देगा कि तुम इसे ले जाओ और डरता हूँ कि इसे भेड़िया खाले और तुम इससे बेखबर रहो
    14. قَالُوا لَئِنْ أَكَلَهُ الذِّئْبُ وَنَحْنُ عُصْبَةٌ إِنَّا إِذًا لَخَاسِرُونَ
    बोले अगर इसे भेड़िया खा जाए और हम एक जमाअत हैं जब तो हम किसी मसरफ़ के नहीं
    15. فَلَمَّا ذَهَبُوا بِهِ وَأَجْمَعُوا أَنْ يَجْعَلُوهُ فِي غَيَابَتِ الْجُبِّ وَأَوْحَيْنَا إِلَيْهِ لَتُنَبِّئَنَّهُمْ بِأَمْرِهِمْ هَذَا وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
    फिर जब उसे ले गए और सब की राय यह ठहरी कि उसे अंधे कुंएं में डाल दें और हमने उसे वही भेजी कि ज़रूर तू उन्हें उनका यह काम जता देगा ऐसे वक़्त कि वो न जानते होंगे
    16. وَجَاءُوا أَبَاهُمْ عِشَاءً يَبْكُونَ
    और रात हुए अपने बाप के पास रोते हुए आए
    17. قَالُوا يَا أَبَانَا إِنَّا ذَهَبْنَا نَسْتَبِقُ وَتَرَكْنَا يُوسُفَ عِنْدَ مَتَاعِنَا فَأَكَلَهُ الذِّئْبُ وَمَا أَنْتَ بِمُؤْمِنٍ لَنَا وَلَوْ كُنَّا صَادِقِينَ
    बोले ऐ हमारे बाप हम दोड़ करते निकल गए और यूसुफ़ को अपने असबाब के पास छोड़ा तो उसे भेड़िया खा गया और आप किसी तरह हमारा यक़ीन न करेंगे अगरचे हम सच्चे हों
    18. وَجَاءُوا عَلَى قَمِيصِهِ بِدَمٍ كَذِبٍ قَالَ بَلْ سَوَّلَتْ لَكُمْ أَنْفُسُكُمْ أَمْرًا فَصَبْرٌ جَمِيلٌ وَاللَّهُ الْمُسْتَعَانُ عَلَى مَا تَصِفُونَ
    और उसके कुर्ते पर एक झूटा ख़ून लगा लाए कहा बल्कि तुम्हारे दिलों ने एक बात तुम्हारे वास्ते बना ली है तो सब्र अच्छा और अल्लाह ही से मदद चाहता हूँ उन बातों पर जो तुम बता रहे हो
    19. وَجَاءَتْ سَيَّارَةٌ فَأَرْسَلُوا وَارِدَهُمْ فَأَدْلَى دَلْوَهُ قَالَ يَا بُشْرَى هَذَا غُلَامٌ وَأَسَرُّوهُ بِضَاعَةً وَاللَّهُ عَلِيمٌ بِمَا يَعْمَلُونَ
    और एक क़ाफ़िला आया उन्होंने अपना पानी लाने वाला भेजा तो उसने अपना डोल डाला बोला आहा कैसी ख़ुशी की बात है यह तो एक लड़का है और उसे एक पूंजी बनाकर छुपा लिया और अल्लाह जानता है जो वो करते हैं
    20. وَشَرَوْهُ بِثَمَنٍ بَخْسٍ دَرَاهِمَ مَعْدُودَةٍ وَكَانُوا فِيهِ مِنَ الزَّاهِدِينَ
    और भाइयों ने उसे खोटे दामों गिनती के रूपयों पर बेच डाला और उन्हें उसमें कुछ रग़बत न थी
    21. وَقَالَ الَّذِي اشْتَرَاهُ مِنْ مِصْرَ لِامْرَأَتِهِ أَكْرِمِي مَثْوَاهُ عَسَى أَنْ يَنْفَعَنَا أَوْ نَتَّخِذَهُ وَلَدًا وَكَذَلِكَ مَكَّنَّا لِيُوسُفَ فِي الْأَرْضِ وَلِنُعَلِّمَهُ مِنْ تَأْوِيلِ الْأَحَادِيثِ وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَى أَمْرِهِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ
    और मिस्र के जिस शख्स ने उसे ख़रीदा वह अपनी औरत से बोला इन्हें इज़्ज़त से रख शायद इन से हमें नफ़ा पहुंचे या इनको हम बेटा बनालें और इसी तरह हमने यूसुफ़ को इस ज़मीन में जमाव दिया और इसलिये कि उसे बातों का अंजाम सिखाएं और अल्लाह अपने काम पर ग़ालिब है मगर अक्सर आदमी नहीं जानते
    22. وَلَمَّا بَلَغَ أَشُدَّهُ آتَيْنَاهُ حُكْمًا وَعِلْمًا وَكَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ
    और जब अपनी पूरी क़ुव्वत को पहुंचा हमने उसे हुक्म और इल्म अता फ़रमाया और हम ऐसा ही सिला देते हैं नेको को
    23. وَرَاوَدَتْهُ الَّتِي هُوَ فِي بَيْتِهَا عَنْ نَفْسِهِ وَغَلَّقَتِ الْأَبْوَابَ وَقَالَتْ هَيْتَ لَكَ قَالَ مَعَاذَ اللَّهِ إِنَّهُ رَبِّي أَحْسَنَ مَثْوَايَ إِنَّهُ لَا يُفْلِحُ الظَّالِمُونَ
    और वह जिस औरत के घर में था उसने उसे लुभाया कि अपना आपा न रोके और दरवाज़े सब बन्द कर दिये और बोली आओ तुम्हीं से कहती हूँ कहा अल्लाह की पनाह वह अज़ीज़ तो मेरा रब यानी पर्वरिश करने वाला है उसने मुझे अच्छी तरह रखा बेशक ज़ालिमों का भला नहीं होता
    24. وَلَقَدْ هَمَّتْ بِهِ وَهَمَّ بِهَا لَوْلَا أَنْ رَأَى بُرْهَانَ رَبِّهِ كَذَلِكَ لِنَصْرِفَ عَنْهُ السُّوءَ وَالْفَحْشَاءَ إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُخْلَصِينَ
    और बेशक औरत ने उसका इरादा किया और वह भी औरत का इरादा करता अगर अपने रब की दलील न देख लेता हमने यूंही किया कि उससे बुराई और बेहयाई को फेर दे बेशक वह हमारे चुने हुए बन्दों में से है
    25. وَاسْتَبَقَا الْبَابَ وَقَدَّتْ قَمِيصَهُ مِنْ دُبُرٍ وَأَلْفَيَا سَيِّدَهَا لَدَى الْبَابِ قَالَتْ مَا جَزَاءُ مَنْ أَرَادَ بِأَهْلِكَ سُوءًا إِلَّا أَنْ يُسْجَنَ أَوْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
    और दोनों दरवाज़े की तरफ़ दौड़े और औरत ने उसका कुर्ता पीछे से चीर लिया और दोनों को औरत का मियाँ दर्वाज़े के पास मिला बोली क्या सज़ा है इसकी जिसने तेरी घरवाली से बदी चाही मगर यह कि कै़द किया जाय या दुख की मार
    26. قَالَ هِيَ رَاوَدَتْنِي عَنْ نَفْسِي وَشَهِدَ شَاهِدٌ مِنْ أَهْلِهَا إِنْ كَانَ قَمِيصُهُ قُدَّ مِنْ قُبُلٍ فَصَدَقَتْ وَهُوَ مِنَ الْكَاذِبِينَ
    कहा इसने मुझको लुभाया कि मैं अपनी हिफ़ाज़त न करूं और औरत के घरवालों में से एक गवाह ने गवाही दी अगर इनका कुर्ता आगे से चिरा है तो औरत सच्ची है और इन्होंने ग़लत कहा
    27. وَإِنْ كَانَ قَمِيصُهُ قُدَّ مِنْ دُبُرٍ فَكَذَبَتْ وَهُوَ مِنَ الصَّادِقِينَ
    और अगर इनका कु्र्ता पीछे से चाक हुआ तो औरत झूठी है और ये सच्चे
    28. فَلَمَّا رَأَى قَمِيصَهُ قُدَّ مِنْ دُبُرٍ قَالَ إِنَّهُ مِنْ كَيْدِكُنَّ إِنَّ كَيْدَكُنَّ عَظِيمٌ
    फिर जब अज़ीज़ ने उसका कुर्ता पीछे से चिरा देखा बोला बेशक यह तुम औरतों का चरित्र है, बेशक तुम्हारा चरित्र बड़ा है
    29. يُوسُفُ أَعْرِضْ عَنْ هَذَا وَاسْتَغْفِرِي لِذَنْبِكِ إِنَّكِ كُنْتِ مِنَ الْخَاطِئِينَ
    ऐ यूसुफ़ तुम इसका ख़याल न करो और ऐ औरत तू अपने गुनाह की माफ़ी मांग बेशक तू ख़ता वारों में है
    30. وَقَالَ نِسْوَةٌ فِي الْمَدِينَةِ امْرَأَتُ الْعَزِيزِ تُرَاوِدُ فَتَاهَا عَنْ نَفْسِهِ قَدْ شَغَفَهَا حُبًّا إِنَّا لَنَرَاهَا فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
    और शहर में कुछ औरतें बोली अज़ीज़ की बीबी अपने नौज़वान का दिल लुभाती है बेशक उनकी महब्बत इस के दिल में पैर गई है हम तो उसे सरिह ख़ुद-रफ़्ता पाते हैं
    31. فَلَمَّا سَمِعَتْ بِمَكْرِهِنَّ أَرْسَلَتْ إِلَيْهِنَّ وَأَعْتَدَتْ لَهُنَّ مُتَّكَأً وَآتَتْ كُلَّ وَاحِدَةٍ مِنْهُنَّ سِكِّينًا وَقَالَتِ اخْرُجْ عَلَيْهِنَّ فَلَمَّا رَأَيْنَهُ أَكْبَرْنَهُ وَقَطَّعْنَ أَيْدِيَهُنَّ وَقُلْنَ حَاشَ لِلَّهِ مَا هَذَا بَشَرًا إِنْ هَذَا إِلَّا مَلَكٌ كَرِيمٌ
    तो जब ज़ुलैख़ा ने उनका चकरवा सुना तो उन औरतों को बुला भेजा और उनके लिये मसनदें तैयार की और उनमें हर एक को छुरी दे दी और यूसुफ़ से कहा इनपर निकल आओ जब औरतों ने यूसुफ़ को देखा उसकी बड़ाई बोलने लगीं और अपने हाथ काट लिये और बोली अल्लाह को पाकी है ये तो जिन्से बशर से नहीं ये तो नही मगर कोई मोअझझ फरिश्ता
    32. قَالَتْ فَذَلِكُنَّ الَّذِي لُمْتُنَّنِي فِيهِ وَلَقَدْ رَاوَدْتُهُ عَنْ نَفْسِهِ فَاسْتَعْصَمَ وَلَئِنْ لَمْ يَفْعَلْ مَا آمُرُهُ لَيُسْجَنَنَّ وَلَيَكُونًا مِنَ الصَّاغِرِينَ
    ज़ुलैख़ा ने कहा तो ये है वो जिनपर तुम मुझे ताना देती थीं और बेशक मैंने इनका जी लुभाना चाहा तो इन्होंने अपने आपको बचाया और बेशक अगर वह यह काम न करेंगे जो मैं उनसे कहती हूँ तो ज़रूर क़ैद में पड़ेंगे और वो ज़रूर ज़िल्लत उठाएंगे
    33. قَالَ رَبِّ السِّجْنُ أَحَبُّ إِلَيَّ مِمَّا يَدْعُونَنِي إِلَيْهِ وَإِلَّا تَصْرِفْ عَنِّي كَيْدَهُنَّ أَصْبُ إِلَيْهِنَّ وَأَكُنْ مِنَ الْجَاهِلِينَ
    यूसुफ़ ने अर्ज़ की ऐ मेरे रब मुझे क़ैद ख़ाना ज़्यादा पसन्द है इस काम से जिसकी तरफ़ ये मुझे बुलाती हैं और तू मुझसे इनका मक्र न फेरेगा तो मैं इनकी तरफ़ माइल होऊंगा और नादान बनूंगा
    34. فَاسْتَجَابَ لَهُ رَبُّهُ فَصَرَفَ عَنْهُ كَيْدَهُنَّ إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
    तो उसके रब ने उसकी सुन ली और उससे औरतों का मक्र फेर दिया, बेशक वही सुनता जानता है
    35. ثُمَّ بَدَا لَهُمْ مِنْ بَعْدِ مَا رَأَوُا الْآيَاتِ لَيَسْجُنُنَّهُ حَتَّى حِينٍ
    फिर सब कुछ निशानियां देख दिखाकर पिछली मत उन्हें यही आई कि ज़रूर एक मुद्दत तक उसे क़ैद ख़ाने में डालें
    36. وَدَخَلَ مَعَهُ السِّجْنَ فَتَيَانِ قَالَ أَحَدُهُمَا إِنِّي أَرَانِي أَعْصِرُ خَمْرًا وَقَالَ الْآخَرُ إِنِّي أَرَانِي أَحْمِلُ فَوْقَ رَأْسِي خُبْزًا تَأْكُلُ الطَّيْرُ مِنْهُ نَبِّئْنَا بِتَأْوِيلِهِ إِنَّا نَرَاكَ مِنَ الْمُحْسِنِينَ
    और उसके साथ क़ैद ख़ाने में दो जवान दाख़िल हुए उनमें एक बोला मैंने ख़्वाब देखा कि शराब निचोड़ता हूँ और दूसरा बोला मैं ने ख़्वाब देखा कि मेरे सर पर कुछ रोटियाँ हैं जिन में से परिन्दे खाते हैं, हमें इसकी ताबीर बताइये, बेशक हम आपको नेकोकार देखते हैं
    37. قَالَ لَا يَأْتِيكُمَا طَعَامٌ تُرْزَقَانِهِ إِلَّا نَبَّأْتُكُمَا بِتَأْوِيلِهِ قَبْلَ أَنْ يَأْتِيَكُمَا ذَلِكُمَا مِمَّا عَلَّمَنِي رَبِّي إِنِّي تَرَكْتُ مِلَّةَ قَوْمٍ لَا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَهُمْ بِالْآخِرَةِ هُمْ كَافِرُونَ
    यूसुफ़ ने कहा जो खाना तुम्हें मिला करता है वह तुम्हारे पास न आने पाएगा कि मैं उसकी ताबीर उसके आने से पहले तुम्हें बता दूंगा यह उन इल्मों में से है जो मुझे मेरे रब ने सिखाया है, बेशक मैंने उन लोगों का दीन न माना जो अल्लाह पर ईमान नहीं लाते और वो आख़िरत से मुनकीर हे
    38. وَاتَّبَعْتُ مِلَّةَ آبَائِي إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ مَا كَانَ لَنَا أَنْ نُشْرِكَ بِاللَّهِ مِنْ شَيْءٍ ذَلِكَ مِنْ فَضْلِ اللَّهِ عَلَيْنَا وَعَلَى النَّاسِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَشْكُرُونَ
    और मैं ने अपने बाप दादा इब्राहीम और इसहाक़ और याक़ूब का दीन इख़्तियार किया हमें नहीं पहुंचता कि किसी चीज़ को अल्लाह का शरीक ठहराएं यह यह अल्लाह का एक फ़ज़्ल है हम पर और लोगों पर मगर अक्सर लोग शुक्र नहीं करते
    39. يَا صَاحِبَيِ السِّجْنِ أَأَرْبَابٌ مُتَفَرِّقُونَ خَيْرٌ أَمِ اللَّهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ
    ऐ मेरे क़ैद ख़ाने के दोनों साथियो क्या जुदा जुदा रब अच्छे या एक अल्लाह जो सब पर ग़ालिब
    40. مَا تَعْبُدُونَ مِنْ دُونِهِ إِلَّا أَسْمَاءً سَمَّيْتُمُوهَا أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمْ مَا أَنْزَلَ اللَّهُ بِهَا مِنْ سُلْطَانٍ إِنِ الْحُكْمُ إِلَّا لِلَّهِ أَمَرَ أَلَّا تَعْبُدُوا إِلَّا إِيَّاهُ ذَلِكَ الدِّينُ الْقَيِّمُ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ
    तुम उसके सिवा नहीं पूजते मगर निरे नाम जो तुम ने और तुम्हारे बाप दादा ने तराश लिये हैं अल्लाह ने उनकी कोई सनद न उतारी, हुक्म नहीं मगर अल्लाह का, उसने फ़रमाया कि उसके सिवा किसी को न पूजो यह सीधा दीन हे लेकिन अक्सर लोग नही जानते
    41. يَا صَاحِبَيِ السِّجْنِ أَمَّا أَحَدُكُمَا فَيَسْقِي رَبَّهُ خَمْرًا وَأَمَّا الْآخَرُ فَيُصْلَبُ فَتَأْكُلُ الطَّيْرُ مِنْ رَأْسِهِ قُضِيَ الْأَمْرُ الَّذِي فِيهِ تَسْتَفْتِيَانِ
    ऐ क़ैदख़ाने के दोनो साथियों तुम में एक तो अपने रब (बादशाह) को शराब पिलाएगा रहा दूसरा वह सूली दिया जाएगा तो परिन्दे उसका सर खाएंगे हुक्म हो चुका उस बात का जिसका तुम सवाल करते थे
    42. وَقَالَ لِلَّذِي ظَنَّ أَنَّهُ نَاجٍ مِنْهُمَا اذْكُرْنِي عِنْدَ رَبِّكَ فَأَنْسَاهُ الشَّيْطَانُ ذِكْرَ رَبِّهِ فَلَبِثَ فِي السِّجْنِ بِضْعَ سِنِينَ
    और यूसुफ़ ने उन दोनों में से जिसे बचता समझा उससे कहा अपने रब {बादशाह} के पास मेरा ज़िक्र करना तो शैतान ने उसे भुला दिया कि अपने रब {बादशाह} के सामने यूसुफ़ का ज़िक्र करे तो यूसुफ़ कई बरस और जेलख़ाने में रहा
    43. وَقَالَ الْمَلِكُ إِنِّي أَرَى سَبْعَ بَقَرَاتٍ سِمَانٍ يَأْكُلُهُنَّ سَبْعٌ عِجَافٌ وَسَبْعَ سُنْبُلَاتٍ خُضْرٍ وَأُخَرَ يَابِسَاتٍ يَا أَيُّهَا الْمَلَأُ أَفْتُونِي فِي رُؤْيَايَ إِنْ كُنْتُمْ لِلرُّؤْيَا تَعْبُرُونَ
    और बादशाह ने कहा मैं ने ख़्वाब में देखीं सात गाएं फर्बा कि उन्हें सात दुबली गाएं खा रही हैं और सात बालें हरी और दूसरी सात सूखी ऐ दरबारियों मेरे ख़्वाब का जवाब दो अगर तुम्हें ख़्वाब की ताबीर आती हो
    44. قَالُوا أَضْغَاثُ أَحْلَامٍ وَمَا نَحْنُ بِتَأْوِيلِ الْأَحْلَامِ بِعَالِمِينَ
    बोले परेशान ख़्वाबें हैं और हम ख़्वाब की ताबीर नहीं जानते
    45. وَقَالَ الَّذِي نَجَا مِنْهُمَا وَادَّكَرَ بَعْدَ أُمَّةٍ أَنَا أُنَبِّئُكُمْ بِتَأْوِيلِهِ فَأَرْسِلُونِ
    और बोला वह जो उन दोनों में से बचा था और एक मुद्दत बाद उसे याद आया मैं तुम्हें इसकी ताबीर बताऊंगा मुझे भेजो
    46. يُوسُفُ أَيُّهَا الصِّدِّيقُ أَفْتِنَا فِي سَبْعِ بَقَرَاتٍ سِمَانٍ يَأْكُلُهُنَّ سَبْعٌ عِجَافٌ وَسَبْعِ سُنْبُلَاتٍ خُضْرٍ وَأُخَرَ يَابِسَاتٍ لَعَلِّي أَرْجِعُ إِلَى النَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَعْلَمُونَ
    ऐ यूसुफ़ ऐ सिद्दीक़ हमें ताबीर दीजिये सात फर्बा गायों की जिन्हें सात दुबली खाती हैं और सात हरी बालें और दुसरी सात सूखी शायद मैं लोगों की तरफ़ लौट कर जाऊं शायद वो आगाह हों
    47. قَالَ تَزْرَعُونَ سَبْعَ سِنِينَ دَأَبًا فَمَا حَصَدْتُمْ فَذَرُوهُ فِي سُنْبُلِهِ إِلَّا قَلِيلًا مِمَّا تَأْكُلُونَ
    कहा तुम खेती करोगे सात बरस लगातार तो जो काटो उसे उसकी बाल में रहने दो मगर थोड़ा जितना खालों
    48. ثُمَّ يَأْتِي مِنْ بَعْدِ ذَلِكَ سَبْعٌ شِدَادٌ يَأْكُلْنَ مَا قَدَّمْتُمْ لَهُنَّ إِلَّا قَلِيلًا مِمَّا تُحْصِنُونَ
    फिर उसके बाद सात कर्रे बरस आएंगे कि खा जाएंगे जो तुमने उनके लिये पहले से जमा कर रखा था मगर थोड़ा जो बचालो
    49. ثُمَّ يَأْتِي مِنْ بَعْدِ ذَلِكَ عَامٌ فِيهِ يُغَاثُ النَّاسُ وَفِيهِ يَعْصِرُونَ
    फिर उनके बाद एक बरस आएगा जिसमें लोगों को मेंह दिया जाएगा और उसमें रस निचोड़ेंगे
    50. وَقَالَ الْمَلِكُ ائْتُونِي بِهِ فَلَمَّا جَاءَهُ الرَّسُولُ قَالَ ارْجِعْ إِلَى رَبِّكَ فَاسْأَلْهُ مَا بَالُ النِّسْوَةِ اللَّاتِي قَطَّعْنَ أَيْدِيَهُنَّ إِنَّ رَبِّي بِكَيْدِهِنَّ عَلِيمٌ
    और बादशाह बोला कि उन्हें मेरे पास ले आओ,तो जब उसके पास एलची आया कहा अपने रब {बादशाह} के पास पलट जा फिर उससे पूछ क्या हाल है उन औरतों का जिन्होंने अपने हाथ काटे थे बेशक मेरा रब उनका फरेब जानता है
    51. قَالَ مَا خَطْبُكُنَّ إِذْ رَاوَدْتُنَّ يُوسُفَ عَنْ نَفْسِهِ قُلْنَ حَاشَ لِلَّهِ مَا عَلِمْنَا عَلَيْهِ مِنْ سُوءٍ قَالَتِ امْرَأَتُ الْعَزِيزِ الْآنَ حَصْحَصَ الْحَقُّ أَنَا رَاوَدْتُهُ عَنْ نَفْسِهِ وَإِنَّهُ لَمِنَ الصَّادِقِينَ
    बादशाह ने कहा ऐ औरतों तुम्हारा काम कया थ। जब तुमने यूसुफ़ का दिल लुभाना चाहा बोलीं अल्लाह को पाकी है हमने उनमें कोई बदी न पाई अज़ीज़ की औरत बोली अब असली बात खुल गई मैं ने उनका जी लुभाना चाहा था और वो बेशक सच्चे हैं
    52. ذَلِكَ لِيَعْلَمَ أَنِّي لَمْ أَخُنْهُ بِالْغَيْبِ وَأَنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي كَيْدَ الْخَائِنِينَ
    यूसुफ़ ने कहा यह मैं ने इसलिये किया कि अज़ीज़ को मालूम हो जाए कि मैं ने पीठ पीछे उसकी ख़यानत न की और अल्लाह दग़ाबाज़ों का मक्र नहीं चलने देता
    53. وَمَا أُبَرِّئُ نَفْسِي إِنَّ النَّفْسَ لَأَمَّارَةٌ بِالسُّوءِ إِلَّا مَا رَحِمَ رَبِّي إِنَّ رَبِّي غَفُورٌ رَحِيمٌ
    और मैं अपने नफ़्स को बेक़ुसूर नहीं बताता बेशक नफ़्स तो बुराई का बड़ा हुक्म देने वाला है मगर जिसपर मेरा रब रहम करे बेशक मेरा रब बख़्शने वाला मेहरबान है
    54. وَقَالَ الْمَلِكُ ائْتُونِي بِهِ أَسْتَخْلِصْهُ لِنَفْسِي فَلَمَّا كَلَّمَهُ قَالَ إِنَّكَ الْيَوْمَ لَدَيْنَا مَكِينٌ أَمِينٌ
    और बादशाह बोला उन्हें मेरे पास ले आओ कि मैं उन्हें ख़ास अपने लिये चुन लूं फिर जब उससे बात की कहा बेशक आज आप हमारे यहाँ मुअज़्ज़ज़ मोतमिद है
    55. قَالَ اجْعَلْنِي عَلَى خَزَائِنِ الْأَرْضِ إِنِّي حَفِيظٌ عَلِيمٌ
    यूसुफ़ ने कहा मुझे ज़मीन के ख़जानों पर करदे, बेशक मैं हिफाज़त वाला इल्म वाला हूँ
    56. وَكَذَلِكَ مَكَّنَّا لِيُوسُفَ فِي الْأَرْضِ يَتَبَوَّأُ مِنْهَا حَيْثُ يَشَاءُ نُصِيبُ بِرَحْمَتِنَا مَنْ نَشَاءُ وَلَا نُضِيعُ أَجْرَ الْمُحْسِنِينَ
    और यूं ही हमने यूसुफ़ को उस मुल्क पर कुदरत बख़्शी, उसमें जहाँ चाहे रहे हम अपनी रहमत जिसे चाहे पहुंचाएं और हम नेकों का नेग ज़ाया नहीं करते
    57. وَلَأَجْرُ الْآخِرَةِ خَيْرٌ لِلَّذِينَ آمَنُوا وَكَانُوا يَتَّقُونَ
    और बेशक आख़िरत का सवाब उनके लिये बेहतर जो ईमान लाए और परहेज़गार रहे
    58. وَجَاءَ إِخْوَةُ يُوسُفَ فَدَخَلُوا عَلَيْهِ فَعَرَفَهُمْ وَهُمْ لَهُ مُنْكِرُونَ
    और यूसुफ़ के भाई आए तो उसके पास हाज़िर हुए तो यूसुफ़ ने उन्हें पहचान लिया और वो उससे अंजान रहे
    59. وَلَمَّا جَهَّزَهُمْ بِجَهَازِهِمْ قَالَ ائْتُونِي بِأَخٍ لَكُمْ مِنْ أَبِيكُمْ أَلَا تَرَوْنَ أَنِّي أُوفِي الْكَيْلَ وَأَنَا خَيْرُ الْمُنْزِلِينَ
    और जब उनका सामान मुहैया कर दिया अपना सौतेला भाई मेरे पास ले आओ क्या नहीं देखते कि मैं पूरा नापता हूँ और मैं सब से बेहतर मेहमान नवाज़ हूँ
    60. فَإِنْ لَمْ تَأْتُونِي بِهِ فَلَا كَيْلَ لَكُمْ عِنْدِي وَلَا تَقْرَبُونِ
    फिर अगर उसे लेकर मेरे पास न आओ तो तुम्हारे लिये मेरे यहाँ नाप नहीं और मेरे पास न फटकना
    61. قَالُوا سَنُرَاوِدُ عَنْهُ أَبَاهُ وَإِنَّا لَفَاعِلُونَ
    बोले हम इसकी ख़वाहिश करेंगे उसके बाप से और हमें यह ज़रूर करना
    62. وَقَالَ لِفِتْيَانِهِ اجْعَلُوا بِضَاعَتَهُمْ فِي رِحَالِهِمْ لَعَلَّهُمْ يَعْرِفُونَهَا إِذَا انْقَلَبُوا إِلَى أَهْلِهِمْ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ
    और यूसुफ़ ने अपने ग़ुलामों से कहा इनकी पूंजी इनकी ख़ुर्जियों में रख दो शायद वो इसे पहचानें जब अपने घर की तरफ़ लौट कर जाएं शायद वो वापस आएं
    63. فَلَمَّا رَجَعُوا إِلَى أَبِيهِمْ قَالُوا يَا أَبَانَا مُنِعَ مِنَّا الْكَيْلُ فَأَرْسِلْ مَعَنَا أَخَانَا نَكْتَلْ وَإِنَّا لَهُ لَحَافِظُونَ
    फिर जब वो अपने बाप की तरफ़ लौटकर गए बोले ऐ हमारे बाप हमसे ग़ल्ला रोक दिया गया है तो हमारे भाई को हमारे साथ भेज दीजिये कि ग़ल्ला लाएं और हम ज़रूर इसकी हिफ़ाज़त करेंगे
    64. قَالَ هَلْ آمَنُكُمْ عَلَيْهِ إِلَّا كَمَا أَمِنْتُكُمْ عَلَى أَخِيهِ مِنْ قَبْلُ فَاللَّهُ خَيْرٌ حَافِظًا وَهُوَ أَرْحَمُ الرَّاحِمِينَ
    कहा क्या इसके बारे में तुमपर वैसा ही भरोसा कर लूं जैसा पहले इसके भाई के बारे में किया था तो अल्लाह सबसे बेहतर निगहबान और वो हर मेहरबान से बढ़कर मेहरबान
    65. وَلَمَّا فَتَحُوا مَتَاعَهُمْ وَجَدُوا بِضَاعَتَهُمْ رُدَّتْ إِلَيْهِمْ قَالُوا يَا أَبَانَا مَا نَبْغِي هَذِهِ بِضَاعَتُنَا رُدَّتْ إِلَيْنَا وَنَمِيرُ أَهْلَنَا وَنَحْفَظُ أَخَانَا وَنَزْدَادُ كَيْلَ بَعِيرٍ ذَلِكَ كَيْلٌ يَسِيرٌ
    और जब उन्होंने अपना सामान खोला अपनी पूंजी पाई कि उनको फेर दी गई है बोले ऐ हमारे बाप अब हम और क्या चाहें यह है हमारी पूंजी कि हमें वापस कर दी गई और एक ऊंट का बोझा और ज़्यादा पाएं, यह दुनिया बादशाह के सामने कुछ नहीं
    66. قَالَ لَنْ أُرْسِلَهُ مَعَكُمْ حَتَّى تُؤْتُونِ مَوْثِقًا مِنَ اللَّهِ لَتَأْتُنَّنِي بِهِ إِلَّا أَنْ يُحَاطَ بِكُمْ فَلَمَّا آتَوْهُ مَوْثِقَهُمْ قَالَ اللَّهُ عَلَى مَا نَقُولُ وَكِيلٌ
    कहा मैं हरगिज़ इसे तुम्हारे साथ न भेजूंगा जब तक तुम मुझे अल्लाह का यह एहद न दे दो कि ज़रूर उसे लेकर आओगे मगर यह कि तुम घिर जाओ फिर जब उन्होंने याक़ूब को एहद दे दिया कहा अल्लाह का ज़िम्मा है उन बातों पर जो हम कह रहे हैं
    67. وَقَالَ يَا بَنِيَّ لَا تَدْخُلُوا مِنْ بَابٍ وَاحِدٍ وَادْخُلُوا مِنْ أَبْوَابٍ مُتَفَرِّقَةٍ وَمَا أُغْنِي عَنْكُمْ مِنَ اللَّهِ مِنْ شَيْءٍ إِنِ الْحُكْمُ إِلَّا لِلَّهِ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَعَلَيْهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُتَوَكِّلُونَ
    और कहा ऐ मेरे बेटो एक दरवाज़े से न दाख़िल होना और अलग अलग दरवाज़ों से जाना मैं तुम्हें अल्लाह से बचा नहीं सकता आदेश तो सब अल्लाह ही का है मैने उसी पर भरोसा किया और भरोसा करने वालों को उस पर भरोसा करना चाहिए।
    68. وَلَمَّا دَخَلُوا مِنْ حَيْثُ أَمَرَهُمْ أَبُوهُمْ مَا كَانَ يُغْنِي عَنْهُمْ مِنَ اللَّهِ مِنْ شَيْءٍ إِلَّا حَاجَةً فِي نَفْسِ يَعْقُوبَ قَضَاهَا وَإِنَّهُ لَذُو عِلْمٍ لِمَا عَلَّمْنَاهُ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ
    और जब वह दाखिल (प्रवेश) हुए जहां से उनके बाप ने आदेश दिया था वह कुछ उन्हें अल्लाह से बचा नहीं सकता, हाँ याकूब के जी की एक इच्छा थी जो उसने पूरी कर ली और बेशक (वास्तव में) वह साहीबे ईल्म है हमारे सिखाए से मगर अक्सर लोग नहीं जानते
    69. وَلَمَّا دَخَلُوا عَلَى يُوسُفَ آوَى إِلَيْهِ أَخَاهُ قَالَ إِنِّي أَنَا أَخُوكَ فَلَا تَبْتَئِسْ بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ
    और जब वो यूसुफ़ के पास गए उसने अपने भाई को अपने पास जगह दी कहा यक़ीन जान मैं ही तेरा भाई हूँ तो ये जो कुछ करते हैं उसका ग़म न खा
    70. فَلَمَّا جَهَّزَهُمْ بِجَهَازِهِمْ جَعَلَ السِّقَايَةَ فِي رَحْلِ أَخِيهِ ثُمَّ أَذَّنَ مُؤَذِّنٌ أَيَّتُهَا الْعِيرُ إِنَّكُمْ لَسَارِقُونَ
    फिर जब उनका सामान मुहैया कर दिया प्याला अपने भाई के कजावे में रख दिया फिर एक मुनादी ने निदा की ऐ क़ाफ़िले वालों बेशक तुम चोर हो
    71. قَالُوا وَأَقْبَلُوا عَلَيْهِمْ مَاذَا تَفْقِدُونَ
    बोले और उनकी तरफ़ मुतवज्जह हुए तुम क्या नहीं पाते
    72. قَالُوا نَفْقِدُ صُوَاعَ الْمَلِكِ وَلِمَنْ جَاءَ بِهِ حِمْلُ بَعِيرٍ وَأَنَا بِهِ زَعِيمٌ
    बोले बादशाह का पैमाना नहीं मिलता और जो उसे लाएगा उसके लिये एक ऊंट का बोझ है और मैं उसका ज़ामिन हूँ
    73. قَالُوا تَاللَّهِ لَقَدْ عَلِمْتُمْ مَا جِئْنَا لِنُفْسِدَ فِي الْأَرْضِ وَمَا كُنَّا سَارِقِينَ
    बोले ख़ुदा की क़सम तुम्हें ख़ूब मालूम है कि हम ज़मीन में फ़साद करने नहीं आए और न हम चोर
    74. قَالُوا فَمَا جَزَاؤُهُ إِنْ كُنْتُمْ كَاذِبِينَ
    बोले फिर क्या सज़ा है उसकी अगर तुम झूटे हो
    75. قَالُوا جَزَاؤُهُ مَنْ وُجِدَ فِي رَحْلِهِ فَهُوَ جَزَاؤُهُ كَذَلِكَ نَجْزِي الظَّالِمِينَ
    बोले उसकी सज़ा यह है कि जिस के असबाब में मिले वही उसके बदले में ग़ुलाम बने हमारे यहां ज़ालिमों की यही सज़ा है
    76. فَبَدَأَ بِأَوْعِيَتِهِمْ قَبْلَ وِعَاءِ أَخِيهِ ثُمَّ اسْتَخْرَجَهَا مِنْ وِعَاءِ أَخِيهِ كَذَلِكَ كِدْنَا لِيُوسُفَ مَا كَانَ لِيَأْخُذَ أَخَاهُ فِي دِينِ الْمَلِكِ إِلَّا أَنْ يَشَاءَ اللَّهُ نَرْفَعُ دَرَجَاتٍ مَنْ نَشَاءُ وَفَوْقَ كُلِّ ذِي عِلْمٍ عَلِيمٌ
    तो पहले उनकी ख़ुर्जियों की तलाशी शुरू की अपने भाई की ख़ुर्जी से पहले फिर उसे अपने भाई की ख़ुर्जी से निकाल लिया हमने यूसुफ़ को यह तदबीर बताई बादशाही क़ानून में उसे नहीं पहुंचता था कि अपने भाई को ले ले मगर यह कि खुदा चाहे हम जिसे चाहे दर्जों बलन्द करें और हर इल्म वाले से ऊपर एक इल्म वाला है
    77. قَالُوا إِنْ يَسْرِقْ فَقَدْ سَرَقَ أَخٌ لَهُ مِنْ قَبْلُ فَأَسَرَّهَا يُوسُفُ فِي نَفْسِهِ وَلَمْ يُبْدِهَا لَهُمْ قَالَ أَنْتُمْ شَرٌّ مَكَانًا وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا تَصِفُونَ
    भाई बोले अगर यह चोरी करे तो बेशक इससे पहले इसका भाई चोरी कर चुका है तो यूसुफ़ ने यह बात अपने दिल में रखी और उनपर ज़ाहिर न की, जी में कहा तुम बदतर जगह हो और अल्लाह ख़ूब जानता है जो बातें बनाते हो
    78. قَالُوا يَا أَيُّهَا الْعَزِيزُ إِنَّ لَهُ أَبًا شَيْخًا كَبِيرًا فَخُذْ أَحَدَنَا مَكَانَهُ إِنَّا نَرَاكَ مِنَ الْمُحْسِنِينَ
    बोले ऐ अज़ीज़ इसके एक बाप हैं बूढ़े बड़े तो हम में इसकी जगह किसी को ले लो बेशक हम तुम्हारे एहसान देख रहे हैं
    79. قَالَ مَعَاذَ اللَّهِ أَنْ نَأْخُذَ إِلَّا مَنْ وَجَدْنَا مَتَاعَنَا عِنْدَهُ إِنَّا إِذًا لَظَالِمُونَ
    कहा ख़ुदा की पनाह कि हम लें मगर उसी को जिसके पास हमारा माल मिला जब तो हम ज़ालिम होंगे
    80. فَلَمَّا اسْتَيْأَسُوا مِنْهُ خَلَصُوا نَجِيًّا قَالَ كَبِيرُهُمْ أَلَمْ تَعْلَمُوا أَنَّ أَبَاكُمْ قَدْ أَخَذَ عَلَيْكُمْ مَوْثِقًا مِنَ اللَّهِ وَمِنْ قَبْلُ مَا فَرَّطْتُمْ فِي يُوسُفَ فَلَنْ أَبْرَحَ الْأَرْضَ حَتَّى يَأْذَنَ لِي أَبِي أَوْ يَحْكُمَ اللَّهُ لِي وَهُوَ خَيْرُ الْحَاكِمِينَ
    फिर जब इससे ना उम्मीद हुए अलग जाकर कानाफ़ूसी करने लगे, उनका बड़ा भाई बोला क्या तुम्हें ख़बर नहीं कि तुम्हारे बाप ने तुमसे अल्लाह का एहद ले लिया था और उससे पहले यूसुफ़ के हक़ में तुमने कैसी तक़सीर {अपराध} की तो मैं यहाँ से न टलूंगा यहां तक कि मेरे बाप इजाज़त दें या अल्लाह मुझे हुक्म फ़रमाए और उसका हुक्म सबसे बेहतर है
    81. ارْجِعُوا إِلَى أَبِيكُمْ فَقُولُوا يَا أَبَانَا إِنَّ ابْنَكَ سَرَقَ وَمَا شَهِدْنَا إِلَّا بِمَا عَلِمْنَا وَمَا كُنَّا لِلْغَيْبِ حَافِظِينَ
    अपने बाप के पास लौट कर जाओ फिर अर्ज़ करो कि ऐ हमारे बाप बेशक आपके बेटे ने चोरी की और हम तो इतनी ही बात के गवाह हुए थे जितनी हमारे इल्म में थी और हम ग़ैब के निगहबान न थे
    82. وَاسْأَلِ الْقَرْيَةَ الَّتِي كُنَّا فِيهَا وَالْعِيرَ الَّتِي أَقْبَلْنَا فِيهَا وَإِنَّا لَصَادِقُونَ
    और उस क़ाफ़िले से जिसमें हम आए और हम बेशक सच्चे हैं
    83. قَالَ بَلْ سَوَّلَتْ لَكُمْ أَنْفُسُكُمْ أَمْرًا فَصَبْرٌ جَمِيلٌ عَسَى اللَّهُ أَنْ يَأْتِيَنِي بِهِمْ جَمِيعًا إِنَّهُ هُوَ الْعَلِيمُ الْحَكِيمُ
    कहा तुम्हारे नफ़्स {मन} ने तुम्हें कुछ हीला{बहाना} बना दिया तो अच्छा सब्र है क़रीब है कि अल्लाह उन सब को मुझ से ला मिलाए बेशक वही इल्म व हिकमत वाला है
    84. وَتَوَلَّى عَنْهُمْ وَقَالَ يَا أَسَفَى عَلَى يُوسُفَ وَابْيَضَّتْ عَيْنَاهُ مِنَ الْحُزْنِ فَهُوَ كَظِيمٌ
    और उनसे मुंह फेरा और कहा हाय अफ़सोस यूसुफ़ की जुदाई पर और उसकी आँखें ग़म से सफ़ेद हो गई तो वह ग़ुस्सा खाता रहा
    85. قَالُوا تَاللَّهِ تَفْتَأُ تَذْكُرُ يُوسُفَ حَتَّى تَكُونَ حَرَضًا أَوْ تَكُونَ مِنَ الْهَالِكِينَ
    बोले ख़ुदा की क़सम आप हमेशा यूसुफ़ की याद करते रहेंगे यहाँ तक कि गोर किनारे जा लगें या जान से गुज़र जाएं
    86. قَالَ إِنَّمَا أَشْكُو بَثِّي وَحُزْنِي إِلَى اللَّهِ وَأَعْلَمُ مِنَ اللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ
    कहा मैं तो अपनी परेशानी और ग़म की फ़रियाद अल्लाह ही से करता हूँ और मुझे अल्लाह की वो शानें मालूम हैं जो तुम नहीं जानते
    87. يَا بَنِيَّ اذْهَبُوا فَتَحَسَّسُوا مِنْ يُوسُفَ وَأَخِيهِ وَلَا تَيْأَسُوا مِنْ رَوْحِ اللَّهِ إِنَّهُ لَا يَيْأَسُ مِنْ رَوْحِ اللَّهِ إِلَّا الْقَوْمُ الْكَافِرُونَ
    ऐ बेटो जाओ यूसुफ़ और उसके भाई का पता लगाओ और अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद न हो, बेशक अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद नहीं होते मगर काफ़िर लोग
    88. فَلَمَّا دَخَلُوا عَلَيْهِ قَالُوا يَا أَيُّهَا الْعَزِيزُ مَسَّنَا وَأَهْلَنَا الضُّرُّ وَجِئْنَا بِبِضَاعَةٍ مُزْجَاةٍ فَأَوْفِ لَنَا الْكَيْلَ وَتَصَدَّقْ عَلَيْنَا إِنَّ اللَّهَ يَجْزِي الْمُتَصَدِّقِينَ
    फिर जब वो यूसुफ़ के पास पहुंचे बोले ऐ अज़ीज़ हमें और हमारे घर वालों को मुसीबत पहुंची और हम बेक़दर पूंजी लेकर आए हैं तो हमें पूरा नाप दीजिये और हम पर ख़ैरात कीजिये बेशक अल्लाह ख़ैरात वालों को सिला देता है
    89. قَالَ هَلْ عَلِمْتُمْ مَا فَعَلْتُمْ بِيُوسُفَ وَأَخِيهِ إِذْ أَنْتُمْ جَاهِلُونَ
    बोले कुछ ख़बर है तुम ने यूसुफ़ और उसके भाई के साथ क्या किया था जब तुम नादान थे
    90. قَالُوا أَإِنَّكَ لَأَنْتَ يُوسُفُ قَالَ أَنَا يُوسُفُ وَهَذَا أَخِي قَدْ مَنَّ اللَّهُ عَلَيْنَا إِنَّهُ مَنْ يَتَّقِ وَيَصْبِرْ فَإِنَّ اللَّهَ لَا يُضِيعُ أَجْرَ الْمُحْسِنِينَ
    बोले क्या सचमुच आप ही यूसुफ़ हैं कहा मैं यूसुफ़ हूँ और यह मेरा भाई बेशक अल्लाह ने हमपर एहसान किया बेशक जो परहेज़गारी और सब्र करे तो अल्लाह नेकों का नेग ज़ाया (नष्ट) नहीं करता
    91. قَالُوا تَاللَّهِ لَقَدْ آثَرَكَ اللَّهُ عَلَيْنَا وَإِنْ كُنَّا لَخَاطِئِينَ
    बोले ख़ुदा की क़सम बेशक अल्लाह ने आपको हमपर फ़ज़ीलत दी और बेशक हम ख़ता वाले थे
    92. قَالَ لَا تَثْرِيبَ عَلَيْكُمُ الْيَوْمَ يَغْفِرُ اللَّهُ لَكُمْ وَهُوَ أَرْحَمُ الرَّاحِمِينَ
    कहा आज तुमपर कुछ मलामत नहीं अल्लाह तुम्हें माफ़ करे और वह सब मेहरबानों से बढ़कर मेहरबान है
    93. اذْهَبُوا بِقَمِيصِي هَذَا فَأَلْقُوهُ عَلَى وَجْهِ أَبِي يَأْتِ بَصِيرًا وَأْتُونِي بِأَهْلِكُمْ أَجْمَعِينَ
    मेरा यह कुर्ता लेजाओ इसे मेरे बाप के मुंह पर डालो उनकी आँखे खुल जाएंगी और अपने सब घर भर को मेरे पास ले आओ
    94. وَلَمَّا فَصَلَتِ الْعِيرُ قَالَ أَبُوهُمْ إِنِّي لَأَجِدُ رِيحَ يُوسُفَ لَوْلَا أَنْ تُفَنِّدُونِ
    जब क़ाफ़िला मिस्र से जुदा हुआ यहां उनके बाप ने हा बेशक मैं यूसुफ़ की खुश्बू पाता हूँ अगर मुझे न कहो कि सठ गया
    95. قَالُوا تَاللَّهِ إِنَّكَ لَفِي ضَلَالِكَ الْقَدِيمِ
    बोले ख़ुदा की क़सम आप अपनी सी पुरानी ख़ुदरफ़्तगी(बेख़ुदी) में हैं
    96. فَلَمَّا أَنْ جَاءَ الْبَشِيرُ أَلْقَاهُ عَلَى وَجْهِهِ فَارْتَدَّ بَصِيرًا قَالَ أَلَمْ أَقُلْ لَكُمْ إِنِّي أَعْلَمُ مِنَ اللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ
    फिर जब ख़ुशी सुनाने वाला आया उसने वह कुर्ता यअक़ूब के मुंह पर डाला उसी वक़्त उसक आँखें फिर आई कहा मैं न कहता था कि मुझे अल्लाह की वो शानें मालूम हैं जो तुम नहीं जानते
    97. قَالُوا يَا أَبَانَا اسْتَغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا إِنَّا كُنَّا خَاطِئِينَ
    बोले ऐ हमारे बाप हमारे गुनाहों की माफ़ी मांगिये बेशक हम ख़तावार हैं
    98. قَالَ سَوْفَ أَسْتَغْفِرُ لَكُمْ رَبِّي إِنَّهُ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ
    कहा जल्द मैं तुम्हारी बख़्शिश अपने रब से चाहूंगा बेशक वही बख़्शने वाला मेहरबान है
    99. فَلَمَّا دَخَلُوا عَلَى يُوسُفَ آوَى إِلَيْهِ أَبَوَيْهِ وَقَالَ ادْخُلُوا مِصْرَ إِنْ شَاءَ اللَّهُ آمِنِينَ
    फिर जब वो सब यूसुफ़ के पास पहुंचे उसने अपने माँ बाप को अपने पास जगह दी और कहा मिस्र में दाख़िल हो अल्लाह चाहे तो अमान के साथ
    100. وَرَفَعَ أَبَوَيْهِ عَلَى الْعَرْشِ وَخَرُّوا لَهُ سُجَّدًا وَقَالَ يَا أَبَتِ هَذَا تَأْوِيلُ رُؤْيَايَ مِنْ قَبْلُ قَدْ جَعَلَهَا رَبِّي حَقًّا وَقَدْ أَحْسَنَ بِي إِذْ أَخْرَجَنِي مِنَ السِّجْنِ وَجَاءَ بِكُمْ مِنَ الْبَدْوِ مِنْ بَعْدِ أَنْ نَزَغَ الشَّيْطَانُ بَيْنِي وَبَيْنَ إِخْوَتِي إِنَّ رَبِّي لَطِيفٌ لِمَا يَشَاءُ إِنَّهُ هُوَ الْعَلِيمُ الْحَكِيمُ
    और अपने माँ बाप को तख़्त पर बिठाया और सब उसके लिये सिजदे में गिरे और यूसुफ़ ने कहा ऐ मेरे बाप यह मेरे पहले ख़्वाब की ताबीर है बेशक उसे मेरे रब ने सच्चा किया, और बेशक उसने मुझपर एहसान किया कि मुझे क़ैद से निकाला और आप सब को गाँव से ले आया बाद इसके कि शैतान ने मुझ में और मेरे भाइयों में नाचाक़ी (शत्रुता) करा दी थी, बेशक मेरा रब जिस बात को चाहे आसान करदे, बेशक वही इल्म व हिकमत वाला है
    101. رَبِّ قَدْ آتَيْتَنِي مِنَ الْمُلْكِ وَعَلَّمْتَنِي مِنْ تَأْوِيلِ الْأَحَادِيثِ فَاطِرَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ أَنْتَ وَلِيِّي فِي الدُّنْيَا وَالْآخِرَةِ تَوَفَّنِي مُسْلِمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ
    ऐ मेरे रब बेशक तूने मुझे एक सल्तनत दी और मुझे छुपी बातों का अंजाम निकालना सिखाया,ऐ आसमानों और ज़मीन के बनाने वाले तू मेरा काम बनाने वाला है दुनिया और आख़िरत में, मुझे मुसलमान उठा और उनसे मिला जो तेरे क़ुर्ब(समीपता) ख़ास के लायक़ हैं
    102. ذَلِكَ مِنْ أَنْبَاءِ الْغَيْبِ نُوحِيهِ إِلَيْكَ وَمَا كُنْتَ لَدَيْهِمْ إِذْ أَجْمَعُوا أَمْرَهُمْ وَهُمْ يَمْكُرُونَ
    ये कुछ ग़ैब की ख़बरें हैं जो हम तुम्हारी तरफ़ वही (देववाणी) करते हैं,और तुम उनके पास न थे जब उन्होंने अपना काम पक्का किया था और दाव चल रहे थे
    103. وَمَا أَكْثَرُ النَّاسِ وَلَوْ حَرَصْتَ بِمُؤْمِنِينَ
    और अक्सर आदमी तुम कितना ही चाहो ईमान न लाएंगे
    104. وَمَا تَسْأَلُهُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ لِلْعَالَمِينَ
    और तुम इसपर उनसे कुछ उजरत (मजदूरी) नहीं मांगते यह तो नहीं मगर सारे जगत को नसीहत
    105. وَكَأَيِّنْ مِنْ آيَةٍ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ يَمُرُّونَ عَلَيْهَا وَهُمْ عَنْهَا مُعْرِضُونَ
    और कितनी निशानियाँ हैं आसमानों और ज़मीन में कि अक्सर लोग उनपर गुज़रते हैं और उनसे बे ख़बर रहते हैं
    106. وَمَا يُؤْمِنُ أَكْثَرُهُمْ بِاللَّهِ إِلَّا وَهُمْ مُشْرِكُونَ
    और उनमें अक्सर वो हैं कि अल्लाह पर यक़ीन नहीं लाते मगर शिर्क करते हुए
    107. أَفَأَمِنُوا أَنْ تَأْتِيَهُمْ غَاشِيَةٌ مِنْ عَذَابِ اللَّهِ أَوْ تَأْتِيَهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
    क्या इससे निडर हो बैठे कि अल्लाह का अज़ाब उन्हें आकर घेरले या क़यामत उनपर अचानक आ जाए और उन्हें ख़बर न हो
    108. قُلْ هَذِهِ سَبِيلِي أَدْعُو إِلَى اللَّهِ عَلَى بَصِيرَةٍ أَنَا وَمَنِ اتَّبَعَنِي وَسُبْحَانَ اللَّهِ وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِكِينَ
    तुम फ़रमाओ यह मेरी राह है मैं अल्लाह की तरफ़ बुलाता हूँ, मैं और जो मेरे क़दमों पर चलें दिल की आँखें रखते हैं और अल्लाह को पाकी है और मैं शरीक करने वाला नहीं
    109. وَمَا أَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ إِلَّا رِجَالًا نُوحِي إِلَيْهِمْ مِنْ أَهْلِ الْقُرَى أَفَلَمْ يَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَيَنْظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ وَلَدَارُ الْآخِرَةِ خَيْرٌ لِلَّذِينَ اتَّقَوْا أَفَلَا تَعْقِلُونَ
    और हमने तुम से पहले जितने रसूल भेजे सब मर्द ही थे जिन्हें हम वही (देव वाणी) करते और सब शहर के रहने वाले थे तो क्या ये लोग ज़मीन पर चले नहीं तो देखते उनसे पहलों का क्या अंजाम हुआ और बेशक आख़िरत का घर परहेज़गारों के लिये बेहतर तो क्या तुम्हें अक़्ल नहीं
    110. حَتَّى إِذَا اسْتَيْأَسَ الرُّسُلُ وَظَنُّوا أَنَّهُمْ قَدْ كُذِبُوا جَاءَهُمْ نَصْرُنَا فَنُجِّيَ مَنْ نَشَاءُ وَلَا يُرَدُّ بَأْسُنَا عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِمِينَ
    यहाँ तक जब रसूलों को ज़ाहिरी असबाब की उम्मीद न रही और लोग समझे कि रसूलों ने उनसे ग़लत कहा था उस वक़्त हमारी मदद आई तो जिसे हमने चाहा बचा लिया गया और हमारा अज़ाब मुजरिम लोगों से फेरा नहीं जाता
    111. لَقَدْ كَانَ فِي قَصَصِهِمْ عِبْرَةٌ لِأُولِي الْأَلْبَابِ مَا كَانَ حَدِيثًا يُفْتَرَى وَلَكِنْ تَصْدِيقَ الَّذِي بَيْنَ يَدَيْهِ وَتَفْصِيلَ كُلِّ شَيْءٍ وَهُدًى وَرَحْمَةً لِقَوْمٍ يُؤْمِنُونَ
    बेशक उनकी ख़बरों से अक़्लमन्दों की आँखें खुलती हैं यह कोई बनावट की बात नहीं लेकिन अपने से अगले कामों की तस्दीक़ {पुष्टी} है और हर चीज़ का तफ़सीली (विस्तृत) बयान और मुसलमानों के लिये हिदायत और रहमत

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