


लज़्ज़ते याद
लज़्ज़ते याद मौलाना जामीؓ फ़रमाते हैं. रब की याद की लज़्ज़त यूं हासिल की जाए कि हर वक्त और हर हाल में यानि आते और जाते हुए, खाते और सोते हुए, बोलते और सुनते हुए भी तुझे हक से अपनी वाबस्तगी का पूरा पूरा एहसास हो। मुख़्तसर यह कि हालते आराम और काम काज करते हुए भी तुझे...
घमंड, गुनाह से बढ़कर
घमंड, गुनाह से बढ़कर शेख सादीؓ फ़रमाते हैं. हज़रत ईसाؑ के दौर में एक बहुत गुनाहगार, जिहालत व गुमराही का सरदार, सख़्त दिल, बद कि़रदार, जि़न्दगी से बेज़ार, इन्सानियत को शर्म करने वाला, गोया शैतान का नापाक नुमाइन्दा था। सर, अक़्ल से ख़ाली मगर गुरूर से भरा हुआ। जबकि पेट हराम...
रब के ख़ास बंदे (पार्ट 2)
यहां हम ख़ुदा के उन खास बंदों के बारे में बात करेंगे जिन्हें रिजालुल्लाह या रिजालुल ग़ैब कहा जाता है। इन्हीं में से कुतुब अब्दाल व ग़ौस होते हैं। वो न तो पहचाने जा सकते हैं और न ही उनके बारे में बयान किया जा सकता है, जबकि वो आम इन्सानों की शक़्ल में ही रहते हैं और आम...
मुरीद होना (बैअ़त होना)
चूं तू करदी ज़ात मुर्शिद रा क़ुबूल हम ख़ुदा आमद ज़ ज़ातिश हम रसूल नफ़्स नतवां कश्त इल्ला ज़ाते पीर दामने आं नफ़्स कुश महकम बगीर (मौलाना जलालुद्दीन रूमीؓ) जब तूने पीर की ज़ात को कुबूल कर लिया तो तुझ से अल्लाह भी मिल गया और रसूलﷺ भी। उस नाफ़रमान नफ़्स को पीर की ज़ात के...