जो शख्स अल्लाह से अपनी हाजत का सवाल नहीं करता, अल्लाह का उस पे गज़ब होता है। (यानी दुआ नहीं करने वाले से ख़ुदा नाराज़ होता है।) जो चाहता है कि मुसीबत व परेशानी के वक्त उसकी दुआ कुबूल हो तो उसे चाहिए कि आराम व फ़राख़ी के वक्त दुआ करता रहे।