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छाप तिलक सब छीनी रे
कलाम – हज़रत अमीर खुसरो ؓ

 

उर्दू भाषा की पहली ग़ज़ल लिखनेवाले, हज़रत अमीर खुसरो ؓ  की तारीफ़ के लिए हमारे पास शब्द नहीं है। 

आप फ़नाइयत में डूबे हुए सूफ़ी हैं। पेश है आपका लिखा हुआ एक मशहूर हिन्दी कलाम...

 

 

छाप तिलक सब छीनी रे

मोसे नैना मिलाइके।

 

प्रेम भटी का मधवा पिलाइके

मतवाली कर दीनी रे

मोसे नैना मिलाइके।

 

गोरी गोरी बय्यां, हरी हरी चूरियां,

बय्यां पकड़ धर लीनी रे

मोसे नैना मिलाइके।

 

बल बल जाउं मैं, तोरे रंग रजवा,

अपनी सी कर लीनी रे

मोसे नैना मिलाइके।

 

‘खुसरो’ निजाम के बल बल जय्ये,

मोहे सुहागन कीनी रे

मोसे नैना मिलाइके।

 

छाप तिलक सब छीनी रे

मोसे नैना मिलाइके।

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