बैअत होना (मुरीद होना) bait hona

बैत होना (मुरीद होना)

सूफिया किराम के यहां ये सब से अहम तरीन रूक्न है, जिसके जरिये तालिम व तरबियत, रशदो हिदायत और इस्लाह अहवाल का काम शुरू होता है।
बैअत-ए-शैख अल्लाह के हुक्म से और हुजूरे अकरम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के अमल से साबित है। अल्लाह कुरआन में फरमाता है कि बेशक जो तुम्हारे हाथों में बैअत करते हैं हकीकतन वो अल्लाह के हाथों पर बैअत करते हैं, अल्लाह का हाथ उनके हाथों पर है। बैअत का अमल हुजूर सल्ल. के अमल “बैअत-अर-रिजवान” से बतरिकए ऊला साबित है। कुछ अहले ईल्म में नजदीक बैअत वाजिब है और कुछ ने बैअत को सुन्नत कहा है। बल्कि एक गिरोह कसीरा ने इसे सुन्नत ही कहा है।
बैअत की कई किस्में होती है- जैसे बैअत-ए-इस्लाम, बैअत-ए-खिलाफत, बैअत-ए-हिजरत, बैअत-ए-जिहाद, बैअत-ए-तकवा वगैरह। लेकिन तजकिया-ए-नफ्स और तसफिया-ए-बातिन के लिए जो सूफिया किराम बैअत करते हैं वो कुरबे इलाही का जरिया बनते हैं और तसव्वुफ में इसी बैअत को “बैअत-ए-शैख” कहते हैं।
जब कोई बैअत व इरादत का चाहने वाला हाजिर होता है और इजहारे गुलामी व बन्दगी के लिए हल्कए मुरीदैन में शामिल होना चाहता है तो उसको का हाथ अपने हाथ में लेकर हल्कए इरादत और तरीकए गुलामी में दाखिल किया जाता है।
फिर तालीब से पुछते हैं कि वो किस खानवाद ए मारफत (कादिरिया, चिश्तिया, अबुलउलाई वगैरह) में बैअत कर रहा है और उससे सुनते है वो किस खानवाद ए तरीकत में दाखिल हुआ। शिजर ए मारफत के सरखेल का नाम लेते हुए सिलसिला ब सिलसिला अपने पीर के जरिए अपने तक पहुंचाते हैं और कहते हैं कि क्या तू इस फकीर को कुबूल किया? तालिब कहता है कि दिलो जान से मैंने कुबूल किया, इस इकरार के बाद उसे तालिमन कहते हैं कि हलाल को हलाल जानना और हराम को हराम समझना और शरीअते मुहम्मदी सल्ल. पर कदम जमाए रखना। (फिलहम्दोअलिल्लामह अला जुल्क )
अकाबिरों के नजदीक वसीला से तवस्स‍ले मुर्शिद ही है। हज़रत मौलाना शाह अब्दुर्रहीम, शाह वलीउल्लाह मुहद्दीस और शाह अब्दुल अजीज मुहद्दीस देहलवी साहेबान का भी यही मानना है। यहां तक कि वहाबियों के सरगना इस्माइल देहलवी का भी ये कहना है कि- ‘कुरआन में सूरे बनी इसराइल के रूकूअ 6 में रब तआला ने शख्स अकरब अलीउल्लाइह के लिए वसीला ही का लफ्ज का इस्तेमाल किया है।’
इसमें कोई शक नहीं है कि अल्लाह की बारगाह के मुकर्रेबीन का वसीला ही वो वसीला है जिसके हासिल करने की हिदायत, अल्लाह तआला ने कुरआन में फरमाई।