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सूफ़ीयाना रिसाला मिला, पहला ही शुमारा इतना अच्छा पेश किया गया कि दिल से पुरखुलूस दुआ निकलती है। ‘सूफ़ीयाना’ टाईटल ही इसके अंदर का हाल बयान करता है। रिसाले के मज़ामीन बहुत उम्दा और बेहतरीन है, जिनको पढ़कर लोगों के दिलों में सिराते मुस्तक़ीम पर चलने की ख़्वाहीश जाग उठेगी। मैं सिदक़े दिल से अल्लाह से दुआ करता हूं कि ‘सूफ़ीयाना’ बहुत ज़्यादा तरक़्क़ी करे और बुजूर्गानेदीन की तालीमात व इन्सानियत के इस मिशन में कामयाबी हासिल करे। आमीन!

इस्हाक़ बिन इस्माईल चिश्ती (बी.ई.)
सज्जादा नशीन ख़्वाजा ग़रीबनवाज़, अजमेर

 

मैंने ऐसी पत्रिका की कल्पना भी नहीं की थी, जैसी आपने प्रकाशित की है। धन्य हैं आप और आपकी सोच, जिसने अध्यात्म को इतने सुंदरता से प्रस्तुत किया है। सिर्फ एक अनुरोध है कि इसके कठीन उर्दू शब्द को हटाकर, आसान बोलचाल वाले शब्द दें या फिर मतलब भी साथ में दें।

अवधेश शर्मा शास्त्री
नई दिल्ली

 

ज़िन्दगी में पहला रिसाला, जिसे बिना रुके पढ़ने का मन करता है और जिसके अगले अंक का इंतेज़ार अभी से है।

मो.अशरफ़
दुर्ग

 

इल्मे ज़ाहिर व इल्मे बातिन में जो खाई, बनी उमय्या के दौर ने पैदा की गई थी, वो आज तक बनी हुई है। इस खाई को भरने में आपकी ‘सूफ़ीयाना’ की शक़्ल में ऐसी कोशिश, काबिले तारीफ़ है। अल्लाह, अपने रसूल के सदक़े आपको तरक़्की अता फ़रमाए और आने वाली रूकावटों को दूर करे।

मौलाना फ़ैज़ान रिज़वी
बरेली (उत्तर प्रदेश)

 

Sufiyana Magazine is a great initiative to remind, appreciate and follow the teaching of Sufism. Sheikh Safiuddin Saadi Miyan Huzur is my Murshid and I am proud to be his disciple as he has transformed my life into a better human being with love for all.

Tauseef Irfan (B.E.)
New Jersy, USA

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