घमंड, गुनाह से बढ़कर

शेख सादीؓ फ़रमाते हैं.

हज़रत ईसाؑ के दौर में एक बहुत गुनाहगार, जिहालत व गुमराही का सरदार, सख़्त दिल, बद कि़रदार, जि़न्दगी से बेज़ार, इन्सानियत को शर्म करने वाला, गोया शैतान का नापाक नुमाइन्दा था। सर, अक़्ल से ख़ाली मगर गुरूर से भरा हुआ। जबकि पेट हराम के लुकमों से भरा हुआ। झूठा और तुनक खानदान। न सीधी राह चलता, न किसी की सुनता। लोग उससे दूर भागते। ऐसा बदअमाल कि अब उसके आमालनामे में लिखने की जगह ही नहीं बची। एक नंबर का अय्याश और हमेशा नशे में मस्त रहता।

हज़रत ईसाؑ एक दिन जंगल से आ रहे थे कि उस के मकान के पास से गुज़र हुआ। आप के पांव पर, अपना सर रख कर ऐसे शर्मिन्दा हुआ जैसे दरवेश सरमायादार के सामने होता है। अपनी गुजिस्ता ग़लतियों और गुनाहों की माफ़ी मांगने लगा और रो रो कर अल्लाह से तौबा करने लगा। इस हालत में एक घमंडी इबादत गुज़ार भी आ गया और उसे हिकारत की निगाहों से देख कर, डांटने लगा कि यह बदबख़्त कहां मेरे और हज़रत ईसाؑ के बीच आ गया। यह कितना बदबख्त है, मुझे तो इस की सूरत से भी नफ़रत है। कहीं ऐसा न हो कि इस की बुराई की आग मेरे दामन में भी लग जाए। ऐ अल्लाह कयामत के दिन मुझे इस के साथ न उठाना। अभी यह बातें कर रहा था कि हज़रत ईसाؑ पर वही नाजि़ल हुई कि दोनों की दुआ कुबूल हुई. वह गुनाहगार आजिज़ी व इन्केसारी की वजह से जन्नत में जाएगा और वो घमंडी इबादतगुज़ार, जिसने उसके साथ हश्र में न होने कि दुआ की है, दोज़ख़ में जाएगा।

सबक

अल्लाह से डरने वाला गुनाहगार उस दिखावा करनेवाले और घमंडी इबादतगुज़ार से बहुत बेहतर है, जो लोगों को जहन्नम बांटता फिरता है और खुद जन्नत का चौकीदार बना हुआ है।

 

क़नाअ़त (संतोष)

शेख सादीؓ फ़रमाते हैं.

एक भिखारी ये कहता हुआ घूम रहा था. ऐ धनी लोगों! अगर तुम में इन्साफ़ होता और हम में क़नाअत (संतोष) होता, तो दुनिया में कोई भीख मांगनेवाला न होता।

ऐ क़नाअ़त! मुझे अमीर बना दे, क्योंकि तेरे बग़ैर कोई अमीर नहीं हो सकता। जिसके पास तू नहीं, उसके पास चाहे जितनी भी दौलत हो, ग़रीब है। और जिसके पास तू है, सहीं मायने में वही अमीर है।

ऐ क़नाअ़त तवंगरम गरदां।

के वराए तो हेच नेअमत नेस्त।