लज़्ज़ते याद
लज़्ज़ते याद मौलाना जामीؓ फ़रमाते हैं. रब की याद की लज़्ज़त यूं हासिल की जाए कि हर वक्त और हर हाल...
Read Moreलज़्ज़ते याद मौलाना जामीؓ फ़रमाते हैं. रब की याद की लज़्ज़त यूं हासिल की जाए कि हर वक्त और हर हाल...
Read Moreघमंड, गुनाह से बढ़कर शेख सादीؓ फ़रमाते हैं. हज़रत ईसाؑ के दौर में एक बहुत गुनाहगार, जिहालत व गुमराही...
Read Moreशेख सादी रज़ी. फ़रमाते हैं- न गोयद अज सरे बाजीचा हर्फे। कर्जा पन्दे नगीरद साहबे होश॥ व गर सद बाबे...
Read MoreMaulana Jami r.a. फ़रमाते हैं- ख़ुदाए बुलन्द बरतर के मासिवा (सूफ़ी, अल्लाह के अलावा जो कुछ भी है...
Read MoreMaulana Jami r.a. फ़रमाते हैं- अल्लाह ने इन्सान को ऐसा नहीं बनाया कि उसके पहलू में दो दिल हों।...
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