Maulana Jami r.a. फ़रमाते हैं-

अल्लाह ने इन्सान को ऐसा नहीं बनाया कि उसके पहलू में दो दिल हों।

जिसने तूझे जिन्दगी की नेअमत दी है उसी ने तेरे पहलू में एक दिल भी रख दिया है।

ताकि उस वाहिद-अल्लाह (एक-ईश्वर) की मुहब्बत में तुझे यक वली (एक मक़सद) व यक रूई (एकाग्रता) हासिल हो।

उसके अलावा किसी और से तुझे कोई वास्ता न हो

और तू अपने आप को उसी की इबादत के लिए वक्फ़ कर (छोड़) दे।

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Maulana Jami Poetry

Maulana Jami r.a. आगे फ़रमाते हैं-

ये मुमकीन नहीं कि एक दिल के टुकड़े टुकड़े करके अलग अलग कामों में लगा दिया जाए-

रूख तेरा है कि़बलाए वफ़ा की जानिब।
तन परदा है क्यूं ज़हन रसा की जानिब॥
बेहतर है कि दिल को न बहुत रोग लगाए।
एक दिल है, लगा उसको ख़ुदा की जानिब॥