अन्त में यह- आप लोग प्रभु से और उसके अपार सामर्थ्य से बल ग्रहण करें, आप ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप शैतान की धूर्तता का सामना करने में समर्थ हों, क्योंकि हमें निरे मनुष्यों से नहीं, बल्कि इस अन्धकारमय संसार के अधिपतियों, अधिकारियों तथा शासकों और आकाश के दुष्ट आत्माओं से संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए आप ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप दुर्दिन में शत्रु का सामना करने में समर्थ हों और अन्त तक अपना कर्तव्य पूरा कर विजय प्राप्त करें।
आप सत्य का कमरबंद कसकर, धार्मिकता का कवच धारण कर और शान्ति-सुसमाचार के उत्साह के जूते पहन कर खड़े हों। साथ ही विश्वास की ढाल धारण किए रहें। उससे आप दुष्ट के सब अग्निमय बाण बुझा सकेंगे। इसके अतिरिक्त मुक्ति का टोप पहन लें और आत्मा की तलवार – अर्थात् ईश्वर का वचन – ग्रहण करें।