हम्‍द बेहद

हम्दो सना है तेरी, कौनो मकान वाले।

एै रब्बे हर दो आलम, दोनो जहान वाले।

बिन मांगे देने वाले, अर्शो क़ुरान वाले।

गिरते हैं तेरे दर पर, सब आन बान वाले।

बेशक़ रहीम है तू, रहमत निशान वाले।

 

यौमुल जज़ा के मालिक, ख़ालिक़ हमारा तू है।

करते हैं तुझको सजदे, तेरी ही जुस्तजू है।

इमदाद तुझसे चाहें, सबका सहारा तू है।

दीदार हो मयस्सर, ये दिल की आरजू है।

रस्ता दिखा दे सीधा, ऐ आसमान वाले।

 

रस्ता दिखा दे हमको, परवर दिगारे आलम!

जिस पर चला किए हैं, परहेज़गारे आलम!

नियामत है जिनको मिलती, तुझसे निगारे आलम!

है यादगार जिनकी, अब यादगारे आलम,

तेरी नज़र में ठहरे जो इज्ज़ोशान वाले।

 

मातूब जो है तेरी, ऐ ख़ालिक़े यगाना!

गुमराह हुए जो तुझसे, ऐ साहिबे ज़माना!

आजिज़ हबीब को तू, न उनकी राह चलाना।

इतना करम हो हम पर, ऐ क़ादिरे तवाना!

मकबूल ये दुआ हो, मुर्शिद निशान वाले।