हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम इस जहां में फ़ज़्लो रह़मत बन कर तशरीफ़ लाए और यक़ीनन अल्लाह की रह़मत के नुज़ूल का दिन ख़ुशी व मुसर्रत का दिन होता है। चुनान्चे अल्लाह तबारक व तआला इर्शाद फ़रमाता है :
तुम फ़रमाओ अल्लाह ही के फ़ज़्ल और उसी की रह़मत और इसी पर चाहिये कि ख़ुशी करें। वो उन के सब धन दौलत से बेहतर है।
अल्लाहु अक्बर! रह़मते ख़ुदा वन्दी पर ख़ुशी मनाने का क़ुरआने करीम ह़ुक्म दे रहा है
और क्या हमारे प्यारे आक़ा से बढ़ कर भी कोई अल्लाह की रह़मत है?
देखिये मुक़द्दस क़ुरआन में साफ़ साफ़ एलान है :
और हम ने तुम्हें न भेजा मगर रह़मत सारे जहान के लिये।