सिमा के जवाज़ में आयाते कुरानी हज़रत मख़्दुम अशरफ़ सिमनानी किछौछवीؓ फ़रमाते हैं. सिमा के जवाज़ के सबूत में चन्द दलाएल पेश किए जाते हैं। अल्लाह पैदा करने में जितना चाहता है, बढ़ा देता है। (कुरान 35:1) कुछ ने किरात में ‘अलख़्ल्क़’ में ‘ख़ा’ की जगह ‘हा’ पढ़ा है, यानी ‘अलहल्क़’।...
हज़रत अहमद रज़ा खां फ़ाजि़ल बरेलवीؓ, जिन्हें हम ‘आला हज़रत’ के नाम से जानते हैं, वो हस्ती हैं, जिन्होंने शरीअते मुहम्मदीﷺ को नज्द के फ़साद से महफूज़ किया और दीन की तारीख़ में नई इबारत लिखी। इसी वजह से आपको तमाम अहले सुन्नत बगैर किसी शक व शुब्ह के ‘मुजद्दीद ए वक़्त’ तस्लीम...
हज़रत बाबा ताजुद्दीनؓ ताजाबाद नागपूर खानदान बाबा ताजुद्दीन औलियाؓ का सिलसिला नसब इमाम हसन असकरी से मिलता है। इमाम हसन असकरी की औलादें फुज़ैल मेहदी अब्दुल्लाह हिन्दुस्तान तशरीफ लाए और ज़नूबी हिन्द के साहिली इलाके मद्रास में कयाम किया। हज़रत फुज़ैल मेहदी अब्दुल्लाह के दो...
पांच चिश्त हेरात के पास एक कस्बे का नाम चिश्त है। हज़रत अबू इसहाक़ शामी चिश्तीؓ की रूहानी मौजूदगी से ये कस्बा रूहानियत का मरकज़ बन गया। आप पहले बुजूर्ग हैं जिनके नाम के आगे चिश्ती लगा। आपके बाद इस सिलसिले आलिया के पांच जलीलुल कद्र मशायख, चिश्त ही में रहे। इन्हें पांच...
यहां हम ख़्वाजा ए चिश्तिया के मल्फूज़ात से फ़ैज़ हासिल करेंगे। मल्फूज़ात, सूफ़ीयों की जि़ंदगी के उस वक़्त के हालात और तालीमात का ख़जाना होती है। जिसे कोई ऐसे मुरीद ही लिख सकते है, जो ज़्यादा से ज़्यादा पीर की सोहबत से फ़ैज़याब हुए हों। इस बार हम हज़रत ख़्वाजा ग़रीबनवाज़...