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Maulana Jami r.a. फ़रमाते हैं-

ख़ुदाए बुलन्द बरतर के मासिवा (सूफ़ी, अल्लाह के अलावा जो कुछ भी है उसे मासिवा कहते हैं)

जो कुछ भी है वो आनी व फ़ानी (नश्वर) है।

दुनिया की हक़ीक़त एक गुमान है जिसका कोई वजूद नहीं और ज़ाहिरी सूरत इसकी महज एक वहमी (झूटी) वजूदसी है।

कल इसका कोई वजूद न था, न आगे रहने वाला है। ज़ाहिर है कि कल इसका एक अन्जाम होगा।

तो उम्मीदों आरजूओं का ग़ुलाम क्यों बना हुआ है।

छोड़ झूठी चमक दमक रखने वाली नापाएदार चीज़ों को और उस हमेशा रहने वाले रब से जुड़ जा।

वक़्त के कांटों से उसकी बंदगी का चेहरा कभी घायल नहीं हो सकता।

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Maulana Jami Poetry

Maulana Jami r.a. आगे फ़रमाते हैं-

हर शक्ले हसीन, तुझको लगी है जो भली,
वो ज़ेरे फलक से जल्द रूपोश हुई।
दिल उस से लगा जो जि़न्दा व पाइन्दान है,
वो ज़ात रहेगी और हमेशा से रही॥

दिल जाके सनमखानों में शरमिन्दा है,
क्या इश्के बुतां से कोई दिल जिन्दा है।
मुझको है जमाले जावेदानी की तलाश,
उस हुस्न का तालिब हूं जो पाइन्दा है॥

जो शै तुझे देती नहीं पैगामें बका,
आखिर वही लाएगी तेरे सर पे बला।
जिन चीजों से होना है जुदा, बादुल मौत,
बेहतर है कि जीते जी रहो उनसे जुदा॥

 

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