Salatul Tasbih एक नफिल नमाज़ है, ये पांच वक्तों की नमाज़ में शामिल नहीं है। लेकिन इसकी बड़ी फ़ज़ीलत है। हदीस में है कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हजरत अब्बास रजि को तालीम फरमाई कि ऐ चचा, इसको (Salatul Tasbih को) पढ़ने से अगले पिछले तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं। इसे हर रोज़ पढ़ा करो, अगर न हो सके तो हफ़ते में एक बार या महीने में एक द़फा और अगर ये भी न हो सके तो जिंदगी में एक बार ज़रूर पढ़ो। (तिर्मिजी)